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SPECIAL: राजस्थान का ऐसा सरकारी कॉलेज, जहां इंजीनियरिंग के साथ-साथ पढ़ाया जाता है 'पर्यावरण' का पाठ! - बांसवाड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज

बांसवाड़ा के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है. यहां कॉलेज प्रबंधन ने विद्यार्थियों को पर्यावरण का पाठ पढ़ाते हुए पौधारोपण करवाया. जिसके परिणामस्वरूप आज कॉलेज हरा-भरा दिखता है. कॉलेज में फलदार पौधे भी लगाए गए हैं, जो आने वाले समय में फल देंगे. जिससे कॉलेज की निजी आय भी बढ़ेगी. देखें पूरी रिपोर्ट...

Plantation in Engineering College, Banswara Engineering College
इंजीनियरिंग के साथ-साथ पढ़ाया जाता है पर्यावरण का पाठ
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Published : Aug 24, 2020, 10:37 PM IST

बांसवाड़ा. जिले के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में पिछले 3 साल से कॉलेज प्रबंधन की ओर से छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग के साथ-साथ यहां पर्यावरण का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है. कॉलेज का यह प्रयास रंग लाया और विद्यार्थियों ने भी इसका महत्व समझा. नतीजतन, वन विभाग हो या जिला प्रशासन, कॉलेज प्रबंधन इन के सहयोग से विद्यार्थियों के जरिए हजारों पौधे लगा चुका है, जो आज पेड़ों का रूप लेते दिखाई दे रहे हैं.

सबसे बड़ी खासियत यह है कि केवल पर्यावरण शुद्धि के लिए छायादार पौधे लगाए गए हैं, बल्कि फलदार पौधों पर भी खासा फोकस रखा गया. हाइब्रिड फलदार पौधे फल-फूल रहे हैं. अगले कुछ सालों में कॉलेज परिसर बड़े-बड़े छायादार पौधों के साथ फल देते पौधों का भी साक्षी बनेगा. कुल मिलाकर अब तक यहां करीब 4000 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें से कई अच्छी ग्रोथ करते हुए पेड़ का रूप ले चुके हैं.

इंजीनियरिंग के साथ-साथ पढ़ाया जाता है पर्यावरण का पाठ

पढ़ें- Special: चीकू की खेती कर लाखों में खेल रहा भीलवाड़ा का ये किसान

कॉलेज प्रबंधन की मानें तो इनमें से करीब 10 प्रतिशत पौधे फलदार हैं. इनकी देखरेख और सुरक्षा के प्रयासों की बदौलत आज कई पौधे फल देने की स्टेज में पहुंच चुके हैं. अगले 2 से 3 साल में फलदार पौधों से कॉलेज को अच्छी खासी कमाई होने की भी उम्मीद है.

बंद होने के कगार पर था कॉलेज

वर्ष 2017 में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कगार पर पहुंच गया था. इन परिस्थितियों में सरकार द्वारा डॉ. शिवलाल को बतौर प्राचार्य इस कॉलेज की कमान सौंपी गई. प्राचार्य डॉ. शिवलाल ने अपने प्रयासों से एडमिशन बढ़ाने के साथ-साथ कॉलेज परिसर को हरा भरा बनाने का अभियान हाथ में लिया.

एलएनटी के साथ बढ़ाए हाथ

प्रारंभ में एलएनटी कंपनी के सहयोग से 114 बीघा क्षेत्रफल में फैले कॉलेज परिसर में पौधारोपण की शुरुआत की गई, क्योंकि उस समय पास की बस्ती के लोगों की आवाजाही के साथ आवारा पशुओं की घुसपैठ के चलते पौधों को खतरा था. ऐसे में सबसे पहले उन रास्तों को बंद किया गया. इसे वर्ष 2017 में लगाए गए पौधे अगले साल तक अच्छी ग्रोथ कर गए. इससे उत्साहित होकर प्राचार्य ने छात्र-छात्राओं को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया. वर्ष 2018 में वन विभाग के साथ मिलकर कॉलेज परिसर में अलग-अलग ब्लॉक बनाकर करीब 3000 पौधे लगाए गए.

400 फलदार पौधों का रोपण

अभियान के दौरान प्राचार्य ने कॉलेज की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से बीच में फलदार पौधों का ब्लॉक रखा और यहां अच्छी क्वालिटी के करीब एक दर्जन अच्छी किस्म के फलदार पौधे भी लगवाने का काम हाथ में लिया. दशहरी आम के पौधों के अलावा जामुन, सीताफल, आंवला, बादाम, चीकू आदि के भी लगभग 400 पौधे लगवाए, जो 2 साल में ग्रोथ करते हुए पेड़ बन चुके हैं. बादाम, सीताफल, चीकू पर फूल के साथ फल देने लग गए.

पढ़ें- बिना मिट्टी के घर में उगाएं सब्जियां, जानें ये अद्भुत तकनीक...

कॉलेज में प्रवेश के साथ ही चारों ओर हरियाली नजर आती है. मुख्य रोड के दोनों ओर 2 कृत्रिम तालाब भी बनाए गए हैं, ताकि गर्मी में जरूरत पड़ने पर इन पौधों को पानी दिया जा सके. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शिवलाल के अनुसार बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ हमने पर्यावरण की अहमियत भी समझाई, जिसका परिणाम आज कॉलेज परिसर घने जंगल में तब्दील होता जा रहा है. पूरे परिसर में हरीतिमा दिखाई देती है. हमने पर्यावरण के लिए छायादार पौधे लगाने के साथ-साथ फलदार पौधे भी लगाए, ताकि अगले कुछ सालों में कॉलेज की निजी आय भी बढ़ाई जा सके.

बांसवाड़ा. जिले के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में पिछले 3 साल से कॉलेज प्रबंधन की ओर से छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग के साथ-साथ यहां पर्यावरण का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है. कॉलेज का यह प्रयास रंग लाया और विद्यार्थियों ने भी इसका महत्व समझा. नतीजतन, वन विभाग हो या जिला प्रशासन, कॉलेज प्रबंधन इन के सहयोग से विद्यार्थियों के जरिए हजारों पौधे लगा चुका है, जो आज पेड़ों का रूप लेते दिखाई दे रहे हैं.

सबसे बड़ी खासियत यह है कि केवल पर्यावरण शुद्धि के लिए छायादार पौधे लगाए गए हैं, बल्कि फलदार पौधों पर भी खासा फोकस रखा गया. हाइब्रिड फलदार पौधे फल-फूल रहे हैं. अगले कुछ सालों में कॉलेज परिसर बड़े-बड़े छायादार पौधों के साथ फल देते पौधों का भी साक्षी बनेगा. कुल मिलाकर अब तक यहां करीब 4000 से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं, जिनमें से कई अच्छी ग्रोथ करते हुए पेड़ का रूप ले चुके हैं.

इंजीनियरिंग के साथ-साथ पढ़ाया जाता है पर्यावरण का पाठ

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कॉलेज प्रबंधन की मानें तो इनमें से करीब 10 प्रतिशत पौधे फलदार हैं. इनकी देखरेख और सुरक्षा के प्रयासों की बदौलत आज कई पौधे फल देने की स्टेज में पहुंच चुके हैं. अगले 2 से 3 साल में फलदार पौधों से कॉलेज को अच्छी खासी कमाई होने की भी उम्मीद है.

बंद होने के कगार पर था कॉलेज

वर्ष 2017 में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होने के कगार पर पहुंच गया था. इन परिस्थितियों में सरकार द्वारा डॉ. शिवलाल को बतौर प्राचार्य इस कॉलेज की कमान सौंपी गई. प्राचार्य डॉ. शिवलाल ने अपने प्रयासों से एडमिशन बढ़ाने के साथ-साथ कॉलेज परिसर को हरा भरा बनाने का अभियान हाथ में लिया.

एलएनटी के साथ बढ़ाए हाथ

प्रारंभ में एलएनटी कंपनी के सहयोग से 114 बीघा क्षेत्रफल में फैले कॉलेज परिसर में पौधारोपण की शुरुआत की गई, क्योंकि उस समय पास की बस्ती के लोगों की आवाजाही के साथ आवारा पशुओं की घुसपैठ के चलते पौधों को खतरा था. ऐसे में सबसे पहले उन रास्तों को बंद किया गया. इसे वर्ष 2017 में लगाए गए पौधे अगले साल तक अच्छी ग्रोथ कर गए. इससे उत्साहित होकर प्राचार्य ने छात्र-छात्राओं को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया. वर्ष 2018 में वन विभाग के साथ मिलकर कॉलेज परिसर में अलग-अलग ब्लॉक बनाकर करीब 3000 पौधे लगाए गए.

400 फलदार पौधों का रोपण

अभियान के दौरान प्राचार्य ने कॉलेज की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से बीच में फलदार पौधों का ब्लॉक रखा और यहां अच्छी क्वालिटी के करीब एक दर्जन अच्छी किस्म के फलदार पौधे भी लगवाने का काम हाथ में लिया. दशहरी आम के पौधों के अलावा जामुन, सीताफल, आंवला, बादाम, चीकू आदि के भी लगभग 400 पौधे लगवाए, जो 2 साल में ग्रोथ करते हुए पेड़ बन चुके हैं. बादाम, सीताफल, चीकू पर फूल के साथ फल देने लग गए.

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कॉलेज में प्रवेश के साथ ही चारों ओर हरियाली नजर आती है. मुख्य रोड के दोनों ओर 2 कृत्रिम तालाब भी बनाए गए हैं, ताकि गर्मी में जरूरत पड़ने पर इन पौधों को पानी दिया जा सके. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शिवलाल के अनुसार बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ हमने पर्यावरण की अहमियत भी समझाई, जिसका परिणाम आज कॉलेज परिसर घने जंगल में तब्दील होता जा रहा है. पूरे परिसर में हरीतिमा दिखाई देती है. हमने पर्यावरण के लिए छायादार पौधे लगाने के साथ-साथ फलदार पौधे भी लगाए, ताकि अगले कुछ सालों में कॉलेज की निजी आय भी बढ़ाई जा सके.

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