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ETV Bharat ने बॉर्डर के लेबर कैंप की व्यवस्थाओं का लिया जायजा, लोग खाने-पीने से संतुष्ट, लेकिन सता रही है घर की याद - कोरोना वायरस

बांसवाड़ा के लेबर कैंप में 126 लोगों को ठहराया गया है. इस लेबर कैंप की व्यवस्थाओं को ईटीवी भारत ने बार्डर पर जाकर जांचा. जिसमें लोगों ने बताया कि वे यहां कि व्यवस्था से संतुष्ट हैं.

Banswara's labor camp कोरोना वायरस
लेबर कैंप की पड़ताल
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Published : Apr 3, 2020, 6:10 PM IST

बांसवाड़ा. जिले की कोरोना वायरस की वजह से सीमाएं सील करने के बाद बॉर्डर पर लोगों को रोका गया. जिन्हें लेबर कैंप में ठहराया गया है. वहीं इन शिविरों की व्यवस्थाओं को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम बांसवाड़ा प्रतापगढ़ राजमार्ग स्थित पीपलखूंट बॉर्डर पर पहुंचा. जहां कैंप में ठहरे लोगों से ही उनके खान-पान सहित अन्य व्यवस्थाओं पर बातचीत कर उनके दर्द को जानने का प्रयास किया. हालांकि, व्यवस्थाओं पर लोग संतुष्ट नजर आए लेकिन परिजनों की याद उन्हें बार-बार विचलित करती नजर आई.

लेबर कैंप की पड़ताल

कोरोना वायरस को लेकर 23 मार्च से लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न इलाकों से आने वाले लोगों के जरिए संक्रमण फैलने की आशंका में सरकार ने सीमाएं सील कर दी है. यहां तक कि अंतर जिला बॉर्डर पर भी लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया. वहीं बॉर्डर पर ही रोके गए लोगों के लिए कैंप लगाए गए हैं. जिले में आने वाले पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय पर समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावासों में 126 लोगों को ठहराया गया है. इनमें अधिकांश लोग जिले के छोटी सरवा पाटन के अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले हैं.

बांसवाड़ा जिले के अधिकांश लोग चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा गेहूं काटने के लिए गए थे लेकिन लॉकडाउन के बाद इन्हें वहां से रवाना कर दिया गया. जिसके बाद वे सभी 100 से लेकर 200 किलोमीटर तक पैदल चलकर घर जा रहे थे कि सरकारी आदेश के अनुसार इन लोगों को बॉर्डर पर ही रोक लिया गया. जिसके बाद इन सभी को समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावास में क्रमश 61 और 65 लोगों को रखा गया है. जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं.

यह भी पढ़ें. Corona Update: पिछले 12 घंटों में 21 नए Positive केस, कुल आंकड़ा पहुंचा 154

सरकार के दावे की सच्चाई को जानने के लिए जब इनमें से कुछ लोगों से बातचीत की गई तो लोगों ने व्यवस्थाओं के प्रति संतुष्टि जाहिर की लेकिन 14 अप्रैल तक अपने परिजनों से दूरी को लेकर जरूर आहत दिखें. बातचीत के दौरान कैप में ठहरे लोगों ने बताया कि उन्हें समय पर खाने के साथ चाय पानी आदि उपलब्ध कराया जा रहा है. समय पर दोनों टाइम चाय के साथ दाल रोटी भी उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन परिजनों के बिना दिन निकालना मुश्किल साबित हो रहा है. वहीं एक युवक ने भागने का भी प्रयास किया. जिसे पुलिस फिर से छात्रावास लेकर आई. इसे देखते हुए यहां पर दो-दो कांस्टेबल लगाए गए हैं. वही अधीक्षक खुद व्यवस्थाओं को अमली जामा पहना रहे हैं.

यह भी पढ़ें. Special: खाकी ने तैयार किया कोरोना से जंग का 'हथियार', 72 घंटे की मेहनत सेे बनाया ये खास 'सैनेटाइजिंग चैंबर'

अधीक्षक के अनुसार वैसे तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है लेकिन बीड़ी तंबाकू को लेकर यह लोग खासे परेशान हैं. इसे लेकर कई बार हमें भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. साथ ही सामाजिक सुरक्षा अधिकारी संदीप मछार का कहना था कि दो हॉस्टल में इन्हें रखा गया है और समय पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. सबसे ज्यादा इनके घर जाने की जिद से समस्या उत्पन्न हो रही है. हम समझा बुझाकर उन्हें यहां ठहरा रहे हैं.

बांसवाड़ा. जिले की कोरोना वायरस की वजह से सीमाएं सील करने के बाद बॉर्डर पर लोगों को रोका गया. जिन्हें लेबर कैंप में ठहराया गया है. वहीं इन शिविरों की व्यवस्थाओं को परखने के लिए ईटीवी भारत की टीम बांसवाड़ा प्रतापगढ़ राजमार्ग स्थित पीपलखूंट बॉर्डर पर पहुंचा. जहां कैंप में ठहरे लोगों से ही उनके खान-पान सहित अन्य व्यवस्थाओं पर बातचीत कर उनके दर्द को जानने का प्रयास किया. हालांकि, व्यवस्थाओं पर लोग संतुष्ट नजर आए लेकिन परिजनों की याद उन्हें बार-बार विचलित करती नजर आई.

लेबर कैंप की पड़ताल

कोरोना वायरस को लेकर 23 मार्च से लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न इलाकों से आने वाले लोगों के जरिए संक्रमण फैलने की आशंका में सरकार ने सीमाएं सील कर दी है. यहां तक कि अंतर जिला बॉर्डर पर भी लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया. वहीं बॉर्डर पर ही रोके गए लोगों के लिए कैंप लगाए गए हैं. जिले में आने वाले पीपलखूंट उपखंड मुख्यालय पर समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावासों में 126 लोगों को ठहराया गया है. इनमें अधिकांश लोग जिले के छोटी सरवा पाटन के अलावा उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले हैं.

बांसवाड़ा जिले के अधिकांश लोग चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा गेहूं काटने के लिए गए थे लेकिन लॉकडाउन के बाद इन्हें वहां से रवाना कर दिया गया. जिसके बाद वे सभी 100 से लेकर 200 किलोमीटर तक पैदल चलकर घर जा रहे थे कि सरकारी आदेश के अनुसार इन लोगों को बॉर्डर पर ही रोक लिया गया. जिसके बाद इन सभी को समाज कल्याण विभाग के दो छात्रावास में क्रमश 61 और 65 लोगों को रखा गया है. जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं.

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सरकार के दावे की सच्चाई को जानने के लिए जब इनमें से कुछ लोगों से बातचीत की गई तो लोगों ने व्यवस्थाओं के प्रति संतुष्टि जाहिर की लेकिन 14 अप्रैल तक अपने परिजनों से दूरी को लेकर जरूर आहत दिखें. बातचीत के दौरान कैप में ठहरे लोगों ने बताया कि उन्हें समय पर खाने के साथ चाय पानी आदि उपलब्ध कराया जा रहा है. समय पर दोनों टाइम चाय के साथ दाल रोटी भी उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन परिजनों के बिना दिन निकालना मुश्किल साबित हो रहा है. वहीं एक युवक ने भागने का भी प्रयास किया. जिसे पुलिस फिर से छात्रावास लेकर आई. इसे देखते हुए यहां पर दो-दो कांस्टेबल लगाए गए हैं. वही अधीक्षक खुद व्यवस्थाओं को अमली जामा पहना रहे हैं.

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अधीक्षक के अनुसार वैसे तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है लेकिन बीड़ी तंबाकू को लेकर यह लोग खासे परेशान हैं. इसे लेकर कई बार हमें भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. साथ ही सामाजिक सुरक्षा अधिकारी संदीप मछार का कहना था कि दो हॉस्टल में इन्हें रखा गया है और समय पर उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है. सबसे ज्यादा इनके घर जाने की जिद से समस्या उत्पन्न हो रही है. हम समझा बुझाकर उन्हें यहां ठहरा रहे हैं.

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