अलवर. सिलीसेढ़ झील में इन दिनों विदेशी पक्षियों का तांता लगा हुआ है. कई प्रजातियों के देशी-विदेशी पक्षी यहां पर पहुंचे हैं. अक्सर सर्दियों में विदेशी पक्षी जिले की झीलों के आसपास पहुंच जाते हैं और फरवरी के अंत तक यहीं रहते हैं. वोटिंग करने वाले पर्यटक इन पक्षियों का आनंद ले रहे हैं.
जैसे ही गर्मी चालू होती है, अलवर से पक्षी वापस जाने लग जाते हैं. सबसे ज्यादा पक्षी सिलीसेढ़ झील पर ही मिलते हैं. इसके अलावा सरिस्का क्षेत्र के तालाब व जंगल में भी सैकड़ों तरह की प्रजातियों के विदेशी पक्षी आते हैं. सिलीसेढ़ झील में बोटिंग करने आए पर्यटकों को विदेशी पक्षियों का झुंड दिखाई दिया. इस तरह एक साथ पक्षियों का झुंड देखकर पर्यटक खुश नजर आए और इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद किया.
वन प्रेमी लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि विदेशी पक्षियों का सर्दियों के मौसम में अलवर जिले के आसपास पहुंचना शुरू हो जाता है. सबसे ज्यादा पक्षी अलवर जिले की सिलीसेढ़ झील पर ही पहुंचते हैं. लेकिन अब असामाजिक तत्वों के द्वारा वहां पर अतिक्रमण करने के कारण पक्षियों ने अपना स्थान बदल लिया है और वो दूसरी जगह जानने लगे हैं. सबसे ज्यादा विदेशी प्रजातियों के पक्षी सिलीसेढ़ झील पर ही मिलते हैं.
अलवर में 200 से अधिक देशी-विदेशी प्रजातियों के पक्षी निवास करते हैं. वहीं सर्दियों के सीजन में यानी नवंबर से लेकर फरवरी माह तक पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. इन दिनों सिलीसेढ़ व सरिस्का में लंबा सफर तय कर देशी-विदेशी पक्षी पहुंच चुके हैं. ईरान, एशिया, यूरेशिया, ईराक, मंगोलिया, नॉर्थ एशिया के शोब्लर, गार्गनी, लेजर वाइट फ्रॉट, ग्रेटर ईगल, स्फूनबिल, ई ग्रेट आइविस, पिंटेल, चाइनीज कूट, मास हेरियर आदि पक्षी आते हैं. दक्षिण एशिया के मंगोलिया, कजाकिस्तान, रूस व तिब्बत क्षेत्र से पलायन कर दिसंबर में यहां पहुंचते हैं. इन प्रवासी पक्षियों ने एनिकट के आसपास पेड़ों और चट्टानों पर डेरा डाला हुआ है. ये पक्षी झुंड में ही रहते हैं और एक साथ घोंसला बनाते हैं.
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सरिस्का में भी आते हैं विदेशी पक्षी: सरिस्का टाइगर रिजर्व की भौगोलिक स्थिति राज्य के अन्य पार्कों से अलग है. छोटी-बड़ी पहाड़ियां, जंगल, नदी-नाले, तालाब सरिस्का की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. इस साल सरिस्का में अच्छी बारिश हुई है. खास बात यह कि मानसून से पहले एवं बाद में भी बारिश हुई थी. लगातार हुई बारिश से सरिस्का में हरियाली ही हरियाली नजर आई. सरिस्का में कई फीट ऊंची घास देखने लायक है. चारों ओर पेड़-पत्ती की हरियाली दिखाई देती है.