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Sariska National Park Alwar: सिरोही के भालू बढ़ाएंगे सरिस्का में रौनक, पुनर्वास के लिए हरी झंडी का इंतजार - Sirohi bear ready to rehabilitate in Sariska

पिछले लंबे अरसे से सरिस्का में भालू की जरूरत महसूस की (Sariska gets bear soon) जा रही है. साथ ही यहां भालुओं के कुनबे को बसाने की सभी तैयारी भी हो चुकी है. लेकिन अब केवल सरकार की हरी झंडी का इंतजार है.

Sariska National Park Alwar
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Published : Jan 17, 2023, 7:26 PM IST

अलवर. बाघ और पैंथर के बाद अब भालू भी सरिस्का के जंगलों में नजर आएंगे. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही माउंट आबू और सिरोही के जंगलों से भालुओं का एक जोड़ा सरिस्का में शिफ्ट किया जाएगा. वैसे तो भालुओं के दो जोड़े शिफ्ट होने हैं, लेकिन अभी एक की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. सरिस्का के जंगलों में भालू आने से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी तो जंगल में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ सकेगा. सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघों के लिए अपनी विशेष पहचान रखता है. जहां पूरे साल देशी-विदेशी पर्यटक सफारी का आनंद लेने और बाघों की साइटिंग के लिए आते हैं. सरिस्का में अभी 25 बाघ हैं, इनमें 13 बाघिन, 8 बाघों के साथ ही चार शावक हैं. इसके अलावा 400 से ज्यादा पैंथर हैं. यहां बाघ और पैंथर के अलावा नीलगाय, हिरण, चीतल, बारासिंघा सहित कई प्रजातियों के वन्यजीव मौजूद हैं.

सरिस्का को अब भालुओं का इंतजार: लंबे समय से सरिस्का में भालू की जरूरत महसूस की जा रही है. साथ ही यहां भालू का कुनबा बसाने की योजना भी बन चुकी है. आने वाले समय में सरिस्का में भालुओं का दो जोड़ा शिफ्ट किया जाएगा. माउंट आबू और सिरोही के जंगलों से भालू लाकर सरिस्का के जंगल में छोड़ जाएंगे. इसके लिए पूरी योजना बन चुकी है. साथ ही भालू भी चिन्हित हो चुके हैं. लेकिन अभी सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. ऐसे में यदि सब कुछ ठीक रहा तो भालू भी पर्यटकों को लुभाते दिखाई देंगे.

इसे भी पढ़ें - सरिस्का में टाइगर की साइटिंग से पर्यटक खुश, खींची सेल्फी

लापता भालू नहीं लगा सुराग: सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ, पैंथर, जरख, सांभर, चीतल, हिरण और अन्य वन्यजीवों के साथ ही भालू भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में भी भालू हैं. वहां भी पर्यटकों की साइटिंग होती है, लेकिन सरिस्का में अभी भालू नहीं हैं. हालांकि यहां पूर्व में एक भालू लाया गया था, जो कुछ साल सरिस्का के जंगल में रहा. लेकिन बाद में अचानक लापता हो गया. इस भालू का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. सरिस्का में दो मेल और दो फीमेल भालुओं का पुनर्वास कराने की योजना पिछले कई सालों से विचाराधीन है. भालुओं के पुनर्वास को लेकर मंत्री से लेकर वाइल्ड लाइफ के उच्च अधिकारी भी कई बार कह चुके हैं. लेकिन अभी भालुओं को लाने की योजना धरातल पर नहीं आ सकी है. भालुओं के पुनर्वास को राज्य सरकार की अनुमति का इंतजार है.

माउंट आबू से लाए जाएंगे भालू: प्रदेश में सिरोही, जालौर, माउंट आबू के जंगल में भालुओं की संख्या ज्यादा हैं. सरिस्का में इन स्थानों से ही भालुओं का पुनर्वास कराया जाना है. अधिकारियों की मानें तो भालुओं को चिह्नित भी कर लिया गया है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो भालुओं के शिफ्ट होने के बाद पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा.

अलवर. बाघ और पैंथर के बाद अब भालू भी सरिस्का के जंगलों में नजर आएंगे. सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही माउंट आबू और सिरोही के जंगलों से भालुओं का एक जोड़ा सरिस्का में शिफ्ट किया जाएगा. वैसे तो भालुओं के दो जोड़े शिफ्ट होने हैं, लेकिन अभी एक की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. सरिस्का के जंगलों में भालू आने से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी तो जंगल में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ सकेगा. सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघों के लिए अपनी विशेष पहचान रखता है. जहां पूरे साल देशी-विदेशी पर्यटक सफारी का आनंद लेने और बाघों की साइटिंग के लिए आते हैं. सरिस्का में अभी 25 बाघ हैं, इनमें 13 बाघिन, 8 बाघों के साथ ही चार शावक हैं. इसके अलावा 400 से ज्यादा पैंथर हैं. यहां बाघ और पैंथर के अलावा नीलगाय, हिरण, चीतल, बारासिंघा सहित कई प्रजातियों के वन्यजीव मौजूद हैं.

सरिस्का को अब भालुओं का इंतजार: लंबे समय से सरिस्का में भालू की जरूरत महसूस की जा रही है. साथ ही यहां भालू का कुनबा बसाने की योजना भी बन चुकी है. आने वाले समय में सरिस्का में भालुओं का दो जोड़ा शिफ्ट किया जाएगा. माउंट आबू और सिरोही के जंगलों से भालू लाकर सरिस्का के जंगल में छोड़ जाएंगे. इसके लिए पूरी योजना बन चुकी है. साथ ही भालू भी चिन्हित हो चुके हैं. लेकिन अभी सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. ऐसे में यदि सब कुछ ठीक रहा तो भालू भी पर्यटकों को लुभाते दिखाई देंगे.

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लापता भालू नहीं लगा सुराग: सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ, पैंथर, जरख, सांभर, चीतल, हिरण और अन्य वन्यजीवों के साथ ही भालू भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में भी भालू हैं. वहां भी पर्यटकों की साइटिंग होती है, लेकिन सरिस्का में अभी भालू नहीं हैं. हालांकि यहां पूर्व में एक भालू लाया गया था, जो कुछ साल सरिस्का के जंगल में रहा. लेकिन बाद में अचानक लापता हो गया. इस भालू का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है. सरिस्का में दो मेल और दो फीमेल भालुओं का पुनर्वास कराने की योजना पिछले कई सालों से विचाराधीन है. भालुओं के पुनर्वास को लेकर मंत्री से लेकर वाइल्ड लाइफ के उच्च अधिकारी भी कई बार कह चुके हैं. लेकिन अभी भालुओं को लाने की योजना धरातल पर नहीं आ सकी है. भालुओं के पुनर्वास को राज्य सरकार की अनुमति का इंतजार है.

माउंट आबू से लाए जाएंगे भालू: प्रदेश में सिरोही, जालौर, माउंट आबू के जंगल में भालुओं की संख्या ज्यादा हैं. सरिस्का में इन स्थानों से ही भालुओं का पुनर्वास कराया जाना है. अधिकारियों की मानें तो भालुओं को चिह्नित भी कर लिया गया है. वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो भालुओं के शिफ्ट होने के बाद पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा.

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