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अलवर : 8 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर आया काबू में...Video - tranquilize

अलवर के जय कृष्ण क्लब में बुधवार सुबह करीब 5 बजे एक पैंथर नजर आया. उसके बाद पैंथर ने सुबह 9 बजे तक कई लोकेशन बदली.अंत में पैंथर भाग कर फिर से जय कृष्ण क्लब में पहुंच गया. इस बार वो क्लब के कार्ड खेलने वाले रूम में बंद हो गया.

कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को किया ट्रेंकुलाइज
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Published : Apr 4, 2019, 11:21 AM IST

अलवर. जय कृष्ण क्लब में पैंथर खासा डरा हुआ था इसलिए वो कुर्सी के नीचे छुप गया. उस पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के दौरान बड़े ही अजीबो गरीब तरिके दिखाई दिए. कमरे में बंद पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए वन विभाग की टीम ने पहले कमरे के गेट में कारपेंटर की मदद से छेद कराया. उसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए पहले एक पानी की बोतल कमरे के अंदर फेंकी.बोतल फेंक कर पैंथर को कुर्सी के नीचे से बाहर निकालने का प्रयास किया. लेकिन वो सफल नहीं हो सके, उसके बाद कर्मचारियों ने एक टेनिस की बॉल कमरे में फेंक कर पैंथर को हिलाने का प्रयास किया. लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली.

8 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को किया ट्रेंकुलाइज

ढाई घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने एक मुर्गा कमरे में छोड़ा.वन विभाग के कर्मचारियों को लगा कि पैंथर उसका शिकार करने के लिए बाहर आएगा. लेकिन पैंथर खासा डरा हुआ था, इसलिए वो कुर्सी के नीचे ही बैठा रहा.कुछ देर बाद मुर्गे से भी काम नहीं बनने पर कर्मचारियों ने लोहे का सरिया कमरे के दरवाजे के नीचे अंदर की तरफ डालकर पैंथर को चेयर के नीचे से हटाया. उसके बाद ट्रेंकुलाइज करके उसको बेहोश किया. बिना किसी संसाधन के कमरे में बंद डरे हुए पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने में वन विभाग को 8 घंटे लग गए.

जिसके बाद वन विभाग की टीम ने सरिस्का वन क्षेत्र में पैंथर को छोड़ दिया.ऐसे में साफ है कि अलवर में किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है.वन विभाग के पास पैंथर को पकड़ने के लिए जाल तक की सुविधा नहीं है. दरअसल वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही के चलते पैंथर की गतिविधि शहरी क्षेत्र में बढ़ रही है. वन एरिया में वन्यजीवों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए लगातार पैंथर शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं.

अलवर. जय कृष्ण क्लब में पैंथर खासा डरा हुआ था इसलिए वो कुर्सी के नीचे छुप गया. उस पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के दौरान बड़े ही अजीबो गरीब तरिके दिखाई दिए. कमरे में बंद पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए वन विभाग की टीम ने पहले कमरे के गेट में कारपेंटर की मदद से छेद कराया. उसके बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए पहले एक पानी की बोतल कमरे के अंदर फेंकी.बोतल फेंक कर पैंथर को कुर्सी के नीचे से बाहर निकालने का प्रयास किया. लेकिन वो सफल नहीं हो सके, उसके बाद कर्मचारियों ने एक टेनिस की बॉल कमरे में फेंक कर पैंथर को हिलाने का प्रयास किया. लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली.

8 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को किया ट्रेंकुलाइज

ढाई घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने एक मुर्गा कमरे में छोड़ा.वन विभाग के कर्मचारियों को लगा कि पैंथर उसका शिकार करने के लिए बाहर आएगा. लेकिन पैंथर खासा डरा हुआ था, इसलिए वो कुर्सी के नीचे ही बैठा रहा.कुछ देर बाद मुर्गे से भी काम नहीं बनने पर कर्मचारियों ने लोहे का सरिया कमरे के दरवाजे के नीचे अंदर की तरफ डालकर पैंथर को चेयर के नीचे से हटाया. उसके बाद ट्रेंकुलाइज करके उसको बेहोश किया. बिना किसी संसाधन के कमरे में बंद डरे हुए पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने में वन विभाग को 8 घंटे लग गए.

जिसके बाद वन विभाग की टीम ने सरिस्का वन क्षेत्र में पैंथर को छोड़ दिया.ऐसे में साफ है कि अलवर में किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है.वन विभाग के पास पैंथर को पकड़ने के लिए जाल तक की सुविधा नहीं है. दरअसल वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही के चलते पैंथर की गतिविधि शहरी क्षेत्र में बढ़ रही है. वन एरिया में वन्यजीवों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए लगातार पैंथर शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं.

Intro:अलवर के जय कृष्ण क्लब में सुबह करीब 5 बजे एक पैंथर नजर आया। उसके बाद पैंथर ने सुबह 9 बजे तक कई लोकेशन बदली। अंत में पैंथर भाग कर फिर से जय कृष्ण क्लब में पहुच गया। इस बार वो क्लब के कार्ड खेलने वाले रूम में बंद हो गया। पैंथर खासा डरा हुआ था। इसलिए वो कुर्सी के नीचे छुप गया। उस पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के दौरान बड़े ही अजीबोगरीब तरिके दिखाई दिए। जिसने भी उस तरीकों को देखा व सुना वो दंग रह गया।


Body:कमरे में बंद पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए वन विभाग की टीम ने पहले कमरे के गेट में कारपेंटर की मदद से छेद कराया। उसे बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के लिए पहले एक पानी की बोतल कमरे के अंदर फेंकी। बोतल फेंक कर पैंथर को कुर्सी के नीचे से बाहर निकालने का प्रयास किया।

लेकिन वो सफल नहीं हो सके, उसके बाद कर्मचारियों ने एक टेनिस की बॉल कमरे में फेंक कर पैंथर को हिलाने का प्रयास किया। लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली। ढाई घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने एक मुर्गा कमरे में छोड़ा।

वन विभाग के कर्मचारियों का लगा कि पैंथर उसका शिकार करने के लिए बाहर आएगा। लेकिन पैंथर खासा डरा हुआ था, इसलिए वो कुर्सी के नीचे ही बैठा रहा। कुछ देर बाद मुर्गे से भी काम नहीं बनने पर कर्मचारियों ने लोहे का सरिया कमरे के दरवाजे के नीचे अंदर की तरफ डालकर पैंथर को चेयर के नीचे से हटाया। उसके बाद ट्रेंकुलाइज करके उसको बेहोश किया। इस प्रक्रिया में करीब 8 घंटे का समय लग गया।


Conclusion:बिना किसी संसाधन के कमरे में बंद डरे हुए पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने में वन विभाग को 8 घंटे लग गए। ऐसे में साफ है कि अलवर में किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि वन विभाग के पास पैंथर को पकड़ने के लिए जाल तक की सुविधा नहीं है। तो वही लगातार अलवर में बढ़ रही पैंथर की घटनाओं ने इन लोगों को परेशान कर दिया है अलवर शहर के लोग खा से डरे हुए हैं।

8 घंटे की मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज हुए पैंथर को वन विभाग की टीम ने सरिस्का वन क्षेत्र में छोड़ दिया। तो वहीं इस पूरे मामले पर वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

दरअसल वन विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों की लापरवाही के चलते पैंथर की गतिविधि शहरी क्षेत्र में बढ़ रही है। वन एरिया में वन्यजीवों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए लगातार पैंथर शहरी क्षेत्र में आ रहे हैं।
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