अलवर. रामगढ़ उपखंड के लालपुरी गांव में एक वृद्ध की मौत के बाद उसे 11 घंटे तक श्मशान उपलब्ध नहीं हो सका. इसके चलते प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. प्रशासनिक अधिकारियों ने सरकारी जमीन पर दाह संस्कार की व्यवस्था करवाई.
जानकारी के अनुसार आज 70 वर्षीय रतीराम जाटव की मौत के बाद उसे श्मशान ले जाया जा रहा था. श्मशान की जमीन पर उसके दाह संस्कार से इनकार कर दिया गया. बताया जाता है कि श्मशान वाली जमीन एक जाट परिवार की थी, जिसने एक उदय राम को बेच दिया गया. उदय राम ने उसकी चार दिवारी करवा ली. जब किसी के दाह संस्कार की बात सामने आई, तो कहा गया कि खेत के कोने में दाह संस्कार करवा दिया जाएगा. लेकिन अब उदय राम ने दाह संस्कार कराने से मना कर दिया. पहले भी इस खेत की नपाई हो चुकी है, जिसमें आधा बीघा जमीन सरकारी पाई गई है. उसके बावजूद भी उदयराम उस जमीन पर अपना कब्जा नहीं छोड़ रहा है.
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ग्रामीणों का कहना है कि इस जमीन पर पूर्व में भी दाह संस्कार होते आए हैं. मामले की सूचना पर उद्योग नगर थाना प्रभारी, रामगढ़ नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो सहित मौके पर पहुंचे और समझाइश का प्रयास किया. लेकिन दाह संस्कार के लिए कोई रास्ता नहीं निकला. जिसके बाद एसडीएम कैलाश चंद शर्मा को बुलाया गया.
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एसडीएम कैलाश चंद शर्मा ने बताया कि उन्हें फोन पर सूचना दी गई कि लालपुरी गांव में श्मशान भूमि के अभाव मे दाह संस्कार के लिए एक वृद्ध का शव रखा हुआ (No cremation ground in Lalpuri village of Alwar) है. जिसके बाद मौके पर पहुंचे और लोगों से समझाइश की. लेकिन किसी नतीजे पर नही पहुंचने पर बाम्बोली, जातपुर व लालपुरी रास्ते के तिराहे पर छोड़ी गई सरकारी जमीन पर लगे गेंहू की फसल को उखाड़ कर साफ किया और अतिक्रमण हटाया गया. जिसके बाद वृद्ध का दाह संस्कार किया गया.
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श्मशान भूमि नही होने के कारण करीब 10 वर्ष से आ रही हैं समस्या: लालपुरी गांव में जाटव समाज के लोगों के पास श्मशान भूमि नहीं होने के कारण करीब 10 वर्ष से समस्या बनी हुई है. जब भी गांव में कोई मौत होती हैं, तो गांव वाले शव का अपने खेतों में दाह संस्कार करते हैं. जिनके लोगों के पास जमीन नहीं है, उनको दाह संस्कार के लिए भटकना पड़ता है. 10 वर्ष पहले भी ऐसा ही वाकया हो चुका है. तब भी प्रशासन की दखल के बाद दाह संस्कार किया गया था.