बहरोड़ (अलवर). बहरोड़ थाने पर फायरिंग कर हवालात में बंद विक्रम उर्फ पपला को छुड़ाकर ले जाने के मामले में एसओजी की ओर से कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में कई खुलासे हुए है. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशिष्ट लोक अभियोजक जितेंद्र शर्मा ने बताया कि चार्जशीट के अनुसार 5 सितंबर की रात को पकड़े गए हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के गांव खैरोली निवासी विक्रम उर्फ पपला के साथ इसी गांव का राजवीर गुर्जर तथा तिजारा का टिहली निवासी नरेन्द्र गुर्जर भी मौजूद था.
इन सभी के पास हथियार थे, लेकिन पुलिस को पीछे देखकर दोनों हथियार सहित वहां से भाग गए थे. इन लोगों ने अलवर रोड पर एक सूने मकान में हथियार छिपा दिए थे और वहां से आलनपुर पहुंच गए थे. इसके बाद पपला की गिरफ्तारी की खबर गैंग को दी.
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इसके बाद आलनपुर में कोटकासिम के गांव गुर्जरीवास निवासी सुनील गुर्जर साथी अशोक के साथ कार लेकर आ गया. यहां सभी ने अन्य साथियों के साथ मिलकर एकजुट होकर थाने पर फायरिंग कर पपला को हवालात से छुड़ाने का षड़यंत्र रचा था. शर्मा ने बताया कि मामले में अब तक 23 आरोपी पकड़े जा चुके हैं. इनमें से 8 आरोपियों की जमानत याचिकाएं एडीजे कोर्ट संख्या एक न्यायाधीश बृजेश कुमार शर्मा ने पिछले 15 दिनों में खारिज की है.
यह भी हुआ खुलासा...
आरोपियों को सुनील ने कार और मोबाइल मुहैया कराए थे. फिर आरोपी बहरोड़ स्थित एक कॉलोनी में उस मकान पर पहुंचे, जहां हथियार छिपाए थे. ये हथियार AK-47, AK-56 तथा पिस्टल थे. इन्हें लेकर बाकी साथियों को बुलाया और थाने की रैकी करते हुए पुलिस नफरी की जानकारी भी ली थी. गांव खैरोली निवासी दीक्षांत गुर्जर, इसी गांव के अशोक उर्फ मेजर ने अन्य साथियों के साथ पुलिस थाने के गेट पर खड़े होकर आने-जाने वालों को रोका तथा पुलिस थाने के सामने गोलियों की आवाज सुनकर रुकने वालों को भगाया था. हवालात से छुड़ाने के बाद पपला को साथ लेकर गए थे.