अलवर. पंचायत चुनाव ग्रामीण स्तर का चुनाव होता है. इसमें गांव की सरकार चुनी जाती है, लेकिन यह सरकार कैसे चलेगी यह बड़ा सवाल है. इसकी जानकारी जीतने वाले किसी भी उम्मीदवार को नहीं है. जीतने के बाद ईटीवी भारत ने उम्मीदवारों से बातचीत की. इस दौरान कोई भी प्रत्याशी अपने क्षेत्र के विकास और अपने अधिकारों के बारे में नहीं बता पाया. उनकी जगह पर उनके परिवार के सदस्य जवाब देते हुए दिखाइए.
पंचायत समिति चुनाव में ज्यादातर महिला प्रत्याशी होती है. चुनाव के शुरू से अंत तक ज्यादातर प्रत्याशी घूंघट में नजर आईं. पंचायत समिति चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो ज्यादातर प्रत्याशी सवालों के जवाब नहीं दे पाए. इस दौरान प्रत्याशियों से उनके क्षेत्र में क्षेत्र की समस्या के बारे में पूछा गया, लेकिन जीतने वाले उम्मीदवार को कोई जानकारी नहीं थी.
ईटीवी भारत ने प्रत्याशियों से उनके अधिकारों के बारे में पूछा, लेकिन वे उन सवालों को जवाब नहीं दे पाए. इसके अलावा कई महिला प्रत्याशी तो गायब नजर आई. उनके पिता, पति और भाई मीडिया से बात करते हुए दिखाई दिए. ऐसे में गांव का विकास कैसे होगा यह बड़ा सवाल है.
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ग्रामीण क्षेत्र में घूंघट प्रथा चलती है. चुनाव प्रचार के दौरान भी महिला प्रत्याशी घूंघट में दिखाई दी. इसके बाद मतगणना के दिन भी महिलाएं घुंघट की ओट में बैठी रहीं, हालांकि चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशियों के परिजन क्षेत्र में विकास का दावा कर रहे हैं. लेकिन सवाल है कि आम जनता ने जिसे वोट दिया है. जिसे प्रतिनिधि बनाया है वो लोगों की भावनाओं को समझेंगे ? जिन्हें अपने अधिकारों को पता नहीं है वो प्रतिनिधि क्या क्षेत्र का विकास करवा पाएंगे ? ये सबसे बड़ा सवाल है.