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2 अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन के तहत उपद्रव के दौरान दर्ज हुए मामले सरकार ने लिए वापस

अलवर जिले में 2 अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन के दौरान उपद्रव में एनईबी थाना और खैरथल थाने में उग्र भीड़ ने पथराव किया. आगजनी और फायरिंग की घटना को अंजाम दिया. इस दौरान पुलिस की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए. दोनों मामलों में सरकार ने मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए हैं.

Dalit movement Rajasthan News
उपद्रव के दौरान दर्ज हुए मामले सरकार ने लिए वापस
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Published : Aug 27, 2020, 2:02 AM IST

अलवर. जिले में 2 अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन की ओर से उपद्रव के दौरान अलवर शहर के एनईबी थाना और खैरथल थाने में उग्र भीड़ ने पथराव आगजनी करते हुए फायरिंग की घटना को अंजाम दिया. इस घटना में सैकड़ों लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए.

उपद्रव के दौरान दर्ज हुए मामले सरकार ने लिए वापस

पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी छोड़कर उपद्रवी को मौके से भगाया. इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए, तो वहीं एक युवक की मौत का मामला भी सामने आया था. मामले में खैरथल और एनईबी थाना में पुलिस की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. उसके बाद पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया और न्यायालय में चालान पेश किया.

धारा 147, 148, 149, 332 और 435 सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया. इसके बाद लगातार पुलिस की तरफ से कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया गया. मामले में लंबे समय से लोगों ने FIR वापस लेने की मांग उठाई थी. इस पर सरकार ने फैसला लेते हुए दोनों मामले वापस ले लिए हैं.

पढ़ें- किसान आंदोलन: जोधपुर में किसान संघ को ठोस आश्वासन नहीं दे पाया प्रशासन, वार्ता विफल

मामले में सरकारी वकील भूपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वरिष्ठ शासन सचिव गृह राजेंद्र कुमार सैनी ने 14 अगस्त को आदेश जारी कर मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए थे. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में चल रहे इन मुकदमों को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिसको अलवर कोर्ट की ओर से प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया गया है.

अपर लोक अभियोजन ने कहा कि कोर्ट में दलित आंदोलन के तहत दर्ज हुए, मुकदमे वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र लगाया गया था. जिससे अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या एक की न्यायाधीश सरिता स्वामी ने इस मामले को रद्द करते हुए आदेश जारी किया है.

अलवर. जिले में 2 अप्रैल 2018 को दलित आंदोलन की ओर से उपद्रव के दौरान अलवर शहर के एनईबी थाना और खैरथल थाने में उग्र भीड़ ने पथराव आगजनी करते हुए फायरिंग की घटना को अंजाम दिया. इस घटना में सैकड़ों लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामले दर्ज किए.

उपद्रव के दौरान दर्ज हुए मामले सरकार ने लिए वापस

पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी छोड़कर उपद्रवी को मौके से भगाया. इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए, तो वहीं एक युवक की मौत का मामला भी सामने आया था. मामले में खैरथल और एनईबी थाना में पुलिस की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. उसके बाद पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया और न्यायालय में चालान पेश किया.

धारा 147, 148, 149, 332 और 435 सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया. इसके बाद लगातार पुलिस की तरफ से कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया गया. मामले में लंबे समय से लोगों ने FIR वापस लेने की मांग उठाई थी. इस पर सरकार ने फैसला लेते हुए दोनों मामले वापस ले लिए हैं.

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मामले में सरकारी वकील भूपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वरिष्ठ शासन सचिव गृह राजेंद्र कुमार सैनी ने 14 अगस्त को आदेश जारी कर मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए थे. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में चल रहे इन मुकदमों को वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था. जिसको अलवर कोर्ट की ओर से प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया गया है.

अपर लोक अभियोजन ने कहा कि कोर्ट में दलित आंदोलन के तहत दर्ज हुए, मुकदमे वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र लगाया गया था. जिससे अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या एक की न्यायाधीश सरिता स्वामी ने इस मामले को रद्द करते हुए आदेश जारी किया है.

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