अलवर. कहते हैं कि जीवन में अगर कुछ ठान लो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता. यह लाइन अलवर की रेखा के लिए एकदम सही साबित होती है. मालाखेड़ा क्षेत्र के एक छोटे से गांव कीरो ढाणी की रहने वाली रेखा ने पैरालंपिक में स्टेट लेवल पर तीन गोल्ड मेडल हासिल किए. रेखा एक दलित परिवार से आती है और जोधपुर स्थित नेत्रहीन विकास संस्थान में 10वीं की पढ़ाई कर रही है. रेखा ने बताया कि 500 मीटर दौड़, शॉट पुट व लॉन्ग जंप में उसने तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. उसके 8 भाई-बहन हैं, जिनमें से 4 नेत्रहीन हैं. परिवार गरीब है. पिता मजदूरी करते हैं व मां और बच्चे लकड़ी के छबड़े बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं.
शुक्रवार को रेखा अपने गांव पहुंची. इसकी सूचना मिलते ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जमा हो गए. ग्रामीणों ने रेखा को साफा बांधा, माला पहनाई और एक दूसरे को मिठाई खिलाई. उसके बाद डीजे पर जमकर डांस किया और रेखा को गाड़ी में बैठा कर डीजे के साथ गांव लेकर गए. गांव में हुए जोरदार स्वागत पर रेखा ने खुशी जाहिर करते हुए गांव वालों को धन्यवाद दिया. उसने कहा कि वो एक गरीब परिवार से है. उसने कभी जीवन में नहीं सोचा था कि वो इस मुकाम पर पहुंचेगी. गांव के लोगों से मिले प्यार को वो कभी नहीं भूल पाएगी.
रेखा के पिता ने कहा कि उनके 8 बच्चे हैं, उनमें से चार नेत्रहीन हैं. परिवार की हालत खराब है. जीवन यापन में भी खासी दिक्कत आती है. रेखा को देखने के लिए लोग गांव की छतों पर चढ़ गए और जश्न का आनंद लिया. रेखा के स्वागत कार्यक्रम में काफी संख्या में क्षेत्र के लोग मौजूद रहे. वहीं, ग्रामीणों ने कहा कि मंत्री टीकाराम जूली से मुलाकात करके उनके सामने रेखा की समस्या रखी जाएगी व सरकार से मदद दिलवाने के भी प्रयास किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि परिवार को जीवन यापन में दिक्कत आती है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. रेखा की प्रतिभा को एक पहचान मिले और वह जीवन में आगे बढ़े, इसके प्रयास भी सरकार को करने की आवश्यकता है. लोगों ने कहा कि रेखा जैसे कई बच्चे हैं जो जीवन में मदद नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं. रेखा ने भी अपने जैसे अन्य बच्चों को संदेश देते हुए कहा कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए. हमें अपना लक्ष्य निर्धारित करना होगा और जब तक सफलता नहीं मिलती, तब तक प्रयास करते रहने की आवश्यकता है.