बांसवाड़ा. सोयाबीन की फसल को लेकर किसानों के सामने खरपतवार की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. एक तो बारिश नहीं हो रही है और फसलों को पानी की बहुत जरूरत है. वहीं खरपतवार तेजी से बढ़ रहा है, इसे लेकर काश्तकार चिंतित हो उठे हैं. क्योंकि खरपतवार के खात्मे के लिए इस्तेमाल किया गया कीटनाशक भी बेअसर साबित हो रहा है.
किसानों की माने तो पिछले पांच साल से वे लोग इस नई समस्या से जूझ रहे हैं. कृषि विभाग के सुझाव के अनुरूप हर ब्रांड के कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा रहा है. परंतु खरपतवार खत्म होने के स्थान पर और भी तेजी से बढ़ रहे हैं. अब हाथों से खरपतवार को निकालना ही एकमात्र विकल्प बच गया. किसानों को हजारों रुपए मजदूरी पर खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे लागत मूल्य और भी बढ़ता जा रहा है. किसानों ने मार्केट में नकली कीटनाशक बेचे जाने की आशंका जताई है. वहीं कृषि विभाग का कहना है कि नमी की कमी के कारण कीटनाशक असर नहीं कर पा रहे हैं.
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आंकड़े बताते हैं कि बांसवाड़ा में 1 जनवरी से 24 जुलाई तक कुल 242 मिली मीटर बारिश दर्ज की गई. जो कि औसत के मुकाबले 20 प्रतिशत भी नहीं है. इसका सबसे बुरा असर खरीफ फसलों पर पड़ा है. Etv Bharat की टीम बारिश के अभाव में फसलों की स्थिति को लेकर आसपास के कुछ गांव पहुंची तो हालात भयावह नजर आए.
![सोयाबीन की फसल मक्के की खेती खेतों में खरपतवार खरपतवार की समस्या weed problem weed in the fields maize farming soybean crop monsoon rains in rajasthan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8154283_3.jpg)
खूब होती है मक्का और सोयाबीन को बुवाई
बांसवाड़ा में करीब एक लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई की गई है. वहीं इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी फसल 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोया गया है. मानसून की बेरुखी से सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल प्रभावित होना सामने आया है. समय पर पानी नहीं मिलने से करीब 20 प्रतिशत बीज अंकुरित नहीं हो पाया. जहां बीज अंकुरित हो गया, उसके एक बड़े हिस्से को ग्रोथ नहीं मिल पाई. स्थिति यह थी कि खेतों में सोयाबीन का एक हिस्सा बड़ा हो गया तो दूसरा अपेक्षाकृत बढ़ नहीं पाया. यहां तक की पानी के अभाव में फसलें सूखने भी लगी हैं.
![सोयाबीन की फसल मक्के की खेती खेतों में खरपतवार खरपतवार की समस्या weed problem weed in the fields maize farming soybean crop monsoon rains in rajasthan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8154283_1.jpg)
किसानों का मानना है कि अगले तीन-चार दिन में बारिश नहीं होने पर हालात और भी विकट हो सकते हैं. जैसे-तैसे कर फिर से सोयाबीन की बुवाई की गई, लेकिन पानी नहीं मिलने से आधे-अधूरे बीज जमीन से निकल पाए. एक तो फसलें कमजोर होती जा रही हैं तो दूसरी ओर खरपतवार की ग्रोथ में किसानों की कमर तोड़ दी है.
खेतों में फैल रहा खरपतवार
पिछले कई साल के मुकाबले इस बार सोयाबीन में खरपतवार तेजी से फैला है. हालांकि कृषि विभाग की सलाह के अनुसार हर प्रकार के कीटनाशक आदि इस्तेमाल किया गया, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं दिखा और खरपतवार की ग्रोथ और भी बढ़ गई. किसानों की माने तो पिछले पांच साल से यह नई समस्या सामने आ रही है. कुल मिलाकर मजदूर लगाकर खरपतवार निकालना मजबूरी बन चुकी है. इससे लागत मूल्य और भी बढ़ गया है.
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किसानों का मानना है कि मार्केट में धड़ल्ले से नकली कीटनाशक बेचा जा रहा है. व्यापारी कीटनाशक का बिल तक नहीं दे रहे हैं. इससे एक बात तय है कि ब्रांडेड कीटनाशकों की आड़ में बड़े स्तर पर नकली पेस्टिसाइड्स बेचा जा रहा है.
![सोयाबीन की फसल मक्के की खेती खेतों में खरपतवार खरपतवार की समस्या weed problem weed in the fields maize farming soybean crop monsoon rains in rajasthan](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8154283_2.jpg)
इस संबंध में कृषि विभाग के उपनिदेशक (विस्तार) डॉ. बीएल पाटीदार से संपर्क किया तो उन्होंने बारिश के अभाव में फसलों की स्थिति क्रिटिकल बताते हुए नमी बनाए रखने के लिए निराई गुड़ाई का आग्रह किया. ताकि फसलों में नमी बनाई रखी जा सके. कीटनाशक के मसले पर उनका कहना था कि समय-समय पर सैंपल लिए जा रहे हैं. जहां तक कीटनाशक के बेहतर होने का सवाल है, नमी नहीं होने के कारण कीटनाशक असर नहीं कर पा रहे हैं. वैसे भी पानी की कमी चल रही है, ऐसे में बारिश होने के बाद ही किसानों को कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए.