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बांसवाड़ा : पहले अधिकारी चाट गए चीनी की चाशनी, अब चाट रहे कीड़े मकोड़े - Sugar News

बांसवाड़ा जिले में खपत से अधिक शक्कर की खरीददारी पर लगभग 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी मणिलाल खींची के अनुसार वर्ष 2018 में हर माह मांग के मुकाबले अधिक शक्कर भेजने के कारण गोदामों में स्टॉक बढ़ता गया. नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी बैक्ट्रेक करता है लेकिन लापरवाही के चलते 200 क्विंटल शक्कर खराब हो गई है.

शक्कर की मांग से अधिक खरीददारी, Sugar Shopping More Than Demand
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Published : Sep 4, 2019, 10:08 PM IST

बांसवाड़ा. जिले में खपत से अधिक शक्कर की खरीददारी पर लगभग 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. चीनी की खरीदारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांटते-बांटते राशन डीलर थक गए लेकिन चीनी का स्टॉक एक साल बाद भी खत्म नहीं हो पाया है. इसके चलते हजारों किलो शक्कर खराब हो गई है.

बांसबाड़ा जिले में लगभग 200 क्विंटल चीनी हुआ खराब

बता दें कि बड़ी मात्रा में शक्कर धेलो में तब्दील हो गई है और मिठास को कीड़े-मकोड़े चाट रहे हैं. अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 लाख रूपए की शक्कर के खराब होने की आशंका है. हालत यह है कि करीब 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. वहीं अगले 3 महीने में गोदाम में रखे शेष शक्कर के अवधि पार होने की आशंका है.

पढ़ें- पूर्व सीएम की सुविधाओं पर HC का फैसला...राठौड़ बोले- कांग्रेस ने ही शुरू की थी सुविधाओं में बढ़ोतरी

जानकारी के अनुसार यह पूरा खेल जयपुर में बैठे अधिकारियों की ओर से खेला गया है, हालांकि इस बारे में स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे हैं. बता दें कि जिले में वर्ष 2018 में 10 हजार 829 क्विंटल लेवी चीनी भेजी गई. बांसवाड़ा जिले के लिए 665 क्विंटल प्रति माह शक्कर भेजी गई जबकि जिले में मांग केवल 480 क्विंटल प्रतिमाह थी. ऐसे में हर माह करीब 185 क्विंटल शक्कर का स्टॉक बढ़ता गया. हालत यह रही कि डेढ़ साल से डीलरों के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अंत्योदय परिवारों को शक्कर मुहैया कराई जाती रही लेकिन अब तक लगभग 3 हजार 300 क्विंटल शक्कर आपूर्ति निगम के गोदाम में पड़ी हुई है. जबकि आने वाले 3 माह में 1440 क्विंटल चीनी की खपत होगी यानि करीब 1860 क्विंटल शक्कर अवधि पार हो जाएगी.

हालांकि कोई भी अधिकारी एक्सपायरी की बात पर बोलने को तैयार नहीं है. वहीं समय रहते शेष बची शक्कर के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया तो करीब 60 लाख रुपए की शक्कर खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष के अंत में जब यह मामला सामने आया तो उच्च स्तर पर कोई जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की जांच कहां तक पहुंची फिलहाल इसका पता नहीं चल पा रहा है.

पढ़ें- 5 दशक पुराना राजस्थान सरकार और दिल्ली सरकार का विवाद सुलझा, राजस्थान सरकार को मिला 'उदयपुर हाऊस'

रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी मणिलाल खींची के अनुसार वर्ष 2018 में हर माह मांग के मुकाबले अधिक शक्कर भेजने के कारण गोदामों में स्टॉक बढ़ता गया. नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी बैक्ट्रेक करता है लेकिन लापरवाही के चलते 200 क्विंटल शक्कर खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही खराब हो चुकी शक्कर को लेकर कमेटी बनाई गई है, जिसकी देखरेख में खराब शक्कर पशुओं को खिलाने के लिए पशुपालन विभाग को देना प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि पशुओं के खाने योग्य नहीं होने पर शक्कर को डिस्ट्रॉय करने का प्रस्ताव है.

बांसवाड़ा. जिले में खपत से अधिक शक्कर की खरीददारी पर लगभग 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. चीनी की खरीदारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांटते-बांटते राशन डीलर थक गए लेकिन चीनी का स्टॉक एक साल बाद भी खत्म नहीं हो पाया है. इसके चलते हजारों किलो शक्कर खराब हो गई है.

बांसबाड़ा जिले में लगभग 200 क्विंटल चीनी हुआ खराब

बता दें कि बड़ी मात्रा में शक्कर धेलो में तब्दील हो गई है और मिठास को कीड़े-मकोड़े चाट रहे हैं. अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब 60 लाख रूपए की शक्कर के खराब होने की आशंका है. हालत यह है कि करीब 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है. वहीं अगले 3 महीने में गोदाम में रखे शेष शक्कर के अवधि पार होने की आशंका है.

पढ़ें- पूर्व सीएम की सुविधाओं पर HC का फैसला...राठौड़ बोले- कांग्रेस ने ही शुरू की थी सुविधाओं में बढ़ोतरी

जानकारी के अनुसार यह पूरा खेल जयपुर में बैठे अधिकारियों की ओर से खेला गया है, हालांकि इस बारे में स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे हैं. बता दें कि जिले में वर्ष 2018 में 10 हजार 829 क्विंटल लेवी चीनी भेजी गई. बांसवाड़ा जिले के लिए 665 क्विंटल प्रति माह शक्कर भेजी गई जबकि जिले में मांग केवल 480 क्विंटल प्रतिमाह थी. ऐसे में हर माह करीब 185 क्विंटल शक्कर का स्टॉक बढ़ता गया. हालत यह रही कि डेढ़ साल से डीलरों के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अंत्योदय परिवारों को शक्कर मुहैया कराई जाती रही लेकिन अब तक लगभग 3 हजार 300 क्विंटल शक्कर आपूर्ति निगम के गोदाम में पड़ी हुई है. जबकि आने वाले 3 माह में 1440 क्विंटल चीनी की खपत होगी यानि करीब 1860 क्विंटल शक्कर अवधि पार हो जाएगी.

हालांकि कोई भी अधिकारी एक्सपायरी की बात पर बोलने को तैयार नहीं है. वहीं समय रहते शेष बची शक्कर के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया तो करीब 60 लाख रुपए की शक्कर खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष के अंत में जब यह मामला सामने आया तो उच्च स्तर पर कोई जांच कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की जांच कहां तक पहुंची फिलहाल इसका पता नहीं चल पा रहा है.

पढ़ें- 5 दशक पुराना राजस्थान सरकार और दिल्ली सरकार का विवाद सुलझा, राजस्थान सरकार को मिला 'उदयपुर हाऊस'

रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी मणिलाल खींची के अनुसार वर्ष 2018 में हर माह मांग के मुकाबले अधिक शक्कर भेजने के कारण गोदामों में स्टॉक बढ़ता गया. नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी बैक्ट्रेक करता है लेकिन लापरवाही के चलते 200 क्विंटल शक्कर खराब हो गई है. उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. साथ ही खराब हो चुकी शक्कर को लेकर कमेटी बनाई गई है, जिसकी देखरेख में खराब शक्कर पशुओं को खिलाने के लिए पशुपालन विभाग को देना प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि पशुओं के खाने योग्य नहीं होने पर शक्कर को डिस्ट्रॉय करने का प्रस्ताव है.

Intro:

बांसवाड़ा। भ्रष्ट अधिकारियों के निशाने पर हमेशा से ही गरीब लोगों की योजनाएं रहती है। प्रदेश स्तर पर जयपुर में बैठे आकाओं ने मांग के मुकाबले अधिक चीनी खरीद ली । चीनी की खरीदारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बांटते बांटते राशन डीलर थक गए लेकिन लेवी चीनी का स्टॉक 1 साल बाद भी खत्म नहीं हो पाया है। इसके चलते हजारों किलो शक्कर खराब हो गई lBody: हालत यह है कि बड़ी मात्रा में शक्कर धेलो में तब्दील हो गई है और मिठास को कीड़े मकोड़े चाट रहे हैं । अकेले बांसवाड़ा जिले में ही करीब ₹ 60 लाख की शक्कर के खराब होने की आशंका है। कमीशन खोरी के चक्कर में इतनी शक्कर भेज दी जी डेढ़ साल में भी नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी खपत नहीं कर पाया। पाई है। हालत यह है कि करीब 200 क्विंटल शक्कर पूरी तरह खराब हो चुकी है जो इंसान तो क्या जानवरों के खाने लायक भी नहीं बची है। और तो और अगले 3 माह में गोदाम में कैद शेष शक्कर के अवधि पार होने की आशंका है।

सूत्रों से पता चला है कि यह पूरा खेल जयपुर में बैठे अधिकारियों द्वारा खेला गया हालांकि इस बारे में स्थानीय अधिकारी चुप्पी साधे हैं । मामला दरअसल इस प्रकार है कि जिले में वर्ष 2018 में 10829 क्विंटल लेवी चीनी भेजी गई । बांसवाड़ा जिले के लिए 665 क्विंटल प्रति माह शक्कर भेजी गई जबकि जिले में मांग केवल 480 क्विंटल प्रतिमाह थी। ऐसे में हर माह करीब 185 क्विंटल शक्कर का स्टॉक बढ़ता गया। हालत यह रही कि डेढ़ साल से डीलरों के जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अंत्योदय परिवारों को शक्कर मुहैया कराई जाती रही लेकिन अब तक लगभग 3300 क्विंटल शक्कर आपूर्ति निगम के गोदाम में पड़ी हुई है। जबकि आने वाले 3 माह में 1440 क्विंटल की खपत होगी यानी करीब 1860 क्विंटल शक्कर अवधि पार हो जाएगी। हालांकि कोई भी अफसर एक्सपायरी वाली बात पर बोलने को तैयार नहीं है। फिलहाल मामला केबल खराब हुई शक्कर को लेकर उठ रहा है। जिसकी कीमत वर्तमान बाजार में लाखों में बताई जा रही है। समय रहते शेष बची शक्कर के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया तो करीब 60 लाख रुपए की शक्कर खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

Conclusion:जयपुर में बड़े स्तर पर जांच

सूत्रों से पता चला है कि गत वर्ष के अंत में जब यह मामला सामने आया तो उच्च स्तर पर कोई जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी की जांच कहां तक पहुंची फिलहाल इसका पता नहीं चल पा रहा है।

नागरिक आपूर्ति को नोटिस

रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी मणिलाल खींची के अनुसार वर्ष 2018 में हर माह मांग के मुकाबले अधिक शक्कर भेजने के कारण गोदामों में स्टॉक बढ़ता गयाl क्या हुआ है नागरिक आपूर्ति विभाग इसकी बैक्ट्रेक करता है लेकिन लापरवाही के चलते 200 क्विंटल शकल खराब हो गई हैl हमने इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया हैl साथ ही खराब हो चुकी शक्कर को लेकर कमेटी बनाई गई है जिसकी देखरेख में खराब शक्कर पशुओं को खिलाने के लिए पशुपालन विभाग को देना प्रस्तावित हैl पशुओं के खाने योग्य नहीं होने पर शक्कर को डिस्ट्रॉय करने का प्रस्ताव हैl

बाइट...... मणिलाल खींची प्रवर्तन अधिकारी रसद विभाग बांसवाड़ा
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