बांसवाड़ा: जिले के विकास में पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की अहम भूमिका मानी जाती रही है. तीन बार राज्य की कमान संभालने वाले जोशी ने जहां उदयपुर संभाग के सबसे बड़े माही बांध की सौगात दी, तो वहीं 70 के दशक में जिला चिकित्सालय की स्थापना में अपनी अहम भूमिका भी निभाई. हालांकि उस समय बेड की संख्या कम थी लेकिन धीरे-धीरे बेड की संख्या बढ़ती गई और आज 350 तक पहुंच गई है. लेकिन आबादी के लिहाज से जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं चिकित्सालय प्रशासन के सामने बौनी साबित हो रही हैं.
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सुविधाओं की बात करें तो यहां पर सोनोग्राफी मशीन की सुविधा है लेकिन मशीन पुरानी होने की वजह से इसके रिजल्ट भी सही नहीं आते. हार्ट और शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी के चलते मरीजों को उदयपुर भेजना ही एकमात्र विकल्प है.
शौचालयों गंदगी का अंबार:
हॉस्पिटल के सारे वार्डो में शौचालय की स्थिति दयनीय दिखी. हालांकि स्टाफ का कहना है कि सुबह-शाम दोनों वक्त इनकी सफाई होती है लेकिन सफाई के कुछ समय बाद ही फिर से गंदगी पसर जाती है. पिछले 3 दिन से भर्ती मुस्तफा का कहना था कि चिकित्सा व्यवस्था के लिहाज से कोई तकलीफ नहीं आई लेकिन सफाई व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सकता है.
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वही हर्निया का ऑपरेशन कराने आए चिड़िया वासा गांव के चंद्रेश पांड्या का कहना था कि पिछले 4 दिन से भर्ती हूं किसी प्रकार की तकलीफ नहीं है उन्हें. स्टाफ का व्यवहार भी अच्छा है और इलाज का असर भी हो रहा है लेकिन शौचालयों पर ध्यान देने की जरूरत है. दिनभर गंदगी के चलते दुर्गंध फैली रहती है.
उल्टी-दस्त से परेशान अपने बच्चे को हॉस्पिटल लेकर आई ललिता का कहना था कि बच्चे का ठीक तरह से उपचार हो रहा है. उन्हें कोई तकलीफ नहीं हो रही है. वही पीएमओ डॉक्टर नंदलाल चरपोटा के अनुसार पार्किंग व्यवस्था को लेकर भी हम सजग है. ओपीडी के वक्त बेतरतीब पार्किंग हो जाती है जिससे एंबुलेंस का निकलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में हम नगर परिषद के मदद से नया पार्किंग स्टैंड तैयार करवाने जा रहे हैं.