अलवर. सरिस्का में हाल ही शिफ्ट किए भालू को जंगल रास नहीं आ रहा है. ये भालू जंगल छोड़कर बाहर निकलने लगे हैं. एक भालू जंगल के पास नारायणपुर के आबादी क्षेत्र में चला गया, तो दूसरा जयपुर की सीमा के पास पहुंच चुका है. इसके सिग्नल मिलना भी बंद हो गए हैं. भालू का मूवमेंट चेंज करने के लिए सरिस्का की टीम लगातार प्रयास कर रही है.
गुरुवार को शाम 7 बजे बाद सरिस्का का भालू नारायणपुर पीर बाबा के पास नालों में आ पहुंचा. वह ठेकला की ढाणी के पास मढ़ा वाली ढाणी में उमराव लाल गुर्जर के मकान में बनी बुखारी में घुस गया और दिन भर वहीं बैठा रहा. तालवृक्ष रेंज के वनकर्मी एवं घाटा चौकी के कर्मचारी दिन भर उसकी निगरानी में बैठे रहे. लेकिन वह मकान की बुखारी से बाहर नहीं निकला. रात करीब 8 बजे भालू बाहर निकला और नारायणपुर कस्बे की तरफ जाने लगा. इस पर किसी तरह से वनकर्मियों ने भालू का मूवमेंट आबादी से दूर किया. ऐसे में साफ है कि भालू को सरिस्का का जंगल रास नहीं आ रहा है.
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वनकर्मियों ने बताया कि गुरुवार को नारायणपुर कस्बे की तरफ भालू मूवमेंट करने लगा. यह देख वन कर्मचारियों के पसीने छुट गए. इसके लिए उसके आगे गाड़ी लगाने का प्रयास किया, लेकिन अभी भालू वनकर्मीयो की पकड़ से दूर है. तालवृक्ष क्षेत्रीय वन अधिकारी दलीप कुमार अपनी टीम के साथ दिनभर तैनात रहे. भालू का रुख बदलने का टीम प्रयास कर रही है और भालू के पीछे लगी हुई है.
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भालू रात को नारायणपुर से चतरपुरा, नीमूचाना गांव में पहुंच गया. उसके बाद भालू बिलाली गांव में पहुंच गया. वहां पहाड़ की ओर मूमेंट बताया जा रहा है. जबकि दूसरा भालू काली पहाड़ी इलाके में चला गया है. इससे उसके सिग्नल टूटने लगे हैं. भालू कारौली भैरु डूंगरी के नाला में पहुंच गया. सुबह 9 बजे वह आराम फरमाता नजर आया था. उसके बाद जयपुर सीमा लग जाती है. इसलिए भालू की मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है. वनकर्मियों ने कहा कि भालू आबादी क्षेत्र में जा रहा है.