अलवर. अलवर के सरिस्का में साल 2010 में बाघ एसटी-1 मृत अवस्था में पाया गया था. बाघ के जहर खाने से मौत की बात सामने आई थी. इस मामले में वन विभाग की टीम ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया था. वन विभाग की टीम ने इन लोगों की निशानदेही पर बाघ की मूंछ के बाल आदि बरामद किए थे. साल 2011 से यह मामला न्यायालय में चल रहा था. अब राजगढ़ न्यायालय ने तीनों आरोपियों को बरी (Accused of killing Tiger ST 1 acquitted) कर दिया है. इस मामले में सरिस्का प्रशासन ने उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही थी.
साल 2005-06 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. उसके बाद रणथंभौर से बाघों को शिफ्ट करके सरिस्का लाया गया. सबसे पहले बाद बाघ st1 को एअरलिफ्ट करके सरिस्का में छोड़ा गया. 14 नवंबर साल 2010 में राजोर क्षेत्र के काला खेड़ा क्षेत्र में शाम 5 बजकर 45 मिनट पर बाघ st1 मृत अवस्था में पड़ा हुआ मिला. उसके बाद मामले की जांच की गई. बाघ के मूंछ के बाल आदि गायब थे. पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टरों की टीम व प्रशासन की मौजूदगी में बाघ का अंतिम संस्कार किया गया. सरिस्का प्रशासन ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया. इस मामले में प्रसादी, भगवान दास व कैलाश को गिरफ्तार किया गया.
पढ़ें. T-65 की मौत : Poisoning भी हो सकता है मौत का कारण, रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगी असल वजह
इनकी निशानदेही पर बाघ की मूंछ के बाल व अन्य सामान बरामद किए गए. सभी तथ्य सबूत के अनुसार सभी आरोपी गुनहगार थे. पूछताछ में इन लोगों ने गुनाह कबूला था और इनसे कई अहम जानकारियां मिली थीं. इस मामले में सरिस्का के डीएफओ को भी निलंबित कर दिया गया था. साल 2011 से यह मामला न्यायालय में चल रहा था. तमाम दलील व सुनवाई के बाद राजगढ़ न्यायालय ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है. वहीं इस मामले में सरिस्का प्रशासन ने कहा है कि वह उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.