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Exclusive: टिड्डी प्रभावित किसानों के लिए केंद्र ने मंजूर किए 65 करोड़, गहलोत सरकार ने मार रखी है कुंडली : सांसद कटारा - locust affected farmers Help

डूंगरपुर बांसवाड़ा सांसद कनकमल कटारा से ईटीवी भारत ने शुक्रवार को बातचीत की. जिसमें उन्होंने टिड्डी, रेल मार्ग और जावर माइंस समेत कई विषयों पर जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने प्रदेश की गहलोत सरकार पर निशाना भी साधा

MP Kanakamal Katara, locust affected farmers Help
सांसद कनकमल कटारा से बातचीत
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Published : Sep 4, 2020, 7:26 PM IST

बांसवाड़ा. राजस्थान में टिड्डी दल के हमले से किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से कृषि मंत्रालय के समिति की बैठक करवा कर 65 करोड़ रुपए की मंजूरी प्रदान की, लेकिन राज्य सरकार किसान सम्मान निधि की तरह इस राशि पर कुंडली मारकर बैठी है. जबकि कोरोना संक्रमण काल में किसानों के लिए यह सहायता राशि काफी अहम है. सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के खाते में तत्काल प्रभाव से राशि ट्रांसफर करना चाहिए. ये कहना है डूंगरपुर बांसवाड़ा सांसद कनकमल कटारा का.

सांसद कनकमल कटारा से खास बातचीत

वे बतौर कृषि मंत्रालय समिति सदस्य ईटीवी भारत से बातचीत कर रहे थे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच नई दिल्ली जाकर क्षेत्र की समस्याओं को लेकर रेल मंत्री से भी उन्होंने संपर्क साधा. उनके सामने अहमदाबाद, उदयपुर वाया डूंगरपुर रेल मार्ग का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि जावर माइंस का काम अब गति पकड़ लिया है और अगले साल तक पटरी बिछाने का शेष काम भी पूरा होने की संभावना है.

पढ़ें : अजय माकन का राजस्थान दौरा 8 सितंबर से फिर शुरू, जयपुर और अजमेर संभाग होंगे चुनौती

बांसवाड़ा के रेल प्रोजेक्ट के मामले में उनका कहना था कि राज्य सरकार की बेरुखी के कारण प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार के बीच आधा-आधा खर्च वहन किए जाने का एग्रीमेंट हुआ था. उसी को आगे बढ़ाते हुए गहलोत ने डूंगरपुर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के जरिए प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखवा दी, लेकिन अब मुख्यमंत्री गहलोत राशि देने से पीछे हट गए हैं.

राज्य सरकार की बेरुखी के कारण प्रोजेक्ट की बीएसआर दोगुनी अर्थात 4 हजार तक पहुंच गई है. बांसवाड़ा सांसद ने कहा कि ये पूरा शेड्यूल एरिया है. ऐसे में केंद्र सरकार से भी नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर इस एरिया को रेल के जरिए देश के विभिन्न कोनों से जोड़ने की दिशा में भी प्रयास कर रहा हूं. जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं के तेजी से कोरोना की चपेट में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार की गाइडलाइन की पालना जरूरी है. जनता के लिए बहुत आवश्यक होने पर ही जनप्रतिनिधियों को बैठक बुलानी चाहिए.

पढ़ें- वासुदेव देवनानी का गहलोत सरकार पर ट्विटर वार, इन मुद्दों को लेकर सरकार पर किया कटाक्ष

बांसवाड़ा में एटॉमिक पावर प्लांट के संबंध में सांसद का कहना है कि जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है और लैंड टेस्टिंग के काम में कुछ अड़चने रही थी. यह समस्या प्रशासनिक दखल से करीब-करीब सॉल्व हो चुकी हैं. साथ ही अब सॉइल टेस्टिंग के काम ने गति पकड़ ली है. हम 2024 तक प्लांट का निर्माण कार्य शुरू करवाने की कोशिश कर रहे हैं.

बांसवाड़ा. राजस्थान में टिड्डी दल के हमले से किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ. इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से कृषि मंत्रालय के समिति की बैठक करवा कर 65 करोड़ रुपए की मंजूरी प्रदान की, लेकिन राज्य सरकार किसान सम्मान निधि की तरह इस राशि पर कुंडली मारकर बैठी है. जबकि कोरोना संक्रमण काल में किसानों के लिए यह सहायता राशि काफी अहम है. सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के खाते में तत्काल प्रभाव से राशि ट्रांसफर करना चाहिए. ये कहना है डूंगरपुर बांसवाड़ा सांसद कनकमल कटारा का.

सांसद कनकमल कटारा से खास बातचीत

वे बतौर कृषि मंत्रालय समिति सदस्य ईटीवी भारत से बातचीत कर रहे थे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के बीच नई दिल्ली जाकर क्षेत्र की समस्याओं को लेकर रेल मंत्री से भी उन्होंने संपर्क साधा. उनके सामने अहमदाबाद, उदयपुर वाया डूंगरपुर रेल मार्ग का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि जावर माइंस का काम अब गति पकड़ लिया है और अगले साल तक पटरी बिछाने का शेष काम भी पूरा होने की संभावना है.

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बांसवाड़ा के रेल प्रोजेक्ट के मामले में उनका कहना था कि राज्य सरकार की बेरुखी के कारण प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार के बीच आधा-आधा खर्च वहन किए जाने का एग्रीमेंट हुआ था. उसी को आगे बढ़ाते हुए गहलोत ने डूंगरपुर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के जरिए प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखवा दी, लेकिन अब मुख्यमंत्री गहलोत राशि देने से पीछे हट गए हैं.

राज्य सरकार की बेरुखी के कारण प्रोजेक्ट की बीएसआर दोगुनी अर्थात 4 हजार तक पहुंच गई है. बांसवाड़ा सांसद ने कहा कि ये पूरा शेड्यूल एरिया है. ऐसे में केंद्र सरकार से भी नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर इस एरिया को रेल के जरिए देश के विभिन्न कोनों से जोड़ने की दिशा में भी प्रयास कर रहा हूं. जनप्रतिनिधियों और राजनेताओं के तेजी से कोरोना की चपेट में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार की गाइडलाइन की पालना जरूरी है. जनता के लिए बहुत आवश्यक होने पर ही जनप्रतिनिधियों को बैठक बुलानी चाहिए.

पढ़ें- वासुदेव देवनानी का गहलोत सरकार पर ट्विटर वार, इन मुद्दों को लेकर सरकार पर किया कटाक्ष

बांसवाड़ा में एटॉमिक पावर प्लांट के संबंध में सांसद का कहना है कि जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है और लैंड टेस्टिंग के काम में कुछ अड़चने रही थी. यह समस्या प्रशासनिक दखल से करीब-करीब सॉल्व हो चुकी हैं. साथ ही अब सॉइल टेस्टिंग के काम ने गति पकड़ ली है. हम 2024 तक प्लांट का निर्माण कार्य शुरू करवाने की कोशिश कर रहे हैं.

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