अलवर. अलवर में ब्लैक फंगस लगातार पैर पसार रहा है. ब्लैक फंगस से भिवाड़ी की रहने वाली एक महिला की मौत का मामला सामने आया है. ब्लैक फंगस से अलवर में यह पहली मौत है. हालांकि मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिला मुख्यालय के अलावा सभी ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीजों को इलाज के लिए जयपुर शिफ्ट किया जा रहा है. ऐसे में थोड़ी भी लापरवाही बड़ी परेशानी बन सकती है. क्योंकि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इंजेक्शन की कमी हो रही है.
पढ़ें: RBM जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस का इलाज शुरू, 20 बेड का वार्ड तैयार...3 मरीज भर्ती
ब्लैक फंगस से भिवाड़ी निवासी 28 वर्षीय विवाहिता की दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई. भिवाड़ी की एसेंसिया सोसायटी में रहने वाले और सोसायटी के मेंटेनेंस मैनेजर राजकुमार सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी दीपिका सिंह (28) को करीब 20 दिन पूर्व टायफाइड हुआ था.उसका इलाज चला और वह ठीक हो गई. 24 मई को आंखों में परेशानी महसूस हुई. आंखों में सूजन भी आ गई और नाक से ब्लड भी आया था. इस पर उसको रेवाड़ी में चिकित्सकों को दिखाया गाय तो उन्होंने सीटी स्कैन की जांच के हिसाब से फंगल इंफेक्शन की आंशका जताई. इलाज के लिए जयपुर या दिल्ली ले जाने की सलाह दी. परिजन उन्हें 25 मई को दिल्ली ले गए जहां कोरोना जांच निगेटिव आई और ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जीटीवी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया.
वहां भी कुछ जांच की गई व रिपोर्ट मिलने के बाद चिकित्सकों के अनुसार इंजेक्शन के लिए परिजनों ने प्रयास शुरु किए. दीपिका के जेठ संजय सिंह ने बताया चिकित्सकों ने इलाज के लिए एंटीफंगल इंजेक्शन एम्फोनेक्स लिखा था जिसके लिए प्रयास शुरु कर दिए थे. इसकी उपलब्धता नहीं होने के कारण इंजेक्शन नहीं मिल सका. काफी प्रयास के बाद मुम्बई से 30 मई की दोपहर तक इंजेक्शन मिलने की बात बनी, लेकिन उससे पहले ही सुबह उनकी मौत हो गई.
जिला मुख्यालय से अब तक करीब 15 मरीज इलाज के लिए जयपुर रेफर किए गए हैं. इसके अलावा सीएससी में ग्रामीण क्षेत्र से 20 लोगों को जयपुर रेफर करने की प्रक्रिया जारी है. गांव कुंडरोली निवासी ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीज को सोमवार को सीएचसी राजगढ़ से जयपुर के लिए रेफर किया. कुंडरोली निवासी रामकिशन (45) को परिजन सोमवार को सीएचसी दिखाने लाए थे यहां डॉ. सिद्धार्थ शर्मा ने परीक्षण कर जयपुर के लिए रेफर किया.
सामुदायिक चिकित्सालय भिवाड़ी प्रभारी डॉक्टर के के शर्मा ने बताया कि शहर के बाईपास स्थित एक निजी कॉलोनी में रहने वाली दीपिका को पहले टाइफाइड हुआ और उसके बाद उन्होंने एक निजी हॉस्पिटल में जांच कराई तो पॉजिटिव पाई गईं. पॉजिटिव बताए जाने के बाद पास के ही हरियाणा के धारूहेड़ा स्थित एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, लेकिन समस्या बढ़ते देख परिजनों के की ओर से मरीज को दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया जहां उपचार के दौरान दीपिका की मौत हो गई.