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बांसवाड़ा : Atomic power project के लिए जमीन की जांच शुरू, साल 2028 के आखिर तक पहला प्लांट

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Published : Jan 27, 2020, 6:14 PM IST

राजस्थान में रावतभाटा के बाद अब बांसवाड़ा में भी न्यूक्लियर प्लांट लगने वाला है. इस प्लांट के लिए जमीन अवाप्ति का काम लगभग पूरा हो चुका है. जिओ टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के जरिए जमीन की जांच का काम शुरू हो गया है.

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चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से खास बातचीत

बांसवाड़ा. राजस्थान में रावतभाटा के बाद बांसवाड़ा भी न्यूक्लियर पावर के मानचित्र पर आने वाला है. इसके लिए जमीन अवाप्ति का काम लगभग पूरा हो चुका है. जियो टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के जरिए जमीन की जांच का काम भी शुरू हो गया है.

चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से खास बातचीत

ईटीवी भारत ने माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से विशेष बातचीत कर जाना, कि आखिर 2800 मेगावॉट पावर प्रोजेक्ट का पहला प्लांट कबतक अस्तित्व में आने की संभावना है? प्लांट निर्माण के लिए पर्यावरण सहित अन्य परमिशन चाहिए, उस दिशा में भी काम काफी हद तक आगे बढ़ चुका है.

एसबी जोशी ने बताया, कि इस प्रोजेक्ट के लिए 660 हेक्टेयर भूमि अवाप्ति का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. अधिकांश लोग विस्थापित हो चुके हैं और कुछ लोगों के विस्थापन का कार्य प्रगति पर है. उनके आवास निर्माण का काम शीघ्र ही शुरू होगा. वन विभाग की जमीन भी इसके दायरे में आ रही है, जिसकी अवधि के लिए विभाग से बातचीत चल रही है. जो सरकारी जमीन अवाप्ति में आ रही है, सरकार द्वारा हमें आवंटित की जा चुकी है.

पढ़ेंः अलवर सरस डेयरी में 125 करोड़ की लागत से बनेगा नया प्लांट, प्रतिदिन 4 लाख लीटर दूध की होगी क्षमता

प्लांट का काम कब तक शुरू होने के सवाल पर जोशी ने बताया, कि प्लांट की डिजाइन का काम चल रहा है और इसके लिए जमीन की जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जियो टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन प्रोसेस में है. प्लांट का बेसिक प्रोसेस जमीन का इन्वेस्टिगेशन होता है. यह काम तेजी से हो रहा है. बाउंड्री वॉल निर्माण का काम भी जल्द ही शुरू होने वाला है.

पढ़ेंः अलवर में लग रहा 20 MLD का नया ट्रीटमेंट प्लांट,सीवर के पानी का होगा बेहतर निस्तारण

न्यूक्लियर साइंटिस्ट जोशी के मुताबिक रतलाम मार्ग पर 700-700 मेगावॉट क्षमता की 4 इकाइयां स्थापित की जानी हैं. जिनमें से पहली इकाई दिसंबर 2028 तक वर्किंग में लाने का लक्ष्य है और उसके बाद हर साल एक-एक इकाई अस्तित्व में आती जाएगी.

उन्होंने क्षेत्र के लिए इस प्रोजेक्ट को काफी अहम बताते हुए कहा, कि इससे सीधे-सीधे 1000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों लोग इससे लाभान्वित होंगे और रोजगार सहित क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा.

टेक्नोलॉजी संबंधी एक सवाल पर उन्होंने बताया, कि यह प्लांट रावतभाटा, तमिलनाडु और गुजरात के पैटर्न पर कैनडू टाइप रिएक्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित होंगे.

बांसवाड़ा. राजस्थान में रावतभाटा के बाद बांसवाड़ा भी न्यूक्लियर पावर के मानचित्र पर आने वाला है. इसके लिए जमीन अवाप्ति का काम लगभग पूरा हो चुका है. जियो टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के जरिए जमीन की जांच का काम भी शुरू हो गया है.

चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से खास बातचीत

ईटीवी भारत ने माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से विशेष बातचीत कर जाना, कि आखिर 2800 मेगावॉट पावर प्रोजेक्ट का पहला प्लांट कबतक अस्तित्व में आने की संभावना है? प्लांट निर्माण के लिए पर्यावरण सहित अन्य परमिशन चाहिए, उस दिशा में भी काम काफी हद तक आगे बढ़ चुका है.

एसबी जोशी ने बताया, कि इस प्रोजेक्ट के लिए 660 हेक्टेयर भूमि अवाप्ति का कार्य लगभग पूरा हो चुका है. अधिकांश लोग विस्थापित हो चुके हैं और कुछ लोगों के विस्थापन का कार्य प्रगति पर है. उनके आवास निर्माण का काम शीघ्र ही शुरू होगा. वन विभाग की जमीन भी इसके दायरे में आ रही है, जिसकी अवधि के लिए विभाग से बातचीत चल रही है. जो सरकारी जमीन अवाप्ति में आ रही है, सरकार द्वारा हमें आवंटित की जा चुकी है.

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प्लांट का काम कब तक शुरू होने के सवाल पर जोशी ने बताया, कि प्लांट की डिजाइन का काम चल रहा है और इसके लिए जमीन की जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जियो टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन प्रोसेस में है. प्लांट का बेसिक प्रोसेस जमीन का इन्वेस्टिगेशन होता है. यह काम तेजी से हो रहा है. बाउंड्री वॉल निर्माण का काम भी जल्द ही शुरू होने वाला है.

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न्यूक्लियर साइंटिस्ट जोशी के मुताबिक रतलाम मार्ग पर 700-700 मेगावॉट क्षमता की 4 इकाइयां स्थापित की जानी हैं. जिनमें से पहली इकाई दिसंबर 2028 तक वर्किंग में लाने का लक्ष्य है और उसके बाद हर साल एक-एक इकाई अस्तित्व में आती जाएगी.

उन्होंने क्षेत्र के लिए इस प्रोजेक्ट को काफी अहम बताते हुए कहा, कि इससे सीधे-सीधे 1000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों लोग इससे लाभान्वित होंगे और रोजगार सहित क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा.

टेक्नोलॉजी संबंधी एक सवाल पर उन्होंने बताया, कि यह प्लांट रावतभाटा, तमिलनाडु और गुजरात के पैटर्न पर कैनडू टाइप रिएक्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित होंगे.

Intro:बांसवाड़ा। राजस्थान में रावतभाटा के बाद बांसवाड़ा भी न्यूक्लियर पावर के मानचित्र पर आने वाला है। इसके लिए जमीन अवाप्ति का काम अमूमन पूरा हो चुका है और जिओ टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन के जरिए जमीन की जांच का काम शुरू हो गया है। ईटीवी भारत ने माही बांसवाड़ा राजस्थान एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर एसबी जोशी से विशेष बातचीत कर जाना कि आखिर 2800 मेगा वाट पावर प्रोजेक्ट का पहला प्लांट कब तक अस्तित्व में आने की संभावना है? प्लांट निर्माण के लिए पर्यावरण सहित अन्य परमिशन चाहिए उस दिशा में भी काम काफी हद तक आगे बढ़ चुका है।


Body:एक सवाल के जवाब में जोशी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए 660 हेक्टेयर भूमि अवाप्ति का कार्य अमूमन पूरा हो चुका है। अधिकांश लोग विस्थापित हो चुके हैं और कुछ लोगों के विस्थापन का कार्य प्रगति पर है। उनके आवास निर्माण का काम शीघ्र ही शुरू होगा। वन विभाग की जमीन भी इसके दायरे में आ रही है जिसकी अवधि के लिए विभाग से बातचीत चल रही है। जो सरकारी जमीन अवाप्ति में आ रही है, सरकार द्वारा हमें आवंटित की जा चुकी है। प्लांट का काम कब तक शुरू होने के सवाल पर जोशी ने बताया कि प्लांट की डिजाइन का काम चल रहा है और इसके लिए जमीन की जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिओ टेक्निकल इन्वेस्टिगेशन प्रोसेस में है। प्लांट का बेसिक प्रोसेस जमीन का इन्वेस्टिगेशन होता है जो कि गति पकड़ गया है। बाउंड्री वॉल निर्माण का कार्य शीघ्र ही शुरू होने वाला है।


Conclusion:न्यूक्लियर साइंटिस्ट जोशी के अनुसार रतलाम मार्ग पर 700- 700 मेगा वाट क्षमता चार इकाइयां स्थापित की जानी है जिनमें से पहली इकाई दिसंबर 2028 तक वर्किंग में लाने का लक्ष्य है और उसके बाद प्रतिवर्ष एक एक इकाई अस्तित्व में आती जाएगी। उन्होंने क्षेत्र के लिए इस प्रोजेक्ट को काफी महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे डायरेक्टली 1000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा वही अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग इससे लाभान्वित होंगे और रोजगार सहित क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा। टेक्नोलॉजी संबंधी एक सवाल पर उन्होंने बताया कि यह प्लांट रावतभाटा तमिलनाडु और गुजरात के पैटर्न पर कैनडू टाइप रिएक्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित होंगे।

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