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स्पेशल: इस मंदिर में होती है माता की पीठ की पूजा, 400 सालों से अखंड ज्योत

बारां के अंता के पास सोरसन ब्रह्माणी माता का मंदिर है. खास बात ये है, कि इस मंदिर में माता की पीठ की पूजा होती है. यहां आने वाले दर्शनार्थी पीठ के दर्शन करते हैं. यहां देवी की पीठ का ही श्रंगार होता है और भोग भी पीठ को ही लगाया जाता है.

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बारां का सोरसन ब्रह्माणी माता मंदिर है खास
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Published : Jan 6, 2020, 12:26 PM IST

अंता (बारां). राजस्थान में यूं तो कई तीर्थ स्थान हैं, लेकिन सोरसन का तीर्थ स्थल खास है. यहां देवी के पृष्ठ भाग यानि पीठ की पूजा-अर्चना होती है.

अंता कस्बे से 20 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक सोरसन का ब्रह्माणी माता का मंदिर इन दिनों काफी चर्चा में है. इसी मंदिर के पास सोरसन गोडावण अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण बड़ी संख्या में श्रदालुओं की आवाजाही बनी रहती है.

बारां का सोरसन ब्रह्माणी माता मंदिर है खास

700 साल पुराना मंदिर

ब्रह्माणी माता का मंदिर करीब 700 साल पुराना बताया जाता है. यह मंदिर चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है. खास बात ये भी है, कि इस मंदिर में 400 सालों से अखंड ज्योति जल रही है.

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सोरसन ब्रह्माणी माता मंदिर

यह भी पढ़ें : पाक से आए हिंदु शरणार्थियों की अपील, 'हमें भी भारत में रहने दो'

लोगों की गहरी आस्था

ब्रह्माणी माता के प्रति इस अंचल में लोगों की गहरी आस्था है. लोग यहां आकर मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर कोई पालना चढ़ाता है तो कोई छत्र चढ़ाता है या कोई और वस्तु मंदिर में भेंट करता है.

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मंदिर के पास स्थित तालाब के पास टहलते पर्यटक

गर्दभ मेले का आयोजन

सोरसन ब्रह्माणी माता के मंदिर पर साल में एक बार गर्दभ मेले का आयोजन होता है. इस मेले में पहले कई राज्यों से गधों की खरीद-फरोख्त होती थी. अब बदलते समय के साथ-साथ यहां लगने वाले गर्दभ मेले में गधों की कम और घोड़ों की ज्यादा खरीद-फरोख्त होने लगी है.

यह भी पढ़ें : गहलोत सरकार बच्चों की मौत के आंकड़े छुपा रही है: ओम सारस्वत

नहीं हो रही देखभाल

वहीं ऐतिहासिक स्थल होने के बावजूद इसकी सार सम्भाल नहीं ली जा रही है. मंदिर के पास स्थित कुंड वीरान पड़ा रहता है. यहां आकर पिकनिक मनाने वाले पर्यटकों के लिए भी कोई खास इंतजाम नहीं हैं. इस स्थान पर बहने वाले झरने में बारिश के दिनों में पर्यटकों की जमकर भीड़ रहती है. ऐसे में पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

मंदिर के पास ही एक तालाब स्थित है उसमें बोटिंग की व्यवस्था करके इस स्थान को पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाया जा सकता है. लेकिन लम्बे समय से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

अंता (बारां). राजस्थान में यूं तो कई तीर्थ स्थान हैं, लेकिन सोरसन का तीर्थ स्थल खास है. यहां देवी के पृष्ठ भाग यानि पीठ की पूजा-अर्चना होती है.

अंता कस्बे से 20 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक सोरसन का ब्रह्माणी माता का मंदिर इन दिनों काफी चर्चा में है. इसी मंदिर के पास सोरसन गोडावण अभयारण्य क्षेत्र होने के कारण बड़ी संख्या में श्रदालुओं की आवाजाही बनी रहती है.

बारां का सोरसन ब्रह्माणी माता मंदिर है खास

700 साल पुराना मंदिर

ब्रह्माणी माता का मंदिर करीब 700 साल पुराना बताया जाता है. यह मंदिर चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है. खास बात ये भी है, कि इस मंदिर में 400 सालों से अखंड ज्योति जल रही है.

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सोरसन ब्रह्माणी माता मंदिर

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लोगों की गहरी आस्था

ब्रह्माणी माता के प्रति इस अंचल में लोगों की गहरी आस्था है. लोग यहां आकर मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर कोई पालना चढ़ाता है तो कोई छत्र चढ़ाता है या कोई और वस्तु मंदिर में भेंट करता है.

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मंदिर के पास स्थित तालाब के पास टहलते पर्यटक

गर्दभ मेले का आयोजन

सोरसन ब्रह्माणी माता के मंदिर पर साल में एक बार गर्दभ मेले का आयोजन होता है. इस मेले में पहले कई राज्यों से गधों की खरीद-फरोख्त होती थी. अब बदलते समय के साथ-साथ यहां लगने वाले गर्दभ मेले में गधों की कम और घोड़ों की ज्यादा खरीद-फरोख्त होने लगी है.

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नहीं हो रही देखभाल

वहीं ऐतिहासिक स्थल होने के बावजूद इसकी सार सम्भाल नहीं ली जा रही है. मंदिर के पास स्थित कुंड वीरान पड़ा रहता है. यहां आकर पिकनिक मनाने वाले पर्यटकों के लिए भी कोई खास इंतजाम नहीं हैं. इस स्थान पर बहने वाले झरने में बारिश के दिनों में पर्यटकों की जमकर भीड़ रहती है. ऐसे में पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

मंदिर के पास ही एक तालाब स्थित है उसमें बोटिंग की व्यवस्था करके इस स्थान को पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाया जा सकता है. लेकिन लम्बे समय से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

Intro:बारां जिले के अन्ता के समीप सोरसन ब्राह्मणी माता मंदिर भारत वर्ष में एक ऐसा मंदिर है जहाँ माता की पीठ की पूजा होती है वैसे तो राजस्थान में लोग देवी-देवताओं के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति भावना के अनगिनत तीर्थ स्थान है ।परन्तु सोरसन में यह एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां देवी के पृष्ठ भाग अर्थात पीठ की पूजा-अर्चना होती है ।Body:

अंता (बारां) यहां आने वाले दर्शनार्थी पीठ के दर्शन करते हैं । देवी की पीठ का ही श्रंगार होता है और भोग भी पीठ को ही लगाया जाता है ।
अंता कस्बे से 20 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक सोरसन का ब्रह्माणी माता का मंदिर इन दिनों काफी चर्चा में है इसी मंदिर के पास सोरसन गोडावण अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण यहां बड़ी संख्या में श्रदालुओ की आवाजाही बनी रहती है ।

ब्रह्माणी माता का प्राकट्य करीब 700 वर्ष पूर्व हुआ बताया जाता है । ब्रह्माणी माता का मंदिर विशाल है चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है ।इस मंदिर में पिछले 400 वर्षों से चलने वाली अखंड ज्योति भी एक चमत्कारी है
। ब्रह्माणी माता के प्रति इस अंचल में लोगो की गहरी जन आस्था है लोग यहां आकर कई प्रकार की मनौती मांगते हैं ।जिनके पूरा होने पर कोई पालना चढ़ाता है तो कोई छत्र चढ़ाता है वही कोई अन्य वस्तु मंदिर में भेंट करता है ।
सोरसन ब्राह्मणी माता के मंदिर पर वर्ष में एक बार गदर्भ मेले का आयोजन होता है जहाँ पूर्व में कई राज्यो से गधों की खरीद फरोख्त होती थी अब बदलते समय के साथ साथ यहां लगने वाले गदर्भ मेले में गधों की कम तथा घोड़ो की खरीद फरोख्त होने लगी है ।
दूसरी ओर यह स्थान ऐतिहासिक स्थल होने के बाउजूद इसकी सार सम्भाल नही ली जा रही है ।मंदिर के पास स्थित कुंड वीरान पड़ा रहता है ।वही यहां आकर पिकनिक मनाने वाले
पर्यटकों के लिए भी कोई खास इंतजाम नही है । जब कि इस स्थान पर बहने वाले झरने में बारिश के दिनों में पर्यटकों की जमकर भीड़ रहती है ।ऐसे में पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है ।मंदिर के पास ही एक तालाब स्थित है उसमें बोटिंग की व्यवस्था करके इस स्थान को पर्यटकों के लिए ओर भी आकर्षक बनाया जा सकता है ।परन्तु लम्बे समय से इस ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है ।

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