बांसवाड़ा. जिले में खपत से अधिक शक्कर की खरीददारी पर लगभग 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. चीनी की खरीदारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांटते-बांटते राशन डीलर थक गए लेकिन चीनी का स्टॉक एक साल बाद भी खत्म नहीं हो पाया है. इसके चलते हजारों किलो शक्कर खराब हो गई है.
बता दें कि बड़ी मात्रा में शक्कर धेलो में तब्दील हो गई है और मिठास को कीड़े-मकोड़े चाट रहे हैं. अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 लाख रूपए की शक्कर के खराब होने की आशंका है. हालत यह है कि करीब 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. वहीं अगले 3 महीने में गोदाम में रखे शेष शक्कर के अवधि पार होने की आशंका है.
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जानकारी के अनुसार यह पूरा खेल जयपुर में बैठे अधिकारियों की ओर से खेला गया है, हालांकि इस बारे में स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे हैं. बता दें कि जिले में वर्ष 2018 में 10 हजार 829 क्विंटल लेवी चीनी भेजी गई. बांसवाड़ा जिले के लिए 665 क्विंटल प्रति माह शक्कर भेजी गई जबकि जिले में मांग केवल 480 क्विंटल प्रतिमाह थी. ऐसे में हर माह करीब 185 क्विंटल शक्कर का स्टॉक बढ़ता गया. हालत यह रही कि डेढ़ साल से डीलरों के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अंत्योदय परिवारों को शक्कर मुहैया कराई जाती रही लेकिन अब तक लगभग 3 हजार 300 क्विंटल शक्कर आपूर्ति निगम के गोदाम में पड़ी हुई है. जबकि आने वाले 3 माह में 1440 क्विंटल चीनी की खपत होगी यानि करीब 1860 क्विंटल शक्कर अवधि पार हो जाएगी.
हालांकि कोई भी अधिकारी एक्सपायरी की बात पर बोलने को तैयार नहीं है. वहीं समय रहते शेष बची शक्कर के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया तो करीब 60 लाख रुपए की शक्कर खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष के अंत में जब यह मामला सामने आया तो उच्च स्तर पर कोई जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की जांच कहां तक पहुंची फिलहाल इसका पता नहीं चल पा रहा है.
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रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी मणिलाल खींची के अनुसार वर्ष 2018 में हर माह मांग के मुकाबले अधिक शक्कर भेजने के कारण गोदामों में स्टॉक बढ़ता गया. नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी बैक्ट्रेक करता है लेकिन लापरवाही के चलते 200 क्विंटल शक्कर खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही खराब हो चुकी शक्कर को लेकर कमेटी बनाई गई है, जिसकी देखरेख में खराब शक्कर पशुओं को खिलाने के लिए पशुपालन विभाग को देना प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि पशुओं के खाने योग्य नहीं होने पर शक्कर को डिस्ट्रॉय करने का प्रस्ताव है.