अंता (बारां). हरबोला की कहानी के नाम से जाने वाली इस कला में कलाकार पेड़ पर चढ़ कर ऊंची आवाज में भूले बिसरे गीत सुनाते है. अगर लोग इसे देखेंगे तो किसी को भी अचंभा जरूर होगा. लेकिन कई गांवों में आज भी यह परंपरा जारी है. आज भी हाड़ौती क्षेत्र में कई स्थानों पर यदा-कदा बुंदेले हरबोले नजर आ जाते हैं.
कई दशकों पूर्व तो यह बुंदेले हरबोले करीब हर गांव में दिखाई देते थे. लेकिन समय के साथ साथ इनकी गाथा सुनने वाले भी अब बहुत कम लोग ही मिलते हैं.
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बुंदेले हरबोल पेड़ के ऊपर चढ़कर भगवान के भजन और कथा के साथ ही झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई के शौर्य की गाथा को गाते है. सालों से चली आ रही बुंदेले हरबोलों की यह गाथा आज भी जीवंत है. इसके पीछे उनका मकसद अपने परिवार का पालन-पोषण भी होता है.