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अलवर बन रहा मिलावटखोरों का गढ़, दूध और मिठाई में होती है सबसे ज्यादा मिलावट

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Published : Oct 20, 2022, 10:10 AM IST

Updated : Oct 20, 2022, 1:23 PM IST

अलवर जिला मिलावटखोरों का गढ़ (adulteration Case in Alwar) बनता जा रहा है. यहां से प्रतिदिन हजारों लीटर दूध और भारी मात्री में मावा और मिठाई की एनसीआर में सप्लाई होती है. डिमांड पूरी करने के लिए मिलावट खोर जमकर मिलावट करते हैं. जिले के 429 मामले न्यायालय में लंबित हैं.

adulteration in milk and sweets
अलवर बन रहा मिलावटखोरों का गढ़

अलवर. जिला अलवर एनसीआर का हिस्सा है. अलवर से प्रतिदिन हजारों लीटर दूध और कई क्विंटल मावा और मिठाई एनसीआर में सप्लाई (Supply of milk from alwar) होती है. हर साल स्वास्थ्य विभाग की टीम 400 से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल लेती है. बड़ी संख्या में सैंपल फेल होते हैं, लेकिन मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण मिलावटखोरों में प्रशासन का डर समाप्त हो चुका है. जिले के 429 मामले (adulteration Case in Alwar) न्यायालय में लंबित हैं.

अलवर जिला मिलावट के लिए पूरे देश में बदनाम है. हजारों लीटर दूध और मिठाइयां प्रतिदिन एनसीआर के विभिन्न शहरों में सप्लाई होती है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें जो साल 2019 में अलवर जिले में 376 सैंपल लिए गए. इसमें 13 मिस ब्रांड, 61 सब्सटेंडर्ड और 19 अनसेफ मिले हैं. इसी तरह से साल 2020 में 353 सैंपल लिए गए. इसमें 13 मिस ब्रांड मिले. इसमें 64 सब्सटेंडर्ड और 11 अनसेफ मिले हैं.

पढ़ें- दिवाली पर मिलावट का काला कारोबार, ऐसे करें मिलावटी सामान की जांच

साल 2021 में 322 खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए. इसमें 5 मिसब्रांड, 70 सब्सटेंडर्ड और 25 अनसेफ पाए गए. साल 2022 में 443 सैम्पल लिए गए. इसमें 46 दूध के सैंपल थे. 192 दूध से बनी हुई मिठाइयों, 36 अन्य मिठाइयों के थे. इसके अलावा 51 सैंपल घी और तेल के थे. 118 अन्य खाद्य पदार्थों के सैम्पल थे. इनमें से 132 फेल हो गए. 28 अनसेफ, 77 अब स्टैंडर्ड और 27 मिसब्राण्ड मिले हैं.

सबसे ज्यादा दूध के सैम्पल फेल हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि दूध और दूध से बनी हुई मिठाइयां अलवर से सप्लाई होती है. त्योहार के सीजन में दूध और मिठाइयों के डिमांड बढ़ जाती है. डिमांड पूरी करने के लिए मिलावट खोर जमकर मिलावट करते हैं. अलवर जिले में साल 2011 से पुराने मामले न्यायालय में पेंडिंग हैं. ऐसे में मिलावटखोरों को सजा नहीं मिल पाती है, इसलिए मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

पढ़ें- शुद्ध के लिए युद्ध अभियान: 10 हजार दुकानों पर एक फूड इंस्पेक्टर, 9 पद खाली, कैसे कसेगा मिलावट पर शिकंजा

कुछ मामलों में मिली सजा- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि फेल होने वाले नमूनों के मामलों में लंबी प्रक्रिया चलती है. इस प्रक्रिया में सालों का समय लगता है. इसलिए कुछ ही मामलों में सजा मिली है. 27 अप्रैल 2022 को 2010 के मामले में मिलावट खोर को 2 वर्ष की साधारण कारावास की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. इसी तरह से 5 मई 2022 को न्यायालय ने मिलावट के मामले में सजा सुनाते हुए आरोपी को 2 साल के साधारण कारावास की सजा और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया. इसके अलावा कुछ मामले अभी भी न्यायालय में पेंडिंग हैं.

न्यायालय में पेंडिंग हैं मामले- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मिलावट के मामलों में सजा नहीं मिल पाती है. अलवर जिले में साल 2011 से पहले के मामलों में मिलावटखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी मामले पेंडिंग हैं. सरकारी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 345 मामले एडीएम कोर्ट में पेंडिंग हैं और 129 मामले सीजेएम कोर्ट में चल रहे हैं.

डॉक्टरों ने दी सलाह- मिलावटी खाद्य सामग्री सेहत के लिए नुकसानदायक होती है. राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अशोक महावर ने कहा कि त्योहार के सीजन में बाजार में मिलने वाली चीजों को कम काम में लेना चाहिए. खुले हुए खाद्य पदार्थ की जगह पैकिंग वाली चीजें ज्यादा काम में लेनी चाहिए. मिलावटी खाद्य पदार्थ से लीवर, किडनी, हार्ड सभी को नुकसान पहुंचता है. लगातार मिलावटी दूध सिंथेटिक दूध काम में लेने व दूध से बनी हुई मिठाइयों को काम में लेने से खासा नुकसान होता है. त्योहार के सीजन में किसी भी तरह की परेशानी होने पर लोगों को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और उचित इलाज लेना चाहिए. समय पर इलाज नहीं लेने से लोगों को परेशानी हो सकती है. डॉक्टरों ने कहा कि खाद्य पदार्थों से सबसे ज्यादा पेट संबंधित परेशानियां होती हैं.

अलवर. जिला अलवर एनसीआर का हिस्सा है. अलवर से प्रतिदिन हजारों लीटर दूध और कई क्विंटल मावा और मिठाई एनसीआर में सप्लाई (Supply of milk from alwar) होती है. हर साल स्वास्थ्य विभाग की टीम 400 से ज्यादा खाद्य पदार्थों के सैंपल लेती है. बड़ी संख्या में सैंपल फेल होते हैं, लेकिन मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण मिलावटखोरों में प्रशासन का डर समाप्त हो चुका है. जिले के 429 मामले (adulteration Case in Alwar) न्यायालय में लंबित हैं.

अलवर जिला मिलावट के लिए पूरे देश में बदनाम है. हजारों लीटर दूध और मिठाइयां प्रतिदिन एनसीआर के विभिन्न शहरों में सप्लाई होती है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें जो साल 2019 में अलवर जिले में 376 सैंपल लिए गए. इसमें 13 मिस ब्रांड, 61 सब्सटेंडर्ड और 19 अनसेफ मिले हैं. इसी तरह से साल 2020 में 353 सैंपल लिए गए. इसमें 13 मिस ब्रांड मिले. इसमें 64 सब्सटेंडर्ड और 11 अनसेफ मिले हैं.

पढ़ें- दिवाली पर मिलावट का काला कारोबार, ऐसे करें मिलावटी सामान की जांच

साल 2021 में 322 खाद्य पदार्थों के सैंपल लिए गए. इसमें 5 मिसब्रांड, 70 सब्सटेंडर्ड और 25 अनसेफ पाए गए. साल 2022 में 443 सैम्पल लिए गए. इसमें 46 दूध के सैंपल थे. 192 दूध से बनी हुई मिठाइयों, 36 अन्य मिठाइयों के थे. इसके अलावा 51 सैंपल घी और तेल के थे. 118 अन्य खाद्य पदार्थों के सैम्पल थे. इनमें से 132 फेल हो गए. 28 अनसेफ, 77 अब स्टैंडर्ड और 27 मिसब्राण्ड मिले हैं.

सबसे ज्यादा दूध के सैम्पल फेल हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि दूध और दूध से बनी हुई मिठाइयां अलवर से सप्लाई होती है. त्योहार के सीजन में दूध और मिठाइयों के डिमांड बढ़ जाती है. डिमांड पूरी करने के लिए मिलावट खोर जमकर मिलावट करते हैं. अलवर जिले में साल 2011 से पुराने मामले न्यायालय में पेंडिंग हैं. ऐसे में मिलावटखोरों को सजा नहीं मिल पाती है, इसलिए मिलावटखोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

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कुछ मामलों में मिली सजा- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि फेल होने वाले नमूनों के मामलों में लंबी प्रक्रिया चलती है. इस प्रक्रिया में सालों का समय लगता है. इसलिए कुछ ही मामलों में सजा मिली है. 27 अप्रैल 2022 को 2010 के मामले में मिलावट खोर को 2 वर्ष की साधारण कारावास की सजा सुनाई और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. इसी तरह से 5 मई 2022 को न्यायालय ने मिलावट के मामले में सजा सुनाते हुए आरोपी को 2 साल के साधारण कारावास की सजा और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया. इसके अलावा कुछ मामले अभी भी न्यायालय में पेंडिंग हैं.

न्यायालय में पेंडिंग हैं मामले- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मिलावट के मामलों में सजा नहीं मिल पाती है. अलवर जिले में साल 2011 से पहले के मामलों में मिलावटखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. सभी मामले पेंडिंग हैं. सरकारी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 345 मामले एडीएम कोर्ट में पेंडिंग हैं और 129 मामले सीजेएम कोर्ट में चल रहे हैं.

डॉक्टरों ने दी सलाह- मिलावटी खाद्य सामग्री सेहत के लिए नुकसानदायक होती है. राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अशोक महावर ने कहा कि त्योहार के सीजन में बाजार में मिलने वाली चीजों को कम काम में लेना चाहिए. खुले हुए खाद्य पदार्थ की जगह पैकिंग वाली चीजें ज्यादा काम में लेनी चाहिए. मिलावटी खाद्य पदार्थ से लीवर, किडनी, हार्ड सभी को नुकसान पहुंचता है. लगातार मिलावटी दूध सिंथेटिक दूध काम में लेने व दूध से बनी हुई मिठाइयों को काम में लेने से खासा नुकसान होता है. त्योहार के सीजन में किसी भी तरह की परेशानी होने पर लोगों को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और उचित इलाज लेना चाहिए. समय पर इलाज नहीं लेने से लोगों को परेशानी हो सकती है. डॉक्टरों ने कहा कि खाद्य पदार्थों से सबसे ज्यादा पेट संबंधित परेशानियां होती हैं.

Last Updated : Oct 20, 2022, 1:23 PM IST
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