अलवर. सरिस्का अभ्यारण क्षेत्र (Sariska Sanctuary Area) के कोर एरिया में बसे 116 गांव के विस्थापन के विरोध में ग्रामीणों ने रविवार को पंचायत की. जिसमें प्रदेश के श्रम मंत्री टीकाराम जूली उपस्थित हुए. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा है. किसानों ने धरना देने की चेतावनी दी है.
वन अधिनियम के तहत सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सोमवार को जिला कलेक्टर से किसानों का प्रतिनिधिमंडल मिलेगा. यह निर्णय श्रम मंत्री जूली के आश्वासन के बाद लिया गया. कुशालगढ़ के चिमटी नाथ बगीची पर किसानों की एक पंचायत आयोजित हुई. जहां पर स्थानीय किसान सहित अन्य लोग मौजूद रहे. किसानों ने श्रम मंत्री के सामने अपनी समस्या रखी और क्षेत्र के विकास से वंचित होने की बात कही.
किसान कलेक्टर को सौंपेंगे ज्ञापन
श्रम मंत्री जूली ने बताया कि वन अधिनियम के तहत जो सुविधाएं पहले मिल रही थी. वो अब क्यों बंद की गई. इसका परीक्षण करवाया जाएगा. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. किसानों के हित का निर्णय लिया जाएगा. इसके लिए सोमवार को सभी किसान जिला कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन देंगे. उसके बाद जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री से भी इस बारे में बात की जाएगी.
इस मौके पर पूर्व प्रधान शिव लाल गुर्जर, हीरालाल सैनी और जय किशन गुर्जर सहित सरिस्का अभ्यारण क्षेत्र के अधिकारी भी मौजूद रहे. किसानों ने कहा कि सरकार की योजनाओं के अनुसार उनको जमीनों के मुआवजे नहीं मिल रहे हैं. जमीनों के पट्टे प्रक्रिया भी रुकी हुई है. उनके बच्चों को पढ़ाई की सुविधा नहीं मिल रही है. साथ ही सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ भी ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. जबकि जंगल क्षेत्र में बसे होने के कारण उनको कई तरह के नुकसान उठाने पड़ रहे हैं.