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नगर निगम वार्ड के सीमांकन में 'जहरीली बेल' लगाने का कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा खामियाजा : कटारिया

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Published : Nov 17, 2020, 10:57 PM IST

Updated : Nov 17, 2020, 11:06 PM IST

पंचायती राज चुनाव का प्रचार कार्य जोर पकड़ लिया है. पहले चरण का प्रचार कार्य लगभग अंतिम चरण में चल रहा है. बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बीटीपी नेता भी पहली बार मैदान में नजर आ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी द्वारा तीन स्थानों पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की जनसभा करवाई गई. इस दौरान कटारिया ने पंचायत राज के साथ-साथ विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी.

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'कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना होगा'

बांसवाड़ा. आगामी पंचायत राज चुनाव की तस्वीर पर चर्चा करते हुए कटारिया ने कहा कि अबकी बार जहां से भी कांग्रेस को जीत का दाना-पानी मिल रहा था, वह बंद हो जाएगा. लोकतंत्र के सबसे निचले पायदान से भी कांग्रेस का आधार खत्म होगा. इसका आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि जो हमने काम किया है. राज्य में हमारी सरकार के दौरान और वर्तमान में लगातार 6 साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे जन हितैषी कामकाज को जनता देख रही है. राज्य में जब से कांग्रेस ने सरकार बनाई है, पिछले दो साल में उसके बजट से एक कारी तक नहीं लगा पाई. उल्टा बिजली के दाम बढ़ा दिए गए, जिसका खामियाजा प्रदेश का हर वर्ग भुगत रहा है. निश्चित ही इस चुनाव में जनता कांग्रेस को सबक सिखाएगी और भारतीय जनता पार्टी अपना परचम लहराना में कामयाब होगी.

'कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना होगा'

पार्टी के लगातार सफलता के सोपान चढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमित शाह के नेतृत्व में निश्चित ही पार्टी मजबूत हुई है. नीचे से लेकर ऊपर तक जो मजबूती मिली, उसी का नतीजा आज यह पार्टी लगातार मजबूत होने के साथ-साथ आगे बढ़ रही है. परिवारवाद के सवाल पर पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि यह संस्कृति कांग्रेस में ज्यादा है. कांग्रेस के नेता मालवीय हों या फिर जनजाति मंत्री बामणिया अथवा पूर्व विधायक कांता भील. राजनीति को अपने परिवार से बाहर नहीं आने देना चाहते. कोई किसी की पत्नी को तो कोई अपने बेटे को राजनीति में आगे बढ़ाने में जुटा है. यहां तक कि उदयपुर में भी पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, सज्जन कटारा और विवेक कटारा जैसे नेता एमएलए का चुनाव लड़कर पंचायत समिति में जाने का मोह तक नहीं छोड़ पा रहे हैं. इसी परिवारवाद का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है, जो लगातार रसातल में जा रही है.

यह भी पढ़ें: भाजपा ने की ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग, सांसद दीया कुमारी ने CM को लिखा पत्र

कटारिया ने कहा कि मैं खुद 40 साल से राजनीति में हूं, लेकिन मैंने अपने बेटे या अपने परिवार को कभी भी आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने आदिवासी युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि यह जो परिवर्तन आया है, वह बीजेपी की देन है. पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे की नीतियों की बदौलत ही आज स्थानीय स्तर पर आरक्षण का प्रावधान हुआ है, जिसका क्षेत्र के युवाओं को फायदा मिल रहा है.

यह भी पढ़ें: Exclusive : करौली में कांग्रेस का बोर्ड बनना तय...पार्टी में कोई नाराजगी है तो बैठकर सुलझाएं कपिल सिब्बल : लाखन सिंह

निगम चुनाव में पार्टी की नाकामयाबी पर कहा कि कांग्रेस ने जो वार्ड सीमांकन में समुदाय विशेष को एक इकाई मानकर बंटवारा किया है. इस बिल का कांग्रेस को अगले 10 साल में नतीजा भुगतना होगा. जब उसके पास कोई सिर पीटने के अलावा विकल्प नहीं होगा. बीजेपी के चुनाव मैदान में होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पानी के बुलबुले हैं, जो हवा के साथ खत्म हो जाएंगे. प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ मैदान में रहकर जनता के वोट हासिल किए थे तो फिर सरकार बचाने के दौरान अशोक गहलोत की गोद में क्यों जाकर बैठ गए. उन्हें चुनाव में इसका जवाब देना होगा.

बांसवाड़ा. आगामी पंचायत राज चुनाव की तस्वीर पर चर्चा करते हुए कटारिया ने कहा कि अबकी बार जहां से भी कांग्रेस को जीत का दाना-पानी मिल रहा था, वह बंद हो जाएगा. लोकतंत्र के सबसे निचले पायदान से भी कांग्रेस का आधार खत्म होगा. इसका आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि जो हमने काम किया है. राज्य में हमारी सरकार के दौरान और वर्तमान में लगातार 6 साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे जन हितैषी कामकाज को जनता देख रही है. राज्य में जब से कांग्रेस ने सरकार बनाई है, पिछले दो साल में उसके बजट से एक कारी तक नहीं लगा पाई. उल्टा बिजली के दाम बढ़ा दिए गए, जिसका खामियाजा प्रदेश का हर वर्ग भुगत रहा है. निश्चित ही इस चुनाव में जनता कांग्रेस को सबक सिखाएगी और भारतीय जनता पार्टी अपना परचम लहराना में कामयाब होगी.

'कांग्रेस को उसका खामियाजा भुगतना होगा'

पार्टी के लगातार सफलता के सोपान चढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अमित शाह के नेतृत्व में निश्चित ही पार्टी मजबूत हुई है. नीचे से लेकर ऊपर तक जो मजबूती मिली, उसी का नतीजा आज यह पार्टी लगातार मजबूत होने के साथ-साथ आगे बढ़ रही है. परिवारवाद के सवाल पर पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि यह संस्कृति कांग्रेस में ज्यादा है. कांग्रेस के नेता मालवीय हों या फिर जनजाति मंत्री बामणिया अथवा पूर्व विधायक कांता भील. राजनीति को अपने परिवार से बाहर नहीं आने देना चाहते. कोई किसी की पत्नी को तो कोई अपने बेटे को राजनीति में आगे बढ़ाने में जुटा है. यहां तक कि उदयपुर में भी पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, सज्जन कटारा और विवेक कटारा जैसे नेता एमएलए का चुनाव लड़कर पंचायत समिति में जाने का मोह तक नहीं छोड़ पा रहे हैं. इसी परिवारवाद का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ रहा है, जो लगातार रसातल में जा रही है.

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कटारिया ने कहा कि मैं खुद 40 साल से राजनीति में हूं, लेकिन मैंने अपने बेटे या अपने परिवार को कभी भी आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने आदिवासी युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि यह जो परिवर्तन आया है, वह बीजेपी की देन है. पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे की नीतियों की बदौलत ही आज स्थानीय स्तर पर आरक्षण का प्रावधान हुआ है, जिसका क्षेत्र के युवाओं को फायदा मिल रहा है.

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निगम चुनाव में पार्टी की नाकामयाबी पर कहा कि कांग्रेस ने जो वार्ड सीमांकन में समुदाय विशेष को एक इकाई मानकर बंटवारा किया है. इस बिल का कांग्रेस को अगले 10 साल में नतीजा भुगतना होगा. जब उसके पास कोई सिर पीटने के अलावा विकल्प नहीं होगा. बीजेपी के चुनाव मैदान में होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह पानी के बुलबुले हैं, जो हवा के साथ खत्म हो जाएंगे. प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब विधानसभा में कांग्रेस के खिलाफ मैदान में रहकर जनता के वोट हासिल किए थे तो फिर सरकार बचाने के दौरान अशोक गहलोत की गोद में क्यों जाकर बैठ गए. उन्हें चुनाव में इसका जवाब देना होगा.

Last Updated : Nov 17, 2020, 11:06 PM IST
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