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लॉकडाउन के कारण आबकारी विभाग का गणित बिगड़ा, एक तिहाई ठेकेदार नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लग गया. जिसका असर आबकारी विभाग पर भी पड़ा है. शराब ठेकेदार नीलामी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. 2 महीने शराब बैन के चलते ठेकेदारों के पास केवल 10 महीने बचे है. इसलिए विभाग द्वारा फिर से कराई गई नीलामी में भी ठेकेदारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.

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शराब ठेकेदार नीलामी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं
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Published : Jun 1, 2020, 9:42 PM IST

बांसवाड़ा. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं. इसी कड़ी में आबकारी विभाग पर भी कोरोना का ग्रहण लगता दिख रहा है. फरवरी में जिले की देसी और विदेशी शराब के ठेकों के लिए लॉटरी निकाली गई थी. इस दौरान हर समूह के लिए बंदोबस्त का काम पूरा हो गया, परंतु दुकानों को ठेकेदारों को सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी होती, उससे पहले ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा दिया गया.

शराब ठेकेदार नीलामी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं

उस समय तक 38 में से 24 ठेकों की आवश्यक राशि जमा हो पाई और अन्य आवंटी लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन डाउन आगे बढ़ता रहा और लगभग 2 महीने से अधिक समय तक शराब की बिक्री पर पाबंदी रही. ऐसे में ठेकेदारों के पास केवल 10 महीने रह गए हैं.घाटे का सौदा बनता देख कर शेष आवंटियों द्वारा हाथ खड़े कर लिए गए. इसके बाद आबकारी विभाग सक्रिय हो गया और ठेकेदारों के नुकसान को देखते हुए 15% राशि भी कम कर दी परंतु ठेकेदार टस से मस नहीं हुए.

पढ़ें: SPECIAL: विश्व की सबसे बड़ी गौशाला में लॉकडाउन के चलते खड़ी हो गई ये बड़ी मुसीबत!

आखिर में सरकार ने इन समूहों के लिए फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई, लेकिन एक भी ठेकेदार ने हिस्सा नहीं लिया. नतीजा ये रहा कि विभाग द्वारा एक बार फिर से इन समूहों के लिए लॉटरी निकाले जाने की तैयारी की जा रही है. जिले में आबकारी विभाग के 38 ग्रुप होने के साथ ही इनमें 48 दुकानें हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए फरवरी में लॉटरी प्रक्रिया अपनाई गई और सारे ठेकों का बंदोबस्त हो गया. मार्च के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में 24 समूह द्वारा आवश्यक प्रक्रिया अपनाते हुए नियमानुसार आबकारी विभाग की राशि जमा करा दी गई.

पढ़ें: राज्यसभा की 18 सीटों के लिए 19 जून को होंगे चुनाव

जबकि अन्य आवंटियों द्वारा मार्च के अंत तक राशि जमा कराए जाने की तैयारी की जा रही थी कि अचानक मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया. इसके बाद भी लगातार लॉकडाउन आगे भी जारी रहा और मई के पहले पखवाड़े तक शराब बिक्री पर प्रतिबंध रहा. इसका नतीजा यह हुआ कि 14 ग्रुप के आवंटियों द्वारा अपने हाथ खींच लिए.

जिला आबकारी अधिकारी रियाजुद्दीन उस्मानी के अनुसार 14 ग्रुप की राशि जमा नहीं हो पाई. सरकार ने उनके नुकसान की भरपाई के लिए 15% राजस्व में कमी भी कर दी, लेकिन कोई भी ठेकेदार आगे नहीं आया. सरकार के आदेश अनुसार हमने 29 मई को फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई लेकिन एक भी ठेकेदार नहीं आया. इस संबंध में हमने प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को भेज दिया है और आगे के आदेशों के अनुसार फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

बांसवाड़ा. कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया. लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं. इसी कड़ी में आबकारी विभाग पर भी कोरोना का ग्रहण लगता दिख रहा है. फरवरी में जिले की देसी और विदेशी शराब के ठेकों के लिए लॉटरी निकाली गई थी. इस दौरान हर समूह के लिए बंदोबस्त का काम पूरा हो गया, परंतु दुकानों को ठेकेदारों को सुपुर्दगी की प्रक्रिया पूरी होती, उससे पहले ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लगा दिया गया.

शराब ठेकेदार नीलामी में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं

उस समय तक 38 में से 24 ठेकों की आवश्यक राशि जमा हो पाई और अन्य आवंटी लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन डाउन आगे बढ़ता रहा और लगभग 2 महीने से अधिक समय तक शराब की बिक्री पर पाबंदी रही. ऐसे में ठेकेदारों के पास केवल 10 महीने रह गए हैं.घाटे का सौदा बनता देख कर शेष आवंटियों द्वारा हाथ खड़े कर लिए गए. इसके बाद आबकारी विभाग सक्रिय हो गया और ठेकेदारों के नुकसान को देखते हुए 15% राशि भी कम कर दी परंतु ठेकेदार टस से मस नहीं हुए.

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आखिर में सरकार ने इन समूहों के लिए फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई, लेकिन एक भी ठेकेदार ने हिस्सा नहीं लिया. नतीजा ये रहा कि विभाग द्वारा एक बार फिर से इन समूहों के लिए लॉटरी निकाले जाने की तैयारी की जा रही है. जिले में आबकारी विभाग के 38 ग्रुप होने के साथ ही इनमें 48 दुकानें हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए फरवरी में लॉटरी प्रक्रिया अपनाई गई और सारे ठेकों का बंदोबस्त हो गया. मार्च के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में 24 समूह द्वारा आवश्यक प्रक्रिया अपनाते हुए नियमानुसार आबकारी विभाग की राशि जमा करा दी गई.

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जबकि अन्य आवंटियों द्वारा मार्च के अंत तक राशि जमा कराए जाने की तैयारी की जा रही थी कि अचानक मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया. इसके बाद भी लगातार लॉकडाउन आगे भी जारी रहा और मई के पहले पखवाड़े तक शराब बिक्री पर प्रतिबंध रहा. इसका नतीजा यह हुआ कि 14 ग्रुप के आवंटियों द्वारा अपने हाथ खींच लिए.

जिला आबकारी अधिकारी रियाजुद्दीन उस्मानी के अनुसार 14 ग्रुप की राशि जमा नहीं हो पाई. सरकार ने उनके नुकसान की भरपाई के लिए 15% राजस्व में कमी भी कर दी, लेकिन कोई भी ठेकेदार आगे नहीं आया. सरकार के आदेश अनुसार हमने 29 मई को फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई लेकिन एक भी ठेकेदार नहीं आया. इस संबंध में हमने प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को भेज दिया है और आगे के आदेशों के अनुसार फिर से लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

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