ETV Bharat / state

SPECIAL: 8 महीने में ही उखड़ गया बांसवाड़ा का राष्ट्रीय राजमार्ग 927A, अब चढ़ाई जा रही है डामर की कारियां

बांसवाड़ा के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 927 ए की सड़कों का हाल बद से बदतर होता जा रहा है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निर्माण कार्य को 8 साल भी नहीं बीता कि जगह-जगह गड्ढों ने इसकी गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी. इतना ही नहीं बांसवाड़ा के पास ओवरब्रिज तक पर पेच निकल आए हैं. जगह-जगह डामर की ओवर लेपिंग घटिया सामग्री और निर्माण की कहानी बयां करती नजर आती है.

banswara news, banswara latest news
बद से बदतर की स्थिति में बांसवाड़ा का राष्ट्रीय राजमार्ग 927A
author img

By

Published : Oct 23, 2020, 9:19 PM IST

बांसवाड़ा. यह तस्वीर जो आप देख रहे हैं राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 927 ए की है. स्वरूपगंज से रतलाम को जोड़ने वाले इस राजमार्ग का टुकड़ों में निर्माण कार्य चल रहा है. निर्माण एजेंसी ने किस गुणवत्ता से काम किया, इसका अंदाजा राजमार्ग की स्थिति देखकर लगाया जा सकता है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निर्माण कार्य को 8 साल भी नहीं बीता कि जगह-जगह गड्ढों ने इसकी गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी. करीब 24 किलोमीटर के टुकड़े को जगह-जगह गड्ढों ने घेर लिया. कहीं डामर गायब हो गया तो कहीं मिट्टी और गिट्टी निकल आई. स्थिति यह है कि बांसवाड़ा के पास ओवरब्रिज तक पर पेच निकल आए हैं. जगह-जगह डामर की ओवर लेपिंग घटिया सामग्री और निर्माण की कहानी बयां करती नजर आती है.

बद से बदतर की स्थिति में बांसवाड़ा का राष्ट्रीय राजमार्ग 927A

वजवाना से बांसवाड़ा तक राजमार्ग के निर्माण का ठेका हरियाणा की करनाल मेहता कंस्ट्रक्शन को 52 करोड़ रुपए में दिया गया था. कंपनी द्वारा निर्माण के बाद 14 नवंबर 2019 को इसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दिया गया. इसके तीन चार महीने बाद ही निर्माण की हकीकत सामने आने लगी, जब वजवाना से लेकर बांसवाड़ा तक पूरा राजमार्ग में गड्ढा हो गया. जगह-जगह डामर सिमट गया और मिट्टी के साथ-साथ गिट्टी उभर आई. धीरे-धीरे यह गड्ढे चौड़े होते गए. कई स्थानों पर 2 से 3 मीटर तक डामर गायब हो गई.

यहां तक कि आधे आधे फीट के गड्ढे तक पड़ गए. मिट्टी और गिट्टी निकलने से धूल के गुब्बार उड़ना आम हो गया. दिनभर वाहनों की सरपट दौड़ से उड़ने वाली धूल और मिट्टी रोड पर बसे गांव के लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई. लोगों को अपने घर और प्रतिष्ठानों पर दिन भर साफ-सफाई करनी पड़ती है. वहीं वाहन चालकों के सामने भी दिक्कतें खड़ी हो गई. वजवाना से बांसवाड़ा तक पहुंचने में ही एक-एक घंटा तक लग रहा है. जबकि दोनों के बीच मात्र 24 किलोमीटर की दूरी है. गड्ढों के कारण राजमार्ग पर स्थित होटल रेस्टोरेंट और ढाबे वाले कोरोना के इस दौर में और भी ज्यादा संकट में आ गए हैं. इन लोगों का कहना है कि गड्ढों के कारण वाहन चालकों का यहां रुकना बंद हो गया है. इसके चलते उनका कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.

पढ़ेंः बूंदीः कोटा-दौसा मेगा हाईवे पर एक ही दिन में तीन हादसे...मची अफरा-तफरी

ओवर ब्रिज के पेच वर्क से बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी ठेकेदार पर किस स्तर तक मेहरबान रहे हैं. 400 मीटर लंबा ओवरब्रिज जगह-जगह गड्ढों से छलनी नजर आता है. पता चला है कि निर्माण कंपनी ने यह ठेका डूंगरपुर की एक अन्य कंपनी को दे दिया. बड़े ठेकेदार होने के साथ-साथ डूंगरपुर की राजनीति में दखल रखने वाले ठेकेदार ने भी जमकर मनमानी की. अधिकारियों की लापरवाही के चलते घटिया सामग्री के साथ साथ निर्माण में भी कई प्रकार की खामियां रखी गई. जिसका नतीजा मात्र 8 महीने में ही सामने आ गया.

धर्मेश सोनी का कहना था कि 1 साल भी पूरा नहीं हुआ कि सड़क को गड्ढों ने घेर लिया. जगह-जगह गड्ढे निकल आए हैं और 2 माह पहले गड्ढे से बचने के प्रयास में एक गाड़ी भी पलट गई. विष्णु बंजारा के अनुसार नई रोड का यह हस्र है तो अगले 5 साल तक यह रोड कैसे टिक पाएगी. रोड की दुर्गति के कारण अब यहां वाहन चालकों ने भी रुकना बंद कर दिया है. इस कारण उनके ढाबे तक नहीं चल पा रहे हैं.

सड़क बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल

दिनेश पंचाल का कहना था कि इस बार इतनी बारिश भी नहीं हुई है फिर भी रोड टूट गई. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोड का निर्माण में कितनी घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई. इस संबंध में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण खंड बांसवाड़ा के अधिशासी अभियंता आरएस बेरवा से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि मेरे आने से पहले ही यह काम हो चुका था. सर्विस रोड में पानी के चलते सेटलमेंट आ गया. संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी कर जहां-जहां भी गड्ढे पड़े हैं. वहां एक से डेढ़ मीटर तक गड्ढा करवा कर मापदंड के अनुसार मरम्मत के लिए पाबंद कर दिया गया है.

बांसवाड़ा. यह तस्वीर जो आप देख रहे हैं राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 927 ए की है. स्वरूपगंज से रतलाम को जोड़ने वाले इस राजमार्ग का टुकड़ों में निर्माण कार्य चल रहा है. निर्माण एजेंसी ने किस गुणवत्ता से काम किया, इसका अंदाजा राजमार्ग की स्थिति देखकर लगाया जा सकता है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निर्माण कार्य को 8 साल भी नहीं बीता कि जगह-जगह गड्ढों ने इसकी गुणवत्ता की पोल खोल कर रख दी. करीब 24 किलोमीटर के टुकड़े को जगह-जगह गड्ढों ने घेर लिया. कहीं डामर गायब हो गया तो कहीं मिट्टी और गिट्टी निकल आई. स्थिति यह है कि बांसवाड़ा के पास ओवरब्रिज तक पर पेच निकल आए हैं. जगह-जगह डामर की ओवर लेपिंग घटिया सामग्री और निर्माण की कहानी बयां करती नजर आती है.

बद से बदतर की स्थिति में बांसवाड़ा का राष्ट्रीय राजमार्ग 927A

वजवाना से बांसवाड़ा तक राजमार्ग के निर्माण का ठेका हरियाणा की करनाल मेहता कंस्ट्रक्शन को 52 करोड़ रुपए में दिया गया था. कंपनी द्वारा निर्माण के बाद 14 नवंबर 2019 को इसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को स्थानांतरित कर दिया गया. इसके तीन चार महीने बाद ही निर्माण की हकीकत सामने आने लगी, जब वजवाना से लेकर बांसवाड़ा तक पूरा राजमार्ग में गड्ढा हो गया. जगह-जगह डामर सिमट गया और मिट्टी के साथ-साथ गिट्टी उभर आई. धीरे-धीरे यह गड्ढे चौड़े होते गए. कई स्थानों पर 2 से 3 मीटर तक डामर गायब हो गई.

यहां तक कि आधे आधे फीट के गड्ढे तक पड़ गए. मिट्टी और गिट्टी निकलने से धूल के गुब्बार उड़ना आम हो गया. दिनभर वाहनों की सरपट दौड़ से उड़ने वाली धूल और मिट्टी रोड पर बसे गांव के लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गई. लोगों को अपने घर और प्रतिष्ठानों पर दिन भर साफ-सफाई करनी पड़ती है. वहीं वाहन चालकों के सामने भी दिक्कतें खड़ी हो गई. वजवाना से बांसवाड़ा तक पहुंचने में ही एक-एक घंटा तक लग रहा है. जबकि दोनों के बीच मात्र 24 किलोमीटर की दूरी है. गड्ढों के कारण राजमार्ग पर स्थित होटल रेस्टोरेंट और ढाबे वाले कोरोना के इस दौर में और भी ज्यादा संकट में आ गए हैं. इन लोगों का कहना है कि गड्ढों के कारण वाहन चालकों का यहां रुकना बंद हो गया है. इसके चलते उनका कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है.

पढ़ेंः बूंदीः कोटा-दौसा मेगा हाईवे पर एक ही दिन में तीन हादसे...मची अफरा-तफरी

ओवर ब्रिज के पेच वर्क से बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी ठेकेदार पर किस स्तर तक मेहरबान रहे हैं. 400 मीटर लंबा ओवरब्रिज जगह-जगह गड्ढों से छलनी नजर आता है. पता चला है कि निर्माण कंपनी ने यह ठेका डूंगरपुर की एक अन्य कंपनी को दे दिया. बड़े ठेकेदार होने के साथ-साथ डूंगरपुर की राजनीति में दखल रखने वाले ठेकेदार ने भी जमकर मनमानी की. अधिकारियों की लापरवाही के चलते घटिया सामग्री के साथ साथ निर्माण में भी कई प्रकार की खामियां रखी गई. जिसका नतीजा मात्र 8 महीने में ही सामने आ गया.

धर्मेश सोनी का कहना था कि 1 साल भी पूरा नहीं हुआ कि सड़क को गड्ढों ने घेर लिया. जगह-जगह गड्ढे निकल आए हैं और 2 माह पहले गड्ढे से बचने के प्रयास में एक गाड़ी भी पलट गई. विष्णु बंजारा के अनुसार नई रोड का यह हस्र है तो अगले 5 साल तक यह रोड कैसे टिक पाएगी. रोड की दुर्गति के कारण अब यहां वाहन चालकों ने भी रुकना बंद कर दिया है. इस कारण उनके ढाबे तक नहीं चल पा रहे हैं.

सड़क बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल

दिनेश पंचाल का कहना था कि इस बार इतनी बारिश भी नहीं हुई है फिर भी रोड टूट गई. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोड का निर्माण में कितनी घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई. इस संबंध में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण खंड बांसवाड़ा के अधिशासी अभियंता आरएस बेरवा से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि मेरे आने से पहले ही यह काम हो चुका था. सर्विस रोड में पानी के चलते सेटलमेंट आ गया. संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी कर जहां-जहां भी गड्ढे पड़े हैं. वहां एक से डेढ़ मीटर तक गड्ढा करवा कर मापदंड के अनुसार मरम्मत के लिए पाबंद कर दिया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.