ETV Bharat / state

सरिस्का के जंगल में 50 डिग्री तापमान में एक साधु कर रहा है तपस्या, आशीर्वाद लेने भक्तों की उमड़ी भीड़ - अलवर बना है साधुओं की तपोभूमि

प्रदेश के अलवर जिले के जंगल में इन दिनों एक साधु की चर्चा बड़ी तेज है. कहते हैं साधु 50 डिग्री के तापमान में बैठकर तपस्या कर रहे हैं. इसकी सूचना फैलते ही लोगों की लंबी कतार लग रही है. लोग उस साधु का आशीर्वाद लेने आ रहे हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 11, 2023, 1:53 PM IST

अलवर. उज्जैन के महाराज भर्तहरि की तपोभूमि अलवर के जंगलों में आज भी कई साधु दिन-रात तपस्या कर रहे हैं. इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में भर्तहरि धाम में तपस्या कर रहे एक साधु है. ये साधु आग जलाकर 50 डिग्री तापमान पर तपस्या कर रहे हैं। तो ऐसे सैकड़ों साधु संत सरिस्का के जंगलों में रात दिन तपस्या करते हैं. साधु संतों का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।.

आप ने फिल्मों में कई बार साधु संतों को आग के बीच में बैठकर तपस्या करते देखा और सुना होगा. लेकिन तपोभूमि अलवर में ये आम बात है. उज्जैन के महाराज भर्तृहरि ने अलवर में आकर सालों तपस्या की और अलवर में ही समाधि ली. आज भर्तहरि धाम देश दुनिया में जाना जाता है. साल में एक बार यहां मेला लगता है. तो वहीं अलवर के लोगों के महाराज भर्तहरि कुलदेवता है. राजस्थान उत्तर प्रदेश गुजरात हरियाणा मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से लोग यहां आते हैं. इसके अलावा भी कई साधु-संतों ने यहां तपस्या की. इसलिए अलवर को तपोभूमि कहा जाता है. सरिस्का के घने जंगलों में कई धार्मिक स्थल हैं. जहां साधु संत एकांत में रहकर यहां तपस्या करते हैं. रात दिन तक करते हैं. इन दिनों से भर्तहरि धाम में एक साधु आग जलाकर उसके बीच में बैठकर तपस्या कर रहे हैं. प्रतिदिन तेज गर्मी में 3 से 4 घंटे आग के बीच बैठकर तपस्या करते हैं. तो वहीं साधु का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी है.

तपस्या कर रहे साधु सोमवार नाथ ने कहा कि वो देश के आम लोगों की खुशहाली और समृद्धि के लिए तपस्या कर रहे हैं. उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है उनको तो केवल दो वक्त की रोटी चाहिए. वो उनको लोग दे देते हैं. नगरी में शांति व खुशहाली बनी रहे. इसके लिए वो प्रतिदिन आग के बीच में बैठकर तपस्या करे रहे हैं. एक महीने से ज्यादा चलने वाली इस तपस्या के बाद भंडारा का प्रसाद का आयोजन किया जाएगा. साधु ने बताया कि प्रतिदिन आग की लौ बढ़ती जाएगी. कंडो आग लगाकर उसके बीच में ये तपस्या होती है, कंडो की संख्या प्रतिदिन बढ़ेगी.

पढ़ें Dead body Found in Sirohi: जंगल में मिला साधू का सड़ा-गला शव, करवाया पोस्टमार्टम

आग की तरह ये सूचना पूरे क्षेत्र में फैल गई है. उसके साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु तपस्वी साधु के दर्शन के लिए भर्तहरि धाम पहुंच रहे हैं. तपस्या के समय लोगों को दूर रखा जाता है. जिससे तपस्या में किसी भी तरह का व्यवधान न हो. सिरका के घने जंगलों में ऐसे कई स्थान है जहां आम आदमी नहीं पहुंच सकता और वहां साधु संत निरंतर तपस्या में लीन रहते हैं.

पांडवों ने गुजारा था अज्ञातवास : अलवर में पांडवों ने अपना अज्ञातवास गुजारा था. इस दौरान सरिस्का के जंगल में हनुमानजी ने वानर रूप धारण किया और भीम का घमंड तोड़ा था. उस जगह पर आज भी हनुमान जी लेटे हुए है और पांडुपोल हनुमान मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है. कहते हैं साक्षात हनुमान जी या वानर रूप में मौजूद है. इसके अलावा भी पांडवों के अलवर क्षेत्र में कई स्थान हैं जहां पांडव ठहरे थे. अलवर जिले के तिजारा क्षेत्र में श्रवण कुमार यात्रा के दौरान रुके. इसके अलावा भी कई ऐसे महापुरुष जिनका नाता अलवर से जुड़ा है.

अलवर. उज्जैन के महाराज भर्तहरि की तपोभूमि अलवर के जंगलों में आज भी कई साधु दिन-रात तपस्या कर रहे हैं. इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में भर्तहरि धाम में तपस्या कर रहे एक साधु है. ये साधु आग जलाकर 50 डिग्री तापमान पर तपस्या कर रहे हैं। तो ऐसे सैकड़ों साधु संत सरिस्का के जंगलों में रात दिन तपस्या करते हैं. साधु संतों का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।.

आप ने फिल्मों में कई बार साधु संतों को आग के बीच में बैठकर तपस्या करते देखा और सुना होगा. लेकिन तपोभूमि अलवर में ये आम बात है. उज्जैन के महाराज भर्तृहरि ने अलवर में आकर सालों तपस्या की और अलवर में ही समाधि ली. आज भर्तहरि धाम देश दुनिया में जाना जाता है. साल में एक बार यहां मेला लगता है. तो वहीं अलवर के लोगों के महाराज भर्तहरि कुलदेवता है. राजस्थान उत्तर प्रदेश गुजरात हरियाणा मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से लोग यहां आते हैं. इसके अलावा भी कई साधु-संतों ने यहां तपस्या की. इसलिए अलवर को तपोभूमि कहा जाता है. सरिस्का के घने जंगलों में कई धार्मिक स्थल हैं. जहां साधु संत एकांत में रहकर यहां तपस्या करते हैं. रात दिन तक करते हैं. इन दिनों से भर्तहरि धाम में एक साधु आग जलाकर उसके बीच में बैठकर तपस्या कर रहे हैं. प्रतिदिन तेज गर्मी में 3 से 4 घंटे आग के बीच बैठकर तपस्या करते हैं. तो वहीं साधु का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी है.

तपस्या कर रहे साधु सोमवार नाथ ने कहा कि वो देश के आम लोगों की खुशहाली और समृद्धि के लिए तपस्या कर रहे हैं. उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं है उनको तो केवल दो वक्त की रोटी चाहिए. वो उनको लोग दे देते हैं. नगरी में शांति व खुशहाली बनी रहे. इसके लिए वो प्रतिदिन आग के बीच में बैठकर तपस्या करे रहे हैं. एक महीने से ज्यादा चलने वाली इस तपस्या के बाद भंडारा का प्रसाद का आयोजन किया जाएगा. साधु ने बताया कि प्रतिदिन आग की लौ बढ़ती जाएगी. कंडो आग लगाकर उसके बीच में ये तपस्या होती है, कंडो की संख्या प्रतिदिन बढ़ेगी.

पढ़ें Dead body Found in Sirohi: जंगल में मिला साधू का सड़ा-गला शव, करवाया पोस्टमार्टम

आग की तरह ये सूचना पूरे क्षेत्र में फैल गई है. उसके साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु तपस्वी साधु के दर्शन के लिए भर्तहरि धाम पहुंच रहे हैं. तपस्या के समय लोगों को दूर रखा जाता है. जिससे तपस्या में किसी भी तरह का व्यवधान न हो. सिरका के घने जंगलों में ऐसे कई स्थान है जहां आम आदमी नहीं पहुंच सकता और वहां साधु संत निरंतर तपस्या में लीन रहते हैं.

पांडवों ने गुजारा था अज्ञातवास : अलवर में पांडवों ने अपना अज्ञातवास गुजारा था. इस दौरान सरिस्का के जंगल में हनुमानजी ने वानर रूप धारण किया और भीम का घमंड तोड़ा था. उस जगह पर आज भी हनुमान जी लेटे हुए है और पांडुपोल हनुमान मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है. कहते हैं साक्षात हनुमान जी या वानर रूप में मौजूद है. इसके अलावा भी पांडवों के अलवर क्षेत्र में कई स्थान हैं जहां पांडव ठहरे थे. अलवर जिले के तिजारा क्षेत्र में श्रवण कुमार यात्रा के दौरान रुके. इसके अलावा भी कई ऐसे महापुरुष जिनका नाता अलवर से जुड़ा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.