बांसवाड़ा. बीजेपी ने बांसवाड़ा विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री धन सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है. इसे लेकर यहां से संभावित उम्मीदवार हकरु मईड़ा पार्टी कार्यालय में फूट-फूट कर रोने लगे और अपना दर्द बयां किया. मईड़ा ने इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. उन्होंने पार्टी और निर्दलीय के रूप में नामांकन भरने की बात कही है.
कार्यकर्ताओं के सामने फूट-फूट कर रोए हकरु: लिस्ट की जानकारी सामने आते ही बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय पहुंचने लगे और वहां पर हकरु मईड़ा भी पहुंचे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने पार्टी की 5 साल सेवा की है. गत चुनाव में धन सिंह रावत पार्टी से बागी हो गया और उसने मेरे खिलाफ चुनाव लड़ा और मुझे हरा दिया. यह हार मेरी नहीं पार्टी की थी. कांग्रेस से बागीदौरा के उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीया और धन सिंह रावत मिले हुए हैं. दोनों आपस में समधि हैं. मालवीया के सपोर्ट से ही धन सिंह को इस बार टिकट मिला है.
गौरतलब है कि धन सिंह रावत गत विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत करके चुनाव लड़े थे, जिसके कारण पार्टी प्रत्याशी हकरु मईड़ा हार गए थे. ऐसे में अब हकरु ने भी धन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वहीं मीडिया ने रावत से बात की, तो उनका कहना था कि वे तो मोदी की नीतियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे. उनका मुकाबला कांग्रेस और कांग्रेस के प्रत्याशी से है. जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने 6 साल तक पार्टी से चुनाव नहीं लड़ने की बात की थी, इसके जवाब में उन्होंने कहा यह पार्टी का निर्णय है, जिसका मैं सम्मान करता हूं.
हकरु ने लगाया ये आरोप: हकरु ने कहा कि धन सिंह रावत ने खुद का घर सरकारी नाले पर बना रखा है. ऐसे मैं वह दूसरों का भला नहीं कर सकता है. उन्होंने आगे कहा कि मैं हर दिन हर पार्टी कार्यकर्ता के साथ खड़ा रहा. आज पार्टी ने ही मुझे धोखा दे दिया. उन्होंने आगे घोषणा की सुबह 6 नवंबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भी करेंगे और निर्दलीय भी करेंगे.
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पहले धन सिंह का टिकट कटा, अब हकरु का: विधानसभा चुनाव 2018 में पूर्व मंत्री धन सिंह रावत पार्टी के प्रबल दावेदार थे. पर उस समय भाजपा ने उनका टिकट काटकर हकरु के हाथ में दे दिया था. इस बार ठाकुर दावेदार थे, तो टिकट काटकर धन सिंह को दे दिया. ऐसे में अब राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते हकरु का चुनाव लड़ना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.