बांसवाड़ा. कोरोना महामारी ने समाज के हर तबके को प्रभावित किया है. कला संस्कृति संबंधी आयोजनों पर सरकारी रोक के चलते कला साधकों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया. सरकार अब धीरे-धीरे कुछ ढील दे रही है. ऐसे में जिले के कला साधकों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर मदद की गुहार लगाई. संगठन की ओऱ से स्थानीय आयोजनों में प्राथमिकता दिए जाने का आग्रह किया है.
कला साधकों की संस्था संस्कार भारती के बैनर तले शहर और ग्रामीण क्षेत्र के साहित्यकार, चिंतक, गायक, वादक, चित्रकार, रंगकर्मी आदि कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां से कलाकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने जिला कलेक्टर अंकित कुमार सिंह से मुलाकात की और उन्हें अपनी मांगों से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र दिया.
संस्था के पदाधिकारियों ने ज्ञापन में कहा कि कोरोना काल में सांस्कृतिक और कला प्रस्तुतियां बंद होने के कारण इस क्षेत्र से जुड़े लोक और जनजाति कलाकार, चित्रकार, शिल्पकार, गायक, वादक, साहित्यकारों के समक्ष अपने परिवारों का पेट पालना भी मुश्किल हो गया. हालांकि संस्था की ओर से अब तक 71,210 कलाकारों को आर्थिक सहायता पहुंचाई गई है, लेकिन इस राशि से उनका गुजर बसर मुश्किल है.
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ज्ञापन में कहा गया कि कलाकार स्वभाव से ही आत्मसम्मान का धनी होता है. ऐसे में सरकार को कला की विभिन्न विधाओं के ऑनलाइन, प्रत्यक्ष कार्यक्रम, प्रदर्शनी साक्षात्कार, साहित्यिक व्याख्यान, काव्य सम्मेलन चित्रकला कार्यशाला आदि आयोजनों की रचनाकर स्टडी कलाकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. कलाकारों के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सरकारी स्तर पर आर्थिक सहायता का प्रावधान किया जाना चाहिए.
साथ ही संस्थाओं के लंबित अनुदान, छात्रवृत्ति का शीघ्र जारी करने का भी आग्रह किया गया. संस्था के चित्तौड़ प्रांत संगठन मंत्री सतीश आचार्य के अनुसार कोरोना काल में कला और संस्कृति से जुड़े लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. उनकी मदद के लिए सीएम के नाम जिला कलेक्टर के जरिए ज्ञापन भेजा गया.