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अलवरः बहरोड़ में तीन दिवसीय छठ पूजा पर्व की शुरुआत

अलवर के बहरोड़ कस्बे में तीन दिवसीय छठ पूजा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. छठ पूजा के पहले दिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ देकर पर्व की शुरुआत की.

three-day Chhath Puja,तीन दिवसीय छठ पूजा
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Published : Nov 2, 2019, 6:51 PM IST

बहरोड़ (अलवर). जिले की शक्ति विहार कालोनी में गुरुवार को छठ पूजा का त्योहार बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस पर्व के पहले दिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ देकर पर्व की शुरूआत की. वहीं तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

बहरोड़ में तीन दिवसीय छठ पूजा पर्व की हुई शुरूआत

बता दे कि छठ पूजा के दिन महिलाएं बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाती हैं. और व्रती के साथ परिवार और पड़ोसी अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक साथ पानी के बनाए कुंड में एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं. सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ मैया की सूप से पूजा की जाती है.

यह भी पढ़ें : कार्तिक में कैसा ये मौसम : जैसलमेर में गिरे चने के आकार के ओले और बाड़मेर-बीकानेर में बूंदाबांदी

कस्बावासी धीरसिंह ने बताया कि दीपावली के 6 दिन बाद से छठ पूजा का पर्व शुरु हो जाता है. जिसमें शाम को महिलाएं अर्घ्य देती है. इसके पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते हैं. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

बहरोड़ (अलवर). जिले की शक्ति विहार कालोनी में गुरुवार को छठ पूजा का त्योहार बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस पर्व के पहले दिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ देकर पर्व की शुरूआत की. वहीं तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

बहरोड़ में तीन दिवसीय छठ पूजा पर्व की हुई शुरूआत

बता दे कि छठ पूजा के दिन महिलाएं बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाती हैं. और व्रती के साथ परिवार और पड़ोसी अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक साथ पानी के बनाए कुंड में एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं. सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ मैया की सूप से पूजा की जाती है.

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कस्बावासी धीरसिंह ने बताया कि दीपावली के 6 दिन बाद से छठ पूजा का पर्व शुरु हो जाता है. जिसमें शाम को महिलाएं अर्घ्य देती है. इसके पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते हैं. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

Intro:बहरोड कस्बे के शक्ति विहार कालोनी में आज छठ पूजा का त्योहार बडी धूमधाम से मनाया जा रहा है । छठ पर्व के पहले दिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ देकर पर्व की सुरुआत कीBody:बहरोड -एंकर- बहरोड कस्बे के शक्ति विहार कालोनी में आज छठ पूजा का त्योहार बडी धूमधाम से मनाया जा रहा है । छठ पर्व के पहले दिन महिलाओं ने सूर्य को अर्घ देकर पर्व की सुरुआत की । तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा । शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं.बूंदाबांदी
शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार और पड़ोसी अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक साथ पानी के बनाये कुंड में एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं. सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ मैया की सूप से पूजा की जाती है। कस्बे में रहने वाले धीरसिंह ने बताया कि दीपावली के 6 दिन बाद से छठ पूजा का पर्व सुरु होता है । जिसमे शाम को महिलाएं अर्घ्य देती है । इसके पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते हैं. जिसका फल हर भक्त को मिलता है । बाइट- धीर सिंह - कस्बेवासीConclusion:कस्बे में रहने वाले धीरसिंह ने बताया कि दीपावली के 6 दिन बाद से छठ पूजा का पर्व सुरु होता है । जिसमे शाम को महिलाएं अर्घ्य देती है । इसके पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है
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