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कोरोना संक्रमण के दौर में गरीबों का सुरक्षा कवच बनी 'फ्री राशन स्कीम'

कोरोना वायरस की मार ऐसी पड़ी कि लोगों का घर से बाहर निकलना भी दुश्वार हो गया. इसका सबसे ज्यादा अगर किसी वर्ग पर पड़ा तो वो है, गरीब तबका. जिसके पास ना ही पास करने को कोई काम बचा, ना ही खाने के लिए पैसे. ऐसे ये करें तो क्या करें? इन सबके बीच सरकार की ओर से इन गरीबों के लिए 'फ्री राशन स्कीम' लाई गई, जिससे इन्हें नि:शुल्क खाने की सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है.

बांसवाड़ा समाचार, banswara news
गरीबों का सुरक्षा कवच बनी 'फ्री राशन स्कीम'
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Published : May 25, 2020, 3:26 PM IST

बांसवाड़ा. कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन को 2 महीने का समय हो चुका है. लोगों को बेवजह घर से बाहर निकलने के लिए पाबंदी लगाई गई है. इसके चलते गरीब और मजदूर तबके के लोगों को खाने के लाले पड़ गए. क्योंकि, लॉकडाउन के दौरान ना ही किसी को कही जाने दिया जाता था और ना ही किसी प्रकार के काम करने अनुमति दी जा रही थी. इस संकट की घड़ी में खाद्य सुरक्षा योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ऐसे लोगों के लिए एक प्रकार से सारथी बनकर उभरी. क्योंकि, रोज कमाकर खाने वाले इन मजदूरों के पास कमाई का कोई साधन नहीं था. ऐसे में राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से राशन का नि:शुल्क वितरण किया जाना इस वर्ग के लिए और भी हितकारी साबित हुआ.

गरीबों का सुरक्षा कवच बनी 'फ्री राशन स्कीम'

राशन नि:शुल्क करने का सबसे सुखद परिणाम यह रहा कि समाज का यह तबका अपने घरों पर सुरक्षित रह पाई, जिससे सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए काफी हद तक कामयाब रही. इस दौरान अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों ना केवल गेहूं बल्कि दाल तक नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई. इन सबमें सबसे बड़ी बात यह रही कि अप्रैल और मई महीने का राशन घर-घर जाकर वितरित करवाया गया. इसमें पात्र 85 से 90 प्रतिशत परिवारों तक यह सुविधा पहुंचाई गई.

पढ़ें- बांसवाड़ाः यात्रियों में कोरोना का खौफ, 9 सवारियों को लेकर जयपुर रवाना हुई रोडवेज बस

हालांकि, लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग तत्काल ही सामने आ गए और गरीब वर्ग के लोगों तक भोजन के साथ-साथ खाद्य सामग्री के पैकेट पहुंचाने का क्रम शुरू हो गया. इस बीच लगभग 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों तक इन सामाजिक संगठनों का पहुंचना मुश्किल था. इस पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल कदम उठाया और इस प्रकार के परिवारों के लिए नि:शुल्क राशन वितरण की घोषणा कर दी. साथ ही इस पर हाथों-हाथ काम भी शुरू कर दिया गया. इस बीच मार्च के अंत तक खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में आने वाले 3 लाख 85 हजार में से 90 प्रतिशत परिवारों तक नि:शुल्क गेहूं पहुंचा दिया गया.

बता दें कि बांसवाड़ा जिले में कुल 5 लाख 23 हजार परिवार है, जिनमें से 3 लाख 85 हजार खाद्य सुरक्षा के दायरे में है. लोगों को अधिकाधिक घरों में रहने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से अंततः केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं के साथ एक किलो चने की दाल नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई. इस बीच अकेले बांसवाड़ा जिले में ही इस योजना के अंतर्गत 8480 मैट्रिक टन गेहूं आवंटित किए गए. इसके साथ ही मार्च से जून महीने तक के लिए एक-एक किलो दाल भी उपलब्ध करा दी गई. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में 96 प्रतिशत लोगों तक नि:शुल्क गेहूं और दाल पहुंचा दी गई. वहीं, मई का कोटा भी 90 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. इसके लिए राशन डीलरों को डोर टू डोर राशन पहुंचाने का जिम्मा दिया गया था.

पढ़ें- छूट का समय खत्म होने के बाद पुलिस की पेट्रोलिंग और भी तेज, समझाइश के साथ सख्ती

सीता मईडा का कहना था कि उसके पास नीला कार्ड है, लेकिन तकनीकी कारण बताकर उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा है. वहीं, मिट्ठू बाई का कहना था कि उन्हें लगातार राशन मिल रहा है और अप्रैल में दो बार राशन और दाल मिली. इसके साथ ही खजू मईडा के अनुसार उन्हें दाल और गेहूं नि:शुल्क मिले, लेकिन चीनी नहीं दी जा रही है.

वहीं, इस संबंध में जिला रसद अधिकारी प्रशिक्षु आईएएस रामप्रकाश ने बताया कि यह योजनाएं काफी कारगर रही और रोज लाने-रोज खाने वाला आदमी भी अपने घर पर आराम से रह पाया. उन्होंने बताया कि जिले में 3 लाख 85 हजार परिवार खाद्य सुरक्षा के दायरे में आ रहे हैं. इनमें से 90 प्रतिशत तक परिवारों को योजना का लाभ दिया गया और यह क्रम अभी भी बना हुआ है.

बांसवाड़ा. कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन को 2 महीने का समय हो चुका है. लोगों को बेवजह घर से बाहर निकलने के लिए पाबंदी लगाई गई है. इसके चलते गरीब और मजदूर तबके के लोगों को खाने के लाले पड़ गए. क्योंकि, लॉकडाउन के दौरान ना ही किसी को कही जाने दिया जाता था और ना ही किसी प्रकार के काम करने अनुमति दी जा रही थी. इस संकट की घड़ी में खाद्य सुरक्षा योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ऐसे लोगों के लिए एक प्रकार से सारथी बनकर उभरी. क्योंकि, रोज कमाकर खाने वाले इन मजदूरों के पास कमाई का कोई साधन नहीं था. ऐसे में राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की ओर से राशन का नि:शुल्क वितरण किया जाना इस वर्ग के लिए और भी हितकारी साबित हुआ.

गरीबों का सुरक्षा कवच बनी 'फ्री राशन स्कीम'

राशन नि:शुल्क करने का सबसे सुखद परिणाम यह रहा कि समाज का यह तबका अपने घरों पर सुरक्षित रह पाई, जिससे सरकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए काफी हद तक कामयाब रही. इस दौरान अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों ना केवल गेहूं बल्कि दाल तक नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई. इन सबमें सबसे बड़ी बात यह रही कि अप्रैल और मई महीने का राशन घर-घर जाकर वितरित करवाया गया. इसमें पात्र 85 से 90 प्रतिशत परिवारों तक यह सुविधा पहुंचाई गई.

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हालांकि, लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग तत्काल ही सामने आ गए और गरीब वर्ग के लोगों तक भोजन के साथ-साथ खाद्य सामग्री के पैकेट पहुंचाने का क्रम शुरू हो गया. इस बीच लगभग 60 प्रतिशत से अधिक परिवारों तक इन सामाजिक संगठनों का पहुंचना मुश्किल था. इस पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल कदम उठाया और इस प्रकार के परिवारों के लिए नि:शुल्क राशन वितरण की घोषणा कर दी. साथ ही इस पर हाथों-हाथ काम भी शुरू कर दिया गया. इस बीच मार्च के अंत तक खाद्य सुरक्षा योजना के दायरे में आने वाले 3 लाख 85 हजार में से 90 प्रतिशत परिवारों तक नि:शुल्क गेहूं पहुंचा दिया गया.

बता दें कि बांसवाड़ा जिले में कुल 5 लाख 23 हजार परिवार है, जिनमें से 3 लाख 85 हजार खाद्य सुरक्षा के दायरे में है. लोगों को अधिकाधिक घरों में रहने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से अंततः केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत प्रति व्यक्ति पांच किलो गेहूं के साथ एक किलो चने की दाल नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई. इस बीच अकेले बांसवाड़ा जिले में ही इस योजना के अंतर्गत 8480 मैट्रिक टन गेहूं आवंटित किए गए. इसके साथ ही मार्च से जून महीने तक के लिए एक-एक किलो दाल भी उपलब्ध करा दी गई. विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में 96 प्रतिशत लोगों तक नि:शुल्क गेहूं और दाल पहुंचा दी गई. वहीं, मई का कोटा भी 90 प्रतिशत तक पहुंच चुका है. इसके लिए राशन डीलरों को डोर टू डोर राशन पहुंचाने का जिम्मा दिया गया था.

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सीता मईडा का कहना था कि उसके पास नीला कार्ड है, लेकिन तकनीकी कारण बताकर उन्हें राशन नहीं दिया जा रहा है. वहीं, मिट्ठू बाई का कहना था कि उन्हें लगातार राशन मिल रहा है और अप्रैल में दो बार राशन और दाल मिली. इसके साथ ही खजू मईडा के अनुसार उन्हें दाल और गेहूं नि:शुल्क मिले, लेकिन चीनी नहीं दी जा रही है.

वहीं, इस संबंध में जिला रसद अधिकारी प्रशिक्षु आईएएस रामप्रकाश ने बताया कि यह योजनाएं काफी कारगर रही और रोज लाने-रोज खाने वाला आदमी भी अपने घर पर आराम से रह पाया. उन्होंने बताया कि जिले में 3 लाख 85 हजार परिवार खाद्य सुरक्षा के दायरे में आ रहे हैं. इनमें से 90 प्रतिशत तक परिवारों को योजना का लाभ दिया गया और यह क्रम अभी भी बना हुआ है.

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