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मिड डे मील रसोईया आंदोलन की राह पर, नारेबाजी के बीच धरना

बांसवाड़ा में रसोईयां संघ के पदाधिकारियों विरोध किया. उन्होंने मानदेय बढ़ाने की मांग की है.

विरोध करते रसोईया संघ के लोग
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Published : Feb 21, 2019, 10:44 PM IST

बांसवाड़ा. राजस्थान विद्यालय मिड डे मील कुक कम हेल्पर रसोईया संघ के लोगों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. गुरुवार को प्रदेश के जिला मुख्यालयों रसोईयां संघ ने अपनी पांच सूत्रीय मांगें कलेक्टर के सामने रखी. इस दौरान उन्होंने अपनी मांगें पूरी ना होने पर उग्र विरोध की चेतावनी दी है.

विरोध करते रसोईया संघ के लोग


दरअसल गुरुवार को बांसवाड़ा में कलेक्ट्रेट के बाहर जिले भर से महिला और पुरुष रसोई कर्मी एकत्र हुए. जहां कलेक्टर के सामने उन्होंने अपनी मांग रखी. विरोध में शामिल रसोईयां संघ के पदाधिकारियों की मांग है कि रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. उनके नियमित होने तक प्रतिमाह उन्हें 10 महीने तक मानदेय दिया जाए. साथ ही उन्हें विद्यालयों में उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाए.

यह भी पढ़ें:लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने बागियों को लेकर बनाई ये 'खास' रणनीति

रसोईयां संघ के प्रदेश अध्यक्ष मांगीलाल निनामा ने कहा है कि संगठन अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है. इसके चलते सरकार द्वारा वर्ष 2010 में रसोइयों का मानदेय 1320 रुपया कर दिया गया. लेकिन आज के हालात में इस राशि से घर चलाना मुश्किल है.

संगठन की मांग है कि रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. नियमित होने तक प्रतिमाह दस हजार रुपए मानदेय किया जाए ताकि आर्थिक तंगी से परेशान नहीं हो सके. निनामा के अनुसार जनजाति आश्रमों में रसोइयों को ठेका प्रथा के अधीन रखा गया है जो उनका शोषण कर रहे हैं. इन रसोइयों को भी ठेका प्रथा से मुक्त कर न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए. साथ ही रसोइयों को ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय के भुगतान की व्यवस्था की जानी चाहिए.

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बांसवाड़ा. राजस्थान विद्यालय मिड डे मील कुक कम हेल्पर रसोईया संघ के लोगों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. गुरुवार को प्रदेश के जिला मुख्यालयों रसोईयां संघ ने अपनी पांच सूत्रीय मांगें कलेक्टर के सामने रखी. इस दौरान उन्होंने अपनी मांगें पूरी ना होने पर उग्र विरोध की चेतावनी दी है.

विरोध करते रसोईया संघ के लोग


दरअसल गुरुवार को बांसवाड़ा में कलेक्ट्रेट के बाहर जिले भर से महिला और पुरुष रसोई कर्मी एकत्र हुए. जहां कलेक्टर के सामने उन्होंने अपनी मांग रखी. विरोध में शामिल रसोईयां संघ के पदाधिकारियों की मांग है कि रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. उनके नियमित होने तक प्रतिमाह उन्हें 10 महीने तक मानदेय दिया जाए. साथ ही उन्हें विद्यालयों में उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाए.

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रसोईयां संघ के प्रदेश अध्यक्ष मांगीलाल निनामा ने कहा है कि संगठन अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है. इसके चलते सरकार द्वारा वर्ष 2010 में रसोइयों का मानदेय 1320 रुपया कर दिया गया. लेकिन आज के हालात में इस राशि से घर चलाना मुश्किल है.

संगठन की मांग है कि रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. नियमित होने तक प्रतिमाह दस हजार रुपए मानदेय किया जाए ताकि आर्थिक तंगी से परेशान नहीं हो सके. निनामा के अनुसार जनजाति आश्रमों में रसोइयों को ठेका प्रथा के अधीन रखा गया है जो उनका शोषण कर रहे हैं. इन रसोइयों को भी ठेका प्रथा से मुक्त कर न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए. साथ ही रसोइयों को ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय के भुगतान की व्यवस्था की जानी चाहिए.

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Intro:बांसवाड़ा। लोकसभा चुनाव आने के साथ ही विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी कार्मिक आंदोलन की राह पर है। सहकारी सोसायटी कर्मचारियों की मांगो पर सरकार के सकारात्मक रूप के बाद राजस्थान विद्यालय मिड डे मील कुक कम हेल्पर रसोईया संघ द्वारा आंदोलन का कदम उठाया गया है । इसके तहत गुरुवार को प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों पर अपनी मांगों को लेकर रसोईया संघ द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया । बांसवाड़ा में कलेक्ट्रेट के बाहर जिले भर से महिला और पुरुष रसोई कर्मी एकत्र हुए और धरना दिया ।


Body:इन लोगों ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए अपनी पांच सूत्री मांगो पर सकारात्मक रवैया नहीं अपनाने पर आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी दी। बाद में इस संबंध में प्रधान मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया। इससे पूर्व संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मांगीलाल निनामा ने कहा कि संगठन अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहा है। इसके चलते सरकार द्वारा वर्ष 2010 में रसोइयों का मानदेय 1320 रुपया कर दिया गया लेकिन आज के हालात में इस राशि से घर चलाना मुश्किल है। संगठन की मांग है कि रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।


Conclusion:नियमित होने तक प्रतिमाह मानदेय ₹10000 किया जाए ताकि आर्थिक तंगी से परेशान नहीं हो सके। उन्हें विद्यालयों में उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया जाए। निनामा के अनुसार जनजाति आश्रमों में रसोइयों को ठेका प्रथा के अधीन रखा गया है जो उनका शोषण कर रहे हैं। इन रसोइयों को भी ठेका प्रथा से मुक्त कर न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए। साथ ही रसोइयों को ग्रीष्मकालीन अवकाश का मानदेय के भुगतान की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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