बांसवाड़ा. राजनीति में ऊंट किस करवट बैठ जाए, कोई नहीं जानता. कुछ ऐसा ही हो रहा है बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर जहां स्थानीय भाजपा नेता हकरु मईड़ा ने बागी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इस ऐलान के बाद पार्टी में खलबली मच गई. स्वयं गुजरात के सीएम नितिन पटेल को इस मामले में दखल देनी पड़ी और हकरू को मनाने के लिए उनके आवास पर पहुंच गए. फिलहाल उनको मनाने का भरसक प्रयास किया जा रहा है. दरअसल, हकरू की टीम की और से शुक्रवार सुबह 11 बजे जयपुर रोड स्थित उनके आवास पर तमाम कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई गई थी. इस बीच गुजरात के पूर्व सीएम नीतिन पटेल और जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल भी उनके घर बिना किसी सूचना के पहुंच गए. करीब आधे घंटे चली बैठक के बाद वे दोनों वापस चले गए.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने बांसवाड़ा विधानसभा सीट से धनसिंह रावत को टिकट दिया है. इसके बाद स्थानीय भाजपा नेता हकरु मईड़ा की नाराजगी सामने आई थी. ऐसे में उन्होंने पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ऐसे में शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नितिन पटेल और भाजपा जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल उनके घर पहुंचे. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता भी मौजूद थे. उनको मनाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि पिछले चुनाव में धन सिंह ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़े थे. परिणाम यह हुआ कि पार्टी और धन सिंह दोनों हार गए. ऐसे में पार्टी इस बार कुछ भी ऐसा होने देना नहीं चाहती जिससे पार्टी को नुकसान हो.
जल्दबाजी में फैसला नहीं लें : नितिन पटेल जयपुर रोड स्थित हकरु के घर पहुंचे और उन्हें भरोसा दिलाया कि वे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लें. उन्होंने उनसे कहा कि आपकी बात को जयपुर व दिल्ली में तमाम नेताओं के समक्ष रखा जाएगा. इस पर हकरु ने जवाब दिया कि वो पार्टी कार्यकर्ता और अपने वर्कर के साथ मीटिंग कर रहै हैं. अगर वो चाहेंगे कि उन्हें चुनाव लड़ना है तो वो जरूर लड़ेंगे. जब नितिन पटेल वहां से रवाना हुए तब हकरु ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा जो भी सिंबल होगा, वह प्रत्येक कार्यकर्ता की पहचान होगा लेकिन पार्टी हमारी बीजेपी ही रहेगी. हम बीजेपी के कार्यकर्ता है और रहेंगे. हमें चुनाव कमल के फूल पर लड़ना था पर उसे एक बागी ले गया. इसलिए हम दूसरे चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरेंगे.
अधर में दिखाई दिए धन सिंह : धन सिंह ने इन तमाम मुद्दों को लेकर कहा कि अभी हमारे पास समय है, पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करेंगे. हाईकमान जो निर्णय लेगा, उसी पर काम करेंगे. उनके इस बयान से जाहिर है शायद उनको भी फिलहाल ऐसा लग रहा है कि उनका टिकट कैंसिल हो सकता है.
इसलिए कटा टिकट : हकरु वर्ष 2018 में विधानसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन वो हार गए थे. इससे पहले एक बार सांसद का चुनाव भी वो लड़ चुके हैं. उसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी पदाधिकारी का कहना है कि इसीलिए उनको इस बार टिकट नहीं दिया गया है. हालांकि पार्टी को भी उम्मीद नहीं थी कि वो इस तरह बगावती तेवर दिखा सकते हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि पार्टी हकरू के मामले में क्या फैसला लेती है.
एक समीकरण यह भी : पार्टी धन सिंह का टिकट कैंसिल कर हकरु मईड़ा को मौका दे सकती है. आने वाले दिनों में संसदीय चुनाव होंगे, ऐसे में धन सिंह को सांसद के रूप में पेश किया जा सकता है. धन सिंह एक बार पूर्व में सांसद रह चुके हैं. ऐसे में उन्हें सांसद का चुनाव लड़ने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी. पार्टी में बगावत को रोकने और दोनों सीट पर यही जीत का फार्मूला हो सकता है. गौरतलब है कि हकरु ने बीते 5 सालों में हर धार्मिक ट्रस्ट, मंदिर व अन्य संस्थाओं का सहयोग किया है. ऐसे में उनकी पहुंच वहां भी है, जहां सामान्य रूप से कोई भी नेता आसानी से नहीं पहुंचता है. टिकट वितरण से पहले उन्हें आरएसएस का खास माना जाता था. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि वो अगर पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी के प्रत्याशी की जीत की संभावना कम है.