बांसवाड़ा. कोरोना वायरस की भयावहता को हम सभी देख रहे हैं. एक हल्की सी चूक एक दूसरे में फैलाव का कारण बन जाती है. इसे देखते हुए संदिग्ध रोगियों की जांच और चिकित्सा व्यवस्था के दौरान चिकित्सकों के लिए पीपीई किट के साथ मास्क और ग्लव्स अनिवार्य हैं, लेकिन बांसवाड़ा शहर में कोरोना संदिग्धों को घर-घर जाकर तलाश रहे नर्सिंग स्टूडेंट्स को ग्लव्स के नाम पर एक्सपायरी डेटेड ग्लव्स थमाए जा रहे हैं. इन ग्लव्स से स्किन इन्फेक्शन की शिकायतें बढ़ रही हैं.
इसका सबसे बड़ा नुकसान नर्सिंग स्टूडेंट्स के लिए स्किन डिजीज के रूप में सामने आ रहा है. इसके उपयोग के बाद ना केवल खुजली हो रही है बल्कि कई स्टूडेंट के हाथों से चमड़ी उतरने की शिकायत भी आ रही है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया, लेकिन पुरानी चीज बता कर शिकायत को अनदेखा किया जा रहा है.
इस दौरान कई नर्सिंग स्टूडेंट्स ने ईटीवी भारत को चिकित्सा विभाग की ओर से सर्वे के लिए उपलब्ध कराए जा रहे ग्लव्स दिखाए. जिन पर स्पष्ट रूप से मैन्युफैक्चरिंग डेट अक्टूबर 2014 दर्शाई गई है. वहीं, एक्सपायरी डेट सितंबर 2019 अंकित है. अर्थात इन ग्लव्स को खराब हुए 7 माह बीत चुके हैं. इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों की ओर से नर्सिंग स्टूडेंट की जान को जोखिम में डालते हुए एक्सपायरी डेटेड ग्लव्स थमाने से बाज नहीं आ रहे हैं.
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नर्सिंग स्टूडेंट से हुई बातचीत में सामने आया कि उन्हें कोरोना संदिग्धों के सर्वे के लिए हर तीसरे दिन दो दो ग्लव्स दिए जा रहे हैं. इनके उपयोग से हाथों में खुजली के साथ चमड़ी उतरने और काली पड़ने की शिकायत भी आ रही है. इस बारे में हॉस्पिटल प्रशासन को बताया गया, लेकिन हंसी मजाक में टाल दिया गया. इस कारण मजबूरी में एक्सपायरी डेट ग्लव्स से काम चलाना पड़ रहा है जबकि इससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है.
नर्सिंग स्टूडेंट भगवती निनामा ने बताया कि जब से सर्वे कार्य चल रहा है तब से ही स्टूडेंट को एक्सपायरी डेट ग्लव्स दिए जा रहे हैं जबकि इससे स्किन इन्फेक्शन हो रहा है. हमनें इस बारे में महात्मा गांधी चिकित्सालय के उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई और एक्सपायरी डेट ग्लव्स ही दिए जा रहे हैं. बता दें कि जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर में 180 छात्र छात्राओं का प्रशिक्षण चल रहा है और वर्तमान में 130 से अधिक स्टूडेंट कोरोना सर्वे कर रहे हैं.