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अब प्लाज्मा व प्लेटलेट्स के लिए मरीज के परिजनों को नहीं होना पड़ेगा परेशान - Hospital got the license of separation unit

अलवर जिले के सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब प्लेटलेट्स और प्लाज्मा के लिए निजी लैबों के चक्कर नहीं लगाने (No need to visit private labs) होंगे. लंबे इंतजार के बाद सामान्य अस्पताल में ब्लड सेपरेशन यूनिट (blood separation unit) के लगने से अब रोजाना 50 से 60 यूनिट मरीजों को ब्लड और अन्य कॉन्फिडेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जिससे मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

Blood Separation Unit installed,  Rajiv Gandhi General Hospital
प्लाज्मा के लिए नहीं होना पड़ेगा परेशान
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Published : Sep 24, 2022, 4:18 PM IST

अलवर. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल (Rajiv Gandhi General Hospital) में प्रतिदिन ओपीडी में चार हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं. अलवर के अलावा भरतपुर, दौसा और मेवात के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं. अस्पताल में अभी तक प्लाज्मा और प्लेटलेट्स सहित अन्य ब्लड सेपरेशन की सुविधा नहीं थी. पांच साल से यह प्रोजेक्ट अटका था. हालांकि, ब्लड सेपरेशन यूनिट के लिए एक मशीन अस्पताल में कई साल पहले आई थी. लेकिन दूसरी मशीन की प्रतीक्षा थी, जो किन्हीं कारणों से अटक गई थी.

हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने सेपरेशन यूनिट के लाइसेंस (Hospital got the license of separation unit) के लिए अप्लाई कर दिया गया था. ब्लड बैंक की बिल्डिंग का काम पूरा होने के बाद गाजियाबाद से एक टीम सर्वे के लिए आई थी. लेकिन कोरोना के चलते दो साल तक काम रुका रहा. इधर, विधायक कोटे से अस्पताल को आवंटित बजट से सेपरेशन यूनिट की दूसरी मशीन अब खरीदी जा सकी है. ऐसे में लंबे इंतजार के बाद अस्पताल में ब्लड सेपरेशन का काम शुरू हो गया है.

मरीज के परिजनों को नहीं होना पड़ेगा परेशान.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान के सबसे बड़े जिला अस्पताल में डेंगू की जांच किट खत्म

ब्लड बैंक के डॉक्टरों ने बताया कि 3 दिनों से लगातार ब्लड से प्लाज्मा, प्लेटलेट्स व एसजीपी अलग करने का काम चल रहा है. रोजाना 50 से 60 यूनिट मरीजों को ब्लड और अन्य कॉन्फिडेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. तरुण यादव (Dr. Tarun Yadav, in-charge of blood bank) ने बताया कि ब्लड सेपरेशन यूनिट लगने से थैलेसीमिया के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. जिले में करीब 50 से ज्यादा थैलेसीमिया के मरीज हैं. हर मरीज को हर 15 दिन में प्लाज्मा की आवश्यकता होती है. इसके अलावा डेंगू के मरीजों को भी प्लेटलेट्स और एनीमिया के मरीजों को एसजीपी की जरूरत होती है.

अलवर. जिले के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल (Rajiv Gandhi General Hospital) में प्रतिदिन ओपीडी में चार हजार से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं. अलवर के अलावा भरतपुर, दौसा और मेवात के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते हैं. अस्पताल में अभी तक प्लाज्मा और प्लेटलेट्स सहित अन्य ब्लड सेपरेशन की सुविधा नहीं थी. पांच साल से यह प्रोजेक्ट अटका था. हालांकि, ब्लड सेपरेशन यूनिट के लिए एक मशीन अस्पताल में कई साल पहले आई थी. लेकिन दूसरी मशीन की प्रतीक्षा थी, जो किन्हीं कारणों से अटक गई थी.

हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने सेपरेशन यूनिट के लाइसेंस (Hospital got the license of separation unit) के लिए अप्लाई कर दिया गया था. ब्लड बैंक की बिल्डिंग का काम पूरा होने के बाद गाजियाबाद से एक टीम सर्वे के लिए आई थी. लेकिन कोरोना के चलते दो साल तक काम रुका रहा. इधर, विधायक कोटे से अस्पताल को आवंटित बजट से सेपरेशन यूनिट की दूसरी मशीन अब खरीदी जा सकी है. ऐसे में लंबे इंतजार के बाद अस्पताल में ब्लड सेपरेशन का काम शुरू हो गया है.

मरीज के परिजनों को नहीं होना पड़ेगा परेशान.

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ब्लड बैंक के डॉक्टरों ने बताया कि 3 दिनों से लगातार ब्लड से प्लाज्मा, प्लेटलेट्स व एसजीपी अलग करने का काम चल रहा है. रोजाना 50 से 60 यूनिट मरीजों को ब्लड और अन्य कॉन्फिडेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. तरुण यादव (Dr. Tarun Yadav, in-charge of blood bank) ने बताया कि ब्लड सेपरेशन यूनिट लगने से थैलेसीमिया के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. जिले में करीब 50 से ज्यादा थैलेसीमिया के मरीज हैं. हर मरीज को हर 15 दिन में प्लाज्मा की आवश्यकता होती है. इसके अलावा डेंगू के मरीजों को भी प्लेटलेट्स और एनीमिया के मरीजों को एसजीपी की जरूरत होती है.

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