ETV Bharat / state

GGTU 3rd convocation : राज्यपाल ने कहा-आदिवासियों के औषधीय ज्ञान पर नए रूप में शोध की जरूरत

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि आदिवासी जनजीवन में प्राचीन वनस्पतियों का औषधीय और पर्यावरण संरक्षण संबंधी ज्ञान रचा बसा है. इस ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में प्रासंगिक बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए. मिश्र ने गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित (Kalraj mishra in GGTU 3rd convocation) करते हुए ये बात कही.

GGTU 3rd convocation
गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह
author img

By

Published : Jan 15, 2022, 5:16 PM IST

बांसवाड़ा/जयपुर. राज्पाल कलराज मिश्र का कहना है कि आदिवासी जन-जीवन में वनस्पतियों का प्राचीन औषधीय ज्ञान सहज रूप में मौजूद है. इस क्षेत्र में प्रचलित प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों पर नए रूप में शोध और अनुसंधान की दरकार है. आदिवासी समाज की दैनिक परंपराओं में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा वैज्ञानिक ज्ञान रचा-बसा है. इस ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए. वे आज शनिवार को गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह (Govind Guru Tribal University third convocation) को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे.

राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी और गैर-आदिवासी के बीच की खाई को पाटने के लिए इस विश्वविद्यालय को एक सेतु के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने विश्वविद्यालय में वेद्-विद्यापीठ के अंतर्गत वेदों को आधुनिक संदर्भ में देखते हुए वेद संस्कृति से जुड़े ज्ञान के संरक्षण का कार्य करने का सुझाव भी दिया. राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय-माही भवन तथा जनजाति संग्रहालय का ऑनलाइन लोकार्पण किया. उन्होंने विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘प्रतिध्वनि’ का भी लोकार्पण किया.

पढ़ें: अलवर विमंदित बालिका मामला: पूनिया बोले- सरकार का U Turn खड़ा कर रहा सवाल, मामले की जांच करे CBI

कुलपति ने कुल 21 छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किए. पीएचडी यानी शोध करने वाले 5 छात्र-छात्राओं को भी गोल्ड दिया गया. कार्यक्रम में अमूल दूध डेयरी के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी, उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति प्रोफेसर डॉ आईवी द्विवेदी ने भी छात्रों को संबोधित किया.

पढ़ें: Exclusive: स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने पर बोले मेघवाल- मोदी सरकार में 27 मंत्री पिछड़ी जातियों के, भाजपा ने दिलाया हक

'यूनिवर्सिटी नवाचार के लिए जानी जाएगी'

कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि अमूल डेयरी के प्रबंध निदेशक के द्वारा कई ओजपूर्ण बातें कही गई हैं. निश्चित रूप से यह जिले के लिए प्रशंसनीय हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जीजीटीयू नवाचारों के लिए जानी जाएगी. आदिवासी अंचल के विकास के लिए तत्पर है ऐसे में यूनिवर्सिटी को हर संभव मदद की जाएगी. आदिवासी अंचल का विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को नवाचार और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का विकास कर इस क्षेत्र के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.

पढ़ें: कोटाः बिहार की छात्रा ने हॉस्टल की 5वीं मंजिल से कूदकर दी जान, पिता से हुआ था मनमुटाव...मेडिकल की कर रही थी तैयारी

यूनिवर्सिटी आयोजित करेगी नोतरा

आईवी त्रिवेदी ने कहा कि आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी नोतरा का कार्यक्रम आयोजित करेगी. बताते चलें आदिवासी अंचल का एक परंपरागत कार्यक्रम है. जिसे नोतरा कहा जाता है. जिसके तहत किसी भी परिवार में धन एकत्रित करना सर्वमान्य कार्य है. पहले के जमाने में जब किसी परिवार में कोई शादी होती थी और लोगों के पास धन नहीं होता था तो वह नोतरा का कार्यक्रम करते थे. आसपास के लोग और रिश्तेदार खाना खाकर जाते थे और कुछ धनराशि देते थे. जिसका पूरा लेखा-जोखा रखा जाता था. यही चीज आगे चलकर परंपरा बन गई. अब हर आदिवासी परिवार में नोतरा का होने लगा है. कई लोगों ने इसका गलत फायदा भी उठाना शुरू कर दिया है.

बांसवाड़ा/जयपुर. राज्पाल कलराज मिश्र का कहना है कि आदिवासी जन-जीवन में वनस्पतियों का प्राचीन औषधीय ज्ञान सहज रूप में मौजूद है. इस क्षेत्र में प्रचलित प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों पर नए रूप में शोध और अनुसंधान की दरकार है. आदिवासी समाज की दैनिक परंपराओं में पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा वैज्ञानिक ज्ञान रचा-बसा है. इस ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जाने चाहिए. वे आज शनिवार को गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह (Govind Guru Tribal University third convocation) को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे.

राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी और गैर-आदिवासी के बीच की खाई को पाटने के लिए इस विश्वविद्यालय को एक सेतु के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने विश्वविद्यालय में वेद्-विद्यापीठ के अंतर्गत वेदों को आधुनिक संदर्भ में देखते हुए वेद संस्कृति से जुड़े ज्ञान के संरक्षण का कार्य करने का सुझाव भी दिया. राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति सचिवालय-माही भवन तथा जनजाति संग्रहालय का ऑनलाइन लोकार्पण किया. उन्होंने विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘प्रतिध्वनि’ का भी लोकार्पण किया.

पढ़ें: अलवर विमंदित बालिका मामला: पूनिया बोले- सरकार का U Turn खड़ा कर रहा सवाल, मामले की जांच करे CBI

कुलपति ने कुल 21 छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किए. पीएचडी यानी शोध करने वाले 5 छात्र-छात्राओं को भी गोल्ड दिया गया. कार्यक्रम में अमूल दूध डेयरी के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी, उच्च शिक्षा मंत्री और कुलपति प्रोफेसर डॉ आईवी द्विवेदी ने भी छात्रों को संबोधित किया.

पढ़ें: Exclusive: स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने पर बोले मेघवाल- मोदी सरकार में 27 मंत्री पिछड़ी जातियों के, भाजपा ने दिलाया हक

'यूनिवर्सिटी नवाचार के लिए जानी जाएगी'

कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने कहा कि अमूल डेयरी के प्रबंध निदेशक के द्वारा कई ओजपूर्ण बातें कही गई हैं. निश्चित रूप से यह जिले के लिए प्रशंसनीय हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जीजीटीयू नवाचारों के लिए जानी जाएगी. आदिवासी अंचल के विकास के लिए तत्पर है ऐसे में यूनिवर्सिटी को हर संभव मदद की जाएगी. आदिवासी अंचल का विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को नवाचार और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का विकास कर इस क्षेत्र के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.

पढ़ें: कोटाः बिहार की छात्रा ने हॉस्टल की 5वीं मंजिल से कूदकर दी जान, पिता से हुआ था मनमुटाव...मेडिकल की कर रही थी तैयारी

यूनिवर्सिटी आयोजित करेगी नोतरा

आईवी त्रिवेदी ने कहा कि आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी नोतरा का कार्यक्रम आयोजित करेगी. बताते चलें आदिवासी अंचल का एक परंपरागत कार्यक्रम है. जिसे नोतरा कहा जाता है. जिसके तहत किसी भी परिवार में धन एकत्रित करना सर्वमान्य कार्य है. पहले के जमाने में जब किसी परिवार में कोई शादी होती थी और लोगों के पास धन नहीं होता था तो वह नोतरा का कार्यक्रम करते थे. आसपास के लोग और रिश्तेदार खाना खाकर जाते थे और कुछ धनराशि देते थे. जिसका पूरा लेखा-जोखा रखा जाता था. यही चीज आगे चलकर परंपरा बन गई. अब हर आदिवासी परिवार में नोतरा का होने लगा है. कई लोगों ने इसका गलत फायदा भी उठाना शुरू कर दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.