अलवर. रणथंभोर की बाघिन कृष्णा (Ranthambore tigress Krishna) (टी19) का बेटा टी 113 अब सरिस्का पहुंच चुका है, जहां उसका नया नामकरण किया गया. ऐसे में अब इसे एसटी 29 के नाम से जाना जाएगा. यह बाघ युवा होने के साथ ही जोशीला भी है, जो सरिस्का में एसटी 29 और एसटी 13 की कमी को पूरी करेगा. गौर हो कि सरिस्का में सबसे ज्यादा शावक एसटी 13 से ही हुए हैं, लेकिन एसटी 13 के गायब के बाद से ही यहां कोई खुशखबरी नहीं आई है. ऐसे में युवा बाघ एसटी 29 सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ाने में मददगार (Tigers will grow in Sariska) साबित हो सकता है.
सरिस्का में नए बाघ के आने के बाद अब बाघों का कुनबा बढ़कर 25 हो गया है. जिसमें 8 बाघ है तो 13 बाघिन के साथ ही 4 शावक भी शामिल हैं. एनटीसीए की मानें तो सरिस्का में 40 बाघ रह सकते हैं. वहीं, दो बाघिन के साथ एक बाघ रहता है. रणथंभोर में 10 से 15 किलोमीटर के इलाके में दो बाघिन हैं, जबकि सरिस्का में 35 से 40 किलोमीटर में दो बाघिन हैं. सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि सरिस्का में बाघिन एसटी 10, एसटी 12 और एसटी 22 के साथ कोई भी मेल बाघ नहीं था. ऐसे में बाघ एसटी 29 तीनों बाघिन को कवर करेगा. इसमें बाघिन एसटी 10 लोज एरिया, एसटी 12 पनिढाल और एसटी 22 पनिढाल के पास रहती है.
2008 से 5 बार में सरिस्का भेजे 10 टाइगर: रणथंभोर से अन्य टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्ट करने की पहली शुरुआत 2008 में हुई थी, तब बाघ विहीन हो चुके अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व में रणथंभोर से पहला बाघ भेजा गया था, जिसे रणथंभोर में दारा के नाम से जाना जाता था. इसके बाद 2009 में एक साथ पांच बाघ रणथंभोर से सरिस्का भेजे गए और 2010 में भी एक साथ दो बाघों को रणथंभोर पार्क से सरिस्का भेजा गया था.
रणथंभोर से सरिस्का में इससे पहले 8 बाघ और बाघिनों को शिफ्ट किया जा चुका है. इनमें टी 1, टी 7, टी 10, टी 12, टी 18, टी 44, टी 51 और टी 52 शामिल हैं. वहीं, आखिरी बार 2018 में रणथंभोर से बाघ टी 75 को सरिस्का भेजा गया था. हालांकि, दो माह बाद ही सरिस्का में बाघ टी 75 की मौत हो गई थी. इस तरह अब 5वीं बार सरिस्का के लिए 10वां टाइगर भेजा गया है.
युवा बाघ के लिए किए गए खास इंतजाम: सरिस्का के पनिढाल एरिया में युवा बाघ के लिए नया एनक्लोजर बनाया गया है. जिसमें सभी प्रकार की सुविधाओं व संसाधनों की व्यवस्था की गई है. इसमें शिकार के लिए जानवरों को रखा गया है. साथ ही पानी की भी व्यवस्था की गई है. वहीं, बाघ की मॉनिटरिंग की जा रही है. जिसके लिए टीम गठित की गई है और इसे दीपावली के आसपास जंगल में विचरण के लिए छोड़ दिया जाएगा.
गांव के विस्थापन के बाद बाघों ने डाला डेरा: सरिस्का जंगल क्षेत्र के पनिढाल व लौज ग्राम को खाली कराते हुए गांव के लोगों को तिजारा क्षेत्र में विस्थापित किया गया. ग्रामीणों के विस्थापन के बाद घरों को जेसीबी की मदद से तोड़ दिया गया. साथ ही क्षेत्र में भारी संख्या में पेड़ लगाए.