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स्पेशल: अव्यवस्था! आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर 'देश का भविष्य', सर्दी भी सितम ढा रही

प्रदेश की सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लाख दावे करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है. ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा में देखने को मिला. जहां दिसंबर माह की ठिठुरन भरी ठंड में बालक खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर नजर आए. बता दें कि ईटीवी भारत ने एक अभियान चलाया है, जिसके तहत प्रदेश के हर जिले में सरकारी स्कूलों का मुआयना किया जा रहा है.

भीलवाड़ा न्यूज, bhilwara latest news, स्पेशल रिपोर्ट, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, Government Primary School,माली खेड़ा ग्राम, Mali Kheda Village
माली खेड़ा ग्राम के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन ही नहीं
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Published : Dec 23, 2019, 12:16 PM IST

भीलवाड़ा. भले ही देश में डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया की बात की जाती है. लेकिन भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में ठिठुरन भरी दिसंबर माह की ठंड में भी बालक खुले में बैठकर अपने भविष्य के लिए पढ़ने को मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा जिले के हुरडा पंचायत समिति के गागेडा ग्राम पंचायत के माली खेड़ा ग्राम के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की.

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पढ़ाई के दौरान बच्चे

ईटीवी भारत जब इस विद्यालय में पहुंची तो यहां के छोटे-छोटे बच्चे ठिठुरन भरी सर्दी में खुले मे बैठकर पढ़ते नजर आए. शिक्षा ग्रहण कर रहे बालक राकेश कुमार हो या नरेश सभी ने कहा कि यहां स्कूल में एक कमरा भी नहीं है. वह निजी घर में खुले मैदान में बैठकर पढ़ते हैं. उन्हें पोषाहार भी निजी मकान की रसोई में बनाकर उपलब्ध करवाया जाता है.

ना शौचालय ना सुविधा...

बच्चों ने बताया कि यहां शौचालय की सुविधा नहीं है. वह खुले में शौच के लिए जाते हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि अगर उनके यहां स्कूल भवन का निर्माण हो जाए तो निश्चित रूप से वह अपना भविष्य संवार सकते हैं.

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शौचालय की सुविधा भी नहीं

जमीन अलॉट पर भवन नहीं...

भीलवाड़ा के माली खेड़ा गांव में 14 बालक अध्ययनरत हैं. स्कूल में कार्यरत शिक्षक अंकित कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि स्कूल भवन के लिए जमीन तो अलॉट हो रखी है. लेकिन अभी तक भवन के लिए पैसे स्वीकृत नहीं है. उन्होंने बताया कि इसी गांव के एक वरिष्ठ जन ने अपने मकान के परिसर में बैठने की अनुमति दी है. यहां वह बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवा पा रहे हैं.

यह भी पढे़ं : CAA और NRC को लेकर सीएम गहलोत का बड़ा बयान, कहा- राजस्थान में नहीं करेंगे लागू

बार-बार करवाया अवगत...

शिक्षक ने बताया कि बार-बार प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत करवाया गया है. लेकिन अभी तक भवन की स्वीकृति नहीं मिली है. यहां 2 शिक्षक पोस्टेड हैं, जिसमें एक का पदस्थापन दूसरी जगह कर दिया है. वह अकेले ही यहां नियमित रूप से इन बालकों को अध्ययन करवाते हैं. इनकी रसोई में ही पोषाहार बनाकर इन बालकों को खिलाया जाता है.

माली खेड़ा ग्राम के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन ही नहीं...

इस बार का बजट हुआ खत्म...

क्षेत्र के आसींद से भाजपा विधायक जबर सिंह सांखला ने बताया कि माली खेड़ा स्कूल का गंभीर मामला है. वह खुद वहां जाकर आये हैं. उनकी प्राथमिकता रहेगी कि जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण करवाया जाए. इस बार का बजट खत्म हो गया है. लेकिन जब मार्च में नया बजट मिलेगा उस बजट में स्कूल भवन का निर्माण करवाने के लिए पैसे स्वीकृत किए जाएंगे.

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पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते बच्चे

जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने बताया कि जिले में सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. जहां वह निरीक्षण के लिए जाते हैं वहां अगर कोई कमी नजर आती है तो तुरंत ठीक करवाई जाती है. वहीं जिले में समस्त सीबीओ को भी ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा गांव में बालक खुले में बैठते हैं तो वहां भवन बनाने की अति आवश्यकता है. इसको लेकर हमने वहां से सूचना मंगाई है और जल्द ही वहां भवन का निर्माण करवाया जाएगा.

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समस्याओं को बताते बच्चे

यह भी पढ़ें : जयपुर में जनसंख्या कानून सभा का आयोजन, 'टू चाइल्ड पॉलिसी' जल्द लागू करवाने की हुई मांग

बता दें कि भीलवाड़ा जिले में अभी तक 1800 तृतीय श्रेणी अध्यापकों के पद खाली हैं. अगर राज्य सरकार इन पदों को भर देती है तो शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी. वहीं भीलवाड़ा में करीब आठ से दस ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां महज एक शिक्षक अध्ययन करवाता है. जब एक शिक्षक छुट्टी पर चला जाता है तो वहां वैकल्पिक व्यवस्था करवाई जाती है.

भीलवाड़ा. भले ही देश में डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया की बात की जाती है. लेकिन भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में ठिठुरन भरी दिसंबर माह की ठंड में भी बालक खुले में बैठकर अपने भविष्य के लिए पढ़ने को मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा जिले के हुरडा पंचायत समिति के गागेडा ग्राम पंचायत के माली खेड़ा ग्राम के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की.

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पढ़ाई के दौरान बच्चे

ईटीवी भारत जब इस विद्यालय में पहुंची तो यहां के छोटे-छोटे बच्चे ठिठुरन भरी सर्दी में खुले मे बैठकर पढ़ते नजर आए. शिक्षा ग्रहण कर रहे बालक राकेश कुमार हो या नरेश सभी ने कहा कि यहां स्कूल में एक कमरा भी नहीं है. वह निजी घर में खुले मैदान में बैठकर पढ़ते हैं. उन्हें पोषाहार भी निजी मकान की रसोई में बनाकर उपलब्ध करवाया जाता है.

ना शौचालय ना सुविधा...

बच्चों ने बताया कि यहां शौचालय की सुविधा नहीं है. वह खुले में शौच के लिए जाते हैं. उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि अगर उनके यहां स्कूल भवन का निर्माण हो जाए तो निश्चित रूप से वह अपना भविष्य संवार सकते हैं.

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शौचालय की सुविधा भी नहीं

जमीन अलॉट पर भवन नहीं...

भीलवाड़ा के माली खेड़ा गांव में 14 बालक अध्ययनरत हैं. स्कूल में कार्यरत शिक्षक अंकित कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि स्कूल भवन के लिए जमीन तो अलॉट हो रखी है. लेकिन अभी तक भवन के लिए पैसे स्वीकृत नहीं है. उन्होंने बताया कि इसी गांव के एक वरिष्ठ जन ने अपने मकान के परिसर में बैठने की अनुमति दी है. यहां वह बच्चों को शिक्षा ग्रहण करवा पा रहे हैं.

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बार-बार करवाया अवगत...

शिक्षक ने बताया कि बार-बार प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत करवाया गया है. लेकिन अभी तक भवन की स्वीकृति नहीं मिली है. यहां 2 शिक्षक पोस्टेड हैं, जिसमें एक का पदस्थापन दूसरी जगह कर दिया है. वह अकेले ही यहां नियमित रूप से इन बालकों को अध्ययन करवाते हैं. इनकी रसोई में ही पोषाहार बनाकर इन बालकों को खिलाया जाता है.

माली खेड़ा ग्राम के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन ही नहीं...

इस बार का बजट हुआ खत्म...

क्षेत्र के आसींद से भाजपा विधायक जबर सिंह सांखला ने बताया कि माली खेड़ा स्कूल का गंभीर मामला है. वह खुद वहां जाकर आये हैं. उनकी प्राथमिकता रहेगी कि जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण करवाया जाए. इस बार का बजट खत्म हो गया है. लेकिन जब मार्च में नया बजट मिलेगा उस बजट में स्कूल भवन का निर्माण करवाने के लिए पैसे स्वीकृत किए जाएंगे.

भीलवाड़ा न्यूज, bhilwara latest news, स्पेशल रिपोर्ट, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, Government Primary School,माली खेड़ा ग्राम, Mali Kheda Village
पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते बच्चे

जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने बताया कि जिले में सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. जहां वह निरीक्षण के लिए जाते हैं वहां अगर कोई कमी नजर आती है तो तुरंत ठीक करवाई जाती है. वहीं जिले में समस्त सीबीओ को भी ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा गांव में बालक खुले में बैठते हैं तो वहां भवन बनाने की अति आवश्यकता है. इसको लेकर हमने वहां से सूचना मंगाई है और जल्द ही वहां भवन का निर्माण करवाया जाएगा.

भीलवाड़ा न्यूज, bhilwara latest news, स्पेशल रिपोर्ट, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, Government Primary School,माली खेड़ा ग्राम, Mali Kheda Village
समस्याओं को बताते बच्चे

यह भी पढ़ें : जयपुर में जनसंख्या कानून सभा का आयोजन, 'टू चाइल्ड पॉलिसी' जल्द लागू करवाने की हुई मांग

बता दें कि भीलवाड़ा जिले में अभी तक 1800 तृतीय श्रेणी अध्यापकों के पद खाली हैं. अगर राज्य सरकार इन पदों को भर देती है तो शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी. वहीं भीलवाड़ा में करीब आठ से दस ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां महज एक शिक्षक अध्ययन करवाता है. जब एक शिक्षक छुट्टी पर चला जाता है तो वहां वैकल्पिक व्यवस्था करवाई जाती है.

Intro:भीलवाड़ा- भले ही देश और प्रदेश की सरकार शिक्षकों को बढ़ावा देने के लिए लाख दावे करती है लेकिन जमीनी धरातल बिल्कुल इनसे अलग है ऐसा ही नजारा भीलवाड़ा जिले के हुरड़ा पंचायत समिति के गागेडा ग्राम पंचायत के माली खेड़ा गांव में देखने को मिला। जहां दिसंबर माह की ठीठूरन भरी ठंड में भी बालक खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर है । ईटीवी भारत ने धरातल पर ठीठुरन भरी सर्दी में बालकों के शिक्षा प्रणाली की जानकारी ली तो खुले में बैठ कर पढ़ रहे बालकों को देख दंग रह गए।


Body:भले ही देश में डिजिटल इंडिया मेक इन इंडिया की बात की जाती है लेकिन भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी ठीठुरन भरी दिसंबर माह की ठंड में भी बालक खुले में बैठकर अपने भविष्य के लिए पढ़ने को मजबूर है । जी हां हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा जिले के हुरडा पंचायत समिति के गागेडा ग्राम पंचायत के माली खेड़ा ग्राम जहां के छोटे छोटे बच्चे ठिठुरन भरी सर्दी में खुले मे बैठकर पढ़ने को मजबूर है । ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा गांव पहुंची इस ठीठुरन भरी सर्दी में खुले मे बैठ कर पढ़ रहे । ईटीवी भारत की टीम भी खुले मे बैठकर बच्चों को देखकर दंग रह गई।

शिक्षा ग्रहण कर रहे बालक राकेश कुमार हो या नरेश सभी ने कहा कि हमारे यहां स्कूल में कमरा एक भी नहीं है। हम निजी घर में खुले मैदान में बैठकर हमेशा पढ़ते हैं। हमारे को पोषाहार भी जो निजी मकान है इनकी रसोई में बनाकर ही हमारे को उपलब्ध करवाया जाता है। न यहां शौचालय है। हम खुले में शौच के लिए जाते हैं। लेकिन सरकार अगर हमारे यहां स्कूल भवन का निर्माण कर दे तो निश्चित रूप से हम उस में बैठकर हमारा भविष्य के लिए पढ़ाई कर सकते हैं ।

वन टू वन- सोमदत त्रिपाठी , मालीखेडा स्कुल के छात्रो के साथ

वही भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा गांव में 14 बालक अध्यनरत है 2 शिक्षक पोस्टेड होने पर मात्र एक शिक्षक को दूसरी जगह पद स्थापन पर लगा दिया। 1 शिक्षक स्कूल में कार्यरत है ।स्कूल में कार्यरत शिक्षक अंकित कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे स्कूल भवन के लिए जमीन तो अलॉट हो रखी है लेकिन अभी तक भवन के लिए पैसे स्वीकृत नहीं है । हमारे को इसी गांव के एक वरिष्ठ जन ने अपने मकान के परिसर में बैठने की अनुमति दी है। इसलिए हमारे बच्चे को यहां बैठाकर हम शिक्षा दे रहे हैं ।हमने बार-बार प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत करवा दिया है लेकिन अभी तक भवन की स्वीकृति नहीं मिली है। हमारे यहां 2 शिक्षक पोस्टेड है जिसमें एक का पदस्थापन दूसरी जगह कर दिया है। मैं अकेला ही यहां नियमित रूप से इन बालकों को अध्ययन करवाता हूं और इनकी रसोई में ही पोषाहार बनाकर इन बालकों को खिलाता हूं।

वाइट -अंकित शर्मा, अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माली खेड़ा

वही क्षेत्र के आसींद से भाजपा विधायक जबर सिंह सांखला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि माली खेड़ा स्कूल का गंभीर मामला है। मैं खुद वहां जाकर आया हूं। मेरी प्राथमिकता रहेगी कि जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण करवाया जाए । इस बार का बजट हमारे खत्म हो गया है ।लेकिन जब मार्च में नया बजट हमारे को मिलेगा उस बजट में सर्वप्रथम माली खेड़ा में स्कूल भवन का निर्माण करवाने के लिए हमारे मदद से पैसे स्वीकृत किए जाएंगे।

बाइट -जबर सिंह सांखला

विधायक आसींद

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि जिले में सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है ।जहां में निरीक्षण के लिए जाता हूं वहां अगर कोई कमी नजर आती है तो तुरंत ठीक करवाई जाती है। वहीं जिले में समस्त सीबीओ को निर्देश दे रखे कि समय-समय पर क्षेत्र की स्कूलों का निरीक्षण किया जाए और जहा भी कमी हो उसका निराकरण किया जाए। वही भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा गांव में बालक खुले में बैठते हैं तो वहां भवन बनाने की अति आवश्यकता है जिसको लेकर हमने वहां से सूचना मंगाई है और जल्द ही वहां भवन का निर्माण करवाया जाएगा। वही भीलवाड़ा जिले में अभी तक अट्ठारह सौ तृतीय श्रेणी अध्यापकों के पद खाली है। अगर राज्य सरकार इन पदों को भर देती है तो शिक्षकों की कमी नहीं रहेगी। वहीं भीलवाड़ा शहर में करीब आठ से दस ऐसे प्राथमिक विद्यालय है जहां महज एक शिक्षक अध्ययन करवाता है । जब एक शिक्षक छुट्टी पर चला जाता है तो हम वहां वैकल्पिक व्यवस्था करवाते हैं।

वाइट -तहसील अली खान
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक भीलवाड़ा

अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले के माली खेड़ा ग्राम मे बच्चे खुले में बैठ कर पढ़ रहे हैं उनके लिए क्षेत्रीय विधायक व प्रशासन कब भवन की स्वीकृति देता है जिससे वह आसानी से कमरे में बैठकर अपने भविष्य के लिए शिक्षा ग्रहण कर सके।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा


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