अलवर. देश में झारखंड के जामताड़ा के बाद अलवर व भरतपुर जिले का मेवात क्षेत्र ठगी का गढ़ बन गया है. परंपरागत ठगी के बाद अब यहां के पांचवी और आठवीं तक पढ़े बदमाश लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना रहे हैं. ये बदमाश देश के ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों को भी आसानी से ठग लेते हैं. बीते डेढ़ साल में अलवर पुलिस ने 193 ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को करने वाली गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया. भरतपुर में भी 100 से ज्यादा गैंग पुलिस ने पकड़ी हैं. जांच में पता चला कि इन लोगों ने 20 हजार से ज्यादा लोगों को अपना निशाना बनाया.
बता दें कि मेवात क्षेत्र के बदमाश कुछ साल पहले सोने की ईंट व सोने के जेवरात, सिक्के बेचने के नाम पर टकलूबाजी करते थे. उसके बाद सेना के अधिकारी व सैनिक बनकर सस्ते दामों पर वाहन बेचने का लालच देकर ठगी की घटनाओं को अंजाम देने लगे. समय के साथ ठगी की घटनाओं में बदलाव हुआ. ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आने लगे. केवाईसी के नाम पर ठगी, एटीएम क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी, बैंक खाता अपडेट सहित सैकड़ों ऐसे तरीके से ठग लोगों को ठगने लगे. जिनके नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी की घटनाएं हुई मेवात पूरे देश में बदनाम हुआ. मेवात में बैठकर ठगों ने विदेशों में रहने वाले लोगों को भी अपना निशाना बनाया.
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बीते डेढ़ साल के दौरान अलवर पुलिस ने 193 ऑनलाइन ठगी की घटनाओं को करने वाली गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार किया. इसी तरह से भरतपुर जिले में भी 100 से ज्यादा गैंग पुलिस ने पकड़ी है. पुलिस जांच पड़ताल में पता चला कि इन लोगों ने 20 हजार से ज्यादा लोगों से बातचीत की और उनको अपना निशाना बनाया. ठगी का ये आंकड़ा अब तक करोड़ों से पार हो चुका है. खास बात ये है कि मेवात क्षेत्र में ठगी के कॉल सेंटर चल रहे (Online call center for fraud in Mewat of Alwar) हैं. इन सेंटरों में शिफ्टों में लोग काम करते हैं. पांचवी और आठवीं तक पढ़े लिखे लोग हजारों लोगों को अपनी बातों के जाल में फंसा कर करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं. अलवर में पुलिस जांच पड़ताल के दौरान कई बड़े खुलासे हुए हैं.
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गृह मंत्रालय ने बनाई समिति: मेवात के बिगड़ते हालात को देखते हुए गृह मंत्रालय ने एक समिति बनाई. जिसमें दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. संयुक्त टीम की जांच पड़ताल में कई बड़ी गैंग का खुलासा हुआ. उनकी मदद से पुलिस को बड़ी सफलता मिली. इस टीम को तकनीकी रूप से भी मजबूत किया गया है. पूरे देश के सर्वर को जोड़ते हुए एक सर्वर तैयार किया गया है. उस पर मोबाइल नंबर डालते ही उस नंबर से जिन लोगों को देश विदेश में विभिन्न ऐप की मदद से कॉल की जाती है. उसकी जानकारी भी सेकंडों में मिल जाती है.
कैसे करते हैं ठगी: पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने बताया कि इस समय दो तरह की ठगी की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं. ठग सेक्सटॉर्शन के नाम पर लोगों को ठग रहे हैं. इसमें लड़की की फोटो की मदद से सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाया जाता है. उसके बाद उस अकाउंट से रिक्वेस्ट भेज कर लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरू होता है. चैटिंग के दौरान फोन नंबर एक्सचेंज करके वीडियो कॉलिंग बातचीत की जाती है. इस दौरान ठग अश्लील वीडियो व बातें करके लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और बाद में उसकी रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देकर लाखों रुपए लोगों से ऐंठते हैं. इसके अलावा ऑनलाइन गेमिंग शो व फ्री पास उपलब्ध कराने और शॉपिंग में छूट देने सहित कई अन्य तरीकों से लोगों के साथ ठगी हो रही है.
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सावधानी है जरूरी: पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने बताया कि ऑनलाइन ठगी की घटनाएं लापरवाही के कारण होती हैं. ऐसे में हमें सावधान होने की आवश्यकता है. किसी भी लालच में ना फंसें. ऐसे किसी लिंक पर क्लिक ना करें, जिसके बारे में कोई जानकारी ना हो. अनजान व्यक्ति से फोन पर व चैटिंग पर बातचीत ना करें. साथ ही ऑनलाइन लेनदेन का पासवर्ड रिकॉर्ड भी स्ट्रांग रखें.