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Rakbar Mob Lynching Case: रकबर मॉब लिंचिंग मामले में अब 25 मई को आएगा फैसला

राजस्थान के बहुचर्चित रकबर मॉब लिंचिंग मामले में अब आगामी 25 मई को फैसला आ सकता है. इस केस में असलम के बयान पर जिरह की याचिका हाईकोर्ट में लगने के बाद अब 17 मई को बहस होगी. उसके बाद (Decision will come on May 25) फैसला आएगा.

Rakbar Mob Lynching Case
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Published : May 15, 2023, 7:50 PM IST

अलवर. जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के ललावंडी गांव में करीब पांच साल पहले गौ तस्करी के शक में रकबर मॉब लिंचिंग मामले में फैसला अब 25 मई को सुनाया जा सकता है. पहले केस के फैसले की तारीख 15 मई तय की गई थी. लेकिन इस मामले में असलम के बयान पर जिरह की याचिका हाईकोर्ट में लगने के बाद अब बहस 17 मई को होगी. उसके बाद 25 मई को फैसला आएगा.

आरोपी धर्मेंद्र व अन्य की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट हेमराज गुप्ता ने बताया कि 311 का आवेदन असलम का बयान दुबारा कराने के लिए लगाया गया था. असलम का बयान काफी लंबे समय के बाद मिला है. असल में असलम के न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने लिए गए थे. उसमें किसी भी अभियुक्त का नाम नहीं था. इसलिए असमल के बयान पर जिरह करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. ऐडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. अब असलम के मामले में सुनवाई की 17 मई की सुनावाई की तारीख है. इसलिए असमल से दुबारा जिरह करना चाहते हैं.

न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने लिए गए असलम के पहले बयान में किसी भी अभियुक्त का नाम नहीं था. इसलिए उस बयान पर जिरह होगी. जिसका केस पर बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा. न्यायालय के निर्णय की तारीख 25 मई तय की गई है. इस 'मामले में सरकार की ओर से 67 गवाहों के बयान तथा 129 पेज के दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए. बहुचर्चित इस मॉब लिंचिंग केस में पैरवी के लिए राजस्थान सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट नासिर अली नकवी को 2021 में विशिष्ट लोक अभियोजक नियुक्त किया था.

केस की सुनवाई अलवर एडीजे नंबर 1 विशेष कोर्ट में चल रही है. एडवोकेट नकवी पहले बता चुके हैं कि 20-21 जुलाई 2018 को रकबर की मारपीट की हत्या कर दी गई थी. इस केस में पुलिस ने परमजीत, धर्मेंद्र व नरेश को गिरफ्तार किया था. बाद में विजय व नवल को गिरफ्तार किया गया था. इस तरह मॉब लिंचिंग में कुल 5 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था. केस में 67 गवाहों के बयान कराए गए हैं.

इसे भी पढ़ें - रकबर मॉब लिंचिंग मामले में पुलिस ने पेश किया चौथे आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र

इनमें कांस्टेबल नरेंद्र सिंह, तत्कालीन रामगढ़ थाना प्रभारी एवं एएसआई मोहन सिंह, रकबर का साथी असलम सहित पांच लोग चश्मदीद गवाह हैं. 129 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए हैं. इनमें आरोपियों की मोबाइल की कॉल डिटेल व लोकेशन भी है. पुलिस ने मारपीट में काम लिए डंडे भी बरामद किए थे. मेडिकल पोस्टमार्टम में रकबर के शरीर पर 13 चोटों के निशान थे. डॉक्टरों ने उसकी मौत भी चोटों के कारण मानी थी. पुलिस हिरासत में मारपीट के कोई साक्ष्य नहीं मिले है मामला यह है की रामगढ़ ललावंडी गांव के पास 20-21 जुलाई 2018 की रात को जंगल से पैदल गाय ले जा रहे हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर एवं उसके साथी असलम को लोगों ने घेर कर मारपीट की थी.

इस दौरान असलम लोगों से छूटकर भाग गया था. कबर घायल हो गया था. घायल को पुलिस के हवाले कर दिया था. रामगढ़ सीएचसी पर ले जाने के दौरान रकबर की मौत हो गई थी. पुलिस ने धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश, विजय व नवल को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था. ये सभी आरोपी अभी हाईकोर्ट से जमानत पर हैं रकबर मॉब लिंचिंग के मामले में परिजनों ने जिला जज अदालत में केस ट्रांसफर की याचिका भी लगाई थी. हालांकि याचिका खारिज हो गई थी और केस एडीजे-1 की अदालत में चला. प्रशासन ने यह मामला राज्य सरकार के गृह व विधि विभाग को भेजा था. बाद में राज्य सरकार ने इसमें हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट नासिर अली नकवी को पैरवी के लिए नियुक्त किया था.

अलवर. जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के ललावंडी गांव में करीब पांच साल पहले गौ तस्करी के शक में रकबर मॉब लिंचिंग मामले में फैसला अब 25 मई को सुनाया जा सकता है. पहले केस के फैसले की तारीख 15 मई तय की गई थी. लेकिन इस मामले में असलम के बयान पर जिरह की याचिका हाईकोर्ट में लगने के बाद अब बहस 17 मई को होगी. उसके बाद 25 मई को फैसला आएगा.

आरोपी धर्मेंद्र व अन्य की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट हेमराज गुप्ता ने बताया कि 311 का आवेदन असलम का बयान दुबारा कराने के लिए लगाया गया था. असलम का बयान काफी लंबे समय के बाद मिला है. असल में असलम के न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने लिए गए थे. उसमें किसी भी अभियुक्त का नाम नहीं था. इसलिए असमल के बयान पर जिरह करने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया था. ऐडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. अब असलम के मामले में सुनवाई की 17 मई की सुनावाई की तारीख है. इसलिए असमल से दुबारा जिरह करना चाहते हैं.

न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने लिए गए असलम के पहले बयान में किसी भी अभियुक्त का नाम नहीं था. इसलिए उस बयान पर जिरह होगी. जिसका केस पर बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा. न्यायालय के निर्णय की तारीख 25 मई तय की गई है. इस 'मामले में सरकार की ओर से 67 गवाहों के बयान तथा 129 पेज के दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए. बहुचर्चित इस मॉब लिंचिंग केस में पैरवी के लिए राजस्थान सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट नासिर अली नकवी को 2021 में विशिष्ट लोक अभियोजक नियुक्त किया था.

केस की सुनवाई अलवर एडीजे नंबर 1 विशेष कोर्ट में चल रही है. एडवोकेट नकवी पहले बता चुके हैं कि 20-21 जुलाई 2018 को रकबर की मारपीट की हत्या कर दी गई थी. इस केस में पुलिस ने परमजीत, धर्मेंद्र व नरेश को गिरफ्तार किया था. बाद में विजय व नवल को गिरफ्तार किया गया था. इस तरह मॉब लिंचिंग में कुल 5 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था. केस में 67 गवाहों के बयान कराए गए हैं.

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इनमें कांस्टेबल नरेंद्र सिंह, तत्कालीन रामगढ़ थाना प्रभारी एवं एएसआई मोहन सिंह, रकबर का साथी असलम सहित पांच लोग चश्मदीद गवाह हैं. 129 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए हैं. इनमें आरोपियों की मोबाइल की कॉल डिटेल व लोकेशन भी है. पुलिस ने मारपीट में काम लिए डंडे भी बरामद किए थे. मेडिकल पोस्टमार्टम में रकबर के शरीर पर 13 चोटों के निशान थे. डॉक्टरों ने उसकी मौत भी चोटों के कारण मानी थी. पुलिस हिरासत में मारपीट के कोई साक्ष्य नहीं मिले है मामला यह है की रामगढ़ ललावंडी गांव के पास 20-21 जुलाई 2018 की रात को जंगल से पैदल गाय ले जा रहे हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर एवं उसके साथी असलम को लोगों ने घेर कर मारपीट की थी.

इस दौरान असलम लोगों से छूटकर भाग गया था. कबर घायल हो गया था. घायल को पुलिस के हवाले कर दिया था. रामगढ़ सीएचसी पर ले जाने के दौरान रकबर की मौत हो गई थी. पुलिस ने धर्मेंद्र, परमजीत सिंह, नरेश, विजय व नवल को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार किया था. ये सभी आरोपी अभी हाईकोर्ट से जमानत पर हैं रकबर मॉब लिंचिंग के मामले में परिजनों ने जिला जज अदालत में केस ट्रांसफर की याचिका भी लगाई थी. हालांकि याचिका खारिज हो गई थी और केस एडीजे-1 की अदालत में चला. प्रशासन ने यह मामला राज्य सरकार के गृह व विधि विभाग को भेजा था. बाद में राज्य सरकार ने इसमें हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट नासिर अली नकवी को पैरवी के लिए नियुक्त किया था.

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