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अरब देशों से लौटे प्रवासियों ने बयां किया दर्द, कहा- दानदाताओं पर थे निर्भर, कई बार पानी पीकर करना पड़ा गुजारा - condition of the workers in Arab country

कोरोना संक्रमण के दौरान अरब देश से करीब 400 प्रवासी बांसवाड़ा लौटे हैं. घर लौटे इन श्रमिकों ने बताया कि लॉकडाउन में वहां उनकी हालत बेहद खराब थी. उन्हें कई बार पानी पीकर गुजारा करना पड़ता था.

कुवैत में लॉकडाउन  rajasthan news
अरब देश से लौटे प्रवासियों ने बयां किया दर्द
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Published : Jul 14, 2020, 5:02 PM IST

बांसवाड़ा. हर इंसान की तमन्ना सात समंदर पार जाने की होती है. लोग मोटी कमाई की आस में अरब देश में जाते हैं. जिले से अच्छी कमाई की आस में कुवैत गए श्रमिकों की लॉकडाउन में हालत खराब हो गई है. घर लौटे मजदूरों ने बताया कि वो पिछले साढ़े तीन महीने से वो सभी कमरों में बंद थे. वहां मजदूर खाने के लिए दानदाताओं पर निर्भर हैं. ऐसे में उन्हें कई बार भूखे पेट सोने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अरब देश से लौटे प्रवासियों ने बयां किया दर्द

कुवैत गए श्रमिकों में खासकर कांटेक्ट पर जाने वाले लेबर की हालत बदतर है. लॉकडाउन के कारण कोई इनका का सोच भी नहीं रहा. ऐसे में देश लौटना तो दूर उनके खाने-पीने तक के लाले पड़ गए हैं. हाल ही में कुवैत से लौटे कुछ प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें कुवैत में फंसे मजदूरों की हालत सामने आई. वागड़ अंचल के प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों से करीब 30 हजार लोग कुवैत सहित अरब कंट्रीज में काम कर रहे थे. जिनमें से कोरोना महामारी के बाद बड़ी संख्या में लोग अपने वतन लौट आए.

यह भी पढ़ें. राजस्थान कांग्रेस में बड़ा बदलाव, पायलट समेत तीन मंत्री पद मुक्त, डोटासरा संभालेंगे प्रदेश कांग्रेस की कमान

एयरपोर्ट के बाद इन लोगों को अपने-अपने इलाकों की संस्थाओं में क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. जिले में इनके लिए लोधा स्थित नवोदय विद्यालय को आरक्षित किया गया है, जहां पर करीब पौने दो सौ प्रवासी भारतीयों को रखा गया है. ईटीवी भारत ने क्वारंटाइन की व्यवस्थाओं के साथ कुवैत के हालात पर श्रमिकों से बातचीत की तो कांटेक्ट मजदूरों के भयावह हालात सामने आए.

कुवैत में लॉकडाउन  rajasthan news
बांसवाड़ा के नवोदय विद्यालय में ठहराया गया प्रवासियों को

श्रमिकों का कहना है कि मार्च से कुवैत में लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में 3 महीने से अधिक समय से वह लोग अपने किराए के मकानों में कैद होकर रह गए थे. उस पर काम-धंधा बंद होने से गुजारा भी मुश्किल हो गया था. इसी कारण वह अपने घर लौटना चाहते थे लेकिन आए तो भी कैसे, फ्लाइट भी बंद थी. भारत सरकार ने जून के दूसरे पखवाड़े में फ्लाइट शुरू की लेकिन किराए काफी था. उसमें भी वेटिंग लिस्ट काफी बड़ी थी. ऐसे में हमें लंबे समय तक फ्लाइट का इंतजार करना पड़ा.

यह भी पढ़ें. बांसवाड़ा: जंगल में जुआ खेल रहे थे 15 जुआरी, दबिश देकर पुलिस ने दबोचा

वहीं लौटे लोगों का कहना है कि कांटेक्ट लेबर की हालत तो और भी बुरी थी. जोकि खाने-पीने के लिए दानदाताओं पर निर्भर होकर रह गए. श्रमिकों का कहना है कि खाने के लिए दानदाताओं का इंतजार करना होता था. जिससे भोजन मिल पाए. वहीं समय पर नहीं पहुंचने पर खाना भी नहीं मिलता था. ऐसे में कई बार उन्हें पानी पीकर रात गुजारनी पड़ी.

क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था से संतुष्ट...

क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्थाओं पर प्रवासी लोग संतुष्ट नजर आए. सुबह-नाश्ते के साथ सुबह-शाम प्रशासन भोजन की व्यवस्था कर रहा है. साथ ही क्वारंटाइन सेंटर की सफाई के लिए भी कर्मचारी लगाए गए हैं. इसके अलावा उनके परिजन भी मिलने पहुंच रहे हैं. इस कारण क्वॉरेंटाइन सेंटर जैसा महसूस नहीं हो रहा.

इन लोगों की प्रतिदिन स्क्रीनिंग के साथ-साथ सैंपल आदि लिए जा रहे हैं. कुवैत से लौटे प्रवासियों को सैंपल रिपोर्ट आने के बाद भी 10 दिन तक इन्हें सेंटर पर रखा जा रहा है. कुल मिलाकर प्रवासी लोग यहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आएl

बांसवाड़ा. हर इंसान की तमन्ना सात समंदर पार जाने की होती है. लोग मोटी कमाई की आस में अरब देश में जाते हैं. जिले से अच्छी कमाई की आस में कुवैत गए श्रमिकों की लॉकडाउन में हालत खराब हो गई है. घर लौटे मजदूरों ने बताया कि वो पिछले साढ़े तीन महीने से वो सभी कमरों में बंद थे. वहां मजदूर खाने के लिए दानदाताओं पर निर्भर हैं. ऐसे में उन्हें कई बार भूखे पेट सोने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अरब देश से लौटे प्रवासियों ने बयां किया दर्द

कुवैत गए श्रमिकों में खासकर कांटेक्ट पर जाने वाले लेबर की हालत बदतर है. लॉकडाउन के कारण कोई इनका का सोच भी नहीं रहा. ऐसे में देश लौटना तो दूर उनके खाने-पीने तक के लाले पड़ गए हैं. हाल ही में कुवैत से लौटे कुछ प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें कुवैत में फंसे मजदूरों की हालत सामने आई. वागड़ अंचल के प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों से करीब 30 हजार लोग कुवैत सहित अरब कंट्रीज में काम कर रहे थे. जिनमें से कोरोना महामारी के बाद बड़ी संख्या में लोग अपने वतन लौट आए.

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एयरपोर्ट के बाद इन लोगों को अपने-अपने इलाकों की संस्थाओं में क्वॉरेंटाइन किया जा रहा है. जिले में इनके लिए लोधा स्थित नवोदय विद्यालय को आरक्षित किया गया है, जहां पर करीब पौने दो सौ प्रवासी भारतीयों को रखा गया है. ईटीवी भारत ने क्वारंटाइन की व्यवस्थाओं के साथ कुवैत के हालात पर श्रमिकों से बातचीत की तो कांटेक्ट मजदूरों के भयावह हालात सामने आए.

कुवैत में लॉकडाउन  rajasthan news
बांसवाड़ा के नवोदय विद्यालय में ठहराया गया प्रवासियों को

श्रमिकों का कहना है कि मार्च से कुवैत में लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में 3 महीने से अधिक समय से वह लोग अपने किराए के मकानों में कैद होकर रह गए थे. उस पर काम-धंधा बंद होने से गुजारा भी मुश्किल हो गया था. इसी कारण वह अपने घर लौटना चाहते थे लेकिन आए तो भी कैसे, फ्लाइट भी बंद थी. भारत सरकार ने जून के दूसरे पखवाड़े में फ्लाइट शुरू की लेकिन किराए काफी था. उसमें भी वेटिंग लिस्ट काफी बड़ी थी. ऐसे में हमें लंबे समय तक फ्लाइट का इंतजार करना पड़ा.

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वहीं लौटे लोगों का कहना है कि कांटेक्ट लेबर की हालत तो और भी बुरी थी. जोकि खाने-पीने के लिए दानदाताओं पर निर्भर होकर रह गए. श्रमिकों का कहना है कि खाने के लिए दानदाताओं का इंतजार करना होता था. जिससे भोजन मिल पाए. वहीं समय पर नहीं पहुंचने पर खाना भी नहीं मिलता था. ऐसे में कई बार उन्हें पानी पीकर रात गुजारनी पड़ी.

क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था से संतुष्ट...

क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्थाओं पर प्रवासी लोग संतुष्ट नजर आए. सुबह-नाश्ते के साथ सुबह-शाम प्रशासन भोजन की व्यवस्था कर रहा है. साथ ही क्वारंटाइन सेंटर की सफाई के लिए भी कर्मचारी लगाए गए हैं. इसके अलावा उनके परिजन भी मिलने पहुंच रहे हैं. इस कारण क्वॉरेंटाइन सेंटर जैसा महसूस नहीं हो रहा.

इन लोगों की प्रतिदिन स्क्रीनिंग के साथ-साथ सैंपल आदि लिए जा रहे हैं. कुवैत से लौटे प्रवासियों को सैंपल रिपोर्ट आने के बाद भी 10 दिन तक इन्हें सेंटर पर रखा जा रहा है. कुल मिलाकर प्रवासी लोग यहां की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आएl

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