अलवर. जिले में सरकार को आबकारी विभाग की ओर से करोड़ों रुपए का राजस्व दिया जाता है. साथ ही अबतक आबकारी विभाग की तरफ से 300 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व दिया जा चुका है. वहीं कोरोना काल में शराब की मांग कम हो रही थी, ऐसे में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए बार की लाइसेंस फीस में 50 फीसदी की कटौती की है.
जिले में 293 शराब की दुकानें हैं, इसमें 29 अंग्रेजी व 252 अन्य शराब की दुकानें शामिल हैं. इसमें देसी व मॉडल शॉप भी आती है, इसके अलावा जिले में 50 होटल, रेस्टोरेंट व क्लब बार के लाइसेंस जारी किए गए हैं लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार केवल 34 होटल व रेस्टोरेंट बार की तरफ से लाइसेंस को रिन्यू करवाया गया है. साथ ही करीब 16 बार संचालकों की ओर से अपना लाइसेंस रिन्यू नहीं करवाया गया है.
ऐसे में साफ है कि कोरोना के दौरान शराब की डिमांड कम होने के कारण बार संचालकों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए लाइसेंस रिन्यू नहीं करवाया गया है. इसके साथ ही शराब की डिमांड कम होती देख सरकार की तरफ से बार के लाइसेंस फीस में 50 फीसदी की कटौती की गई है. वैसे अलग-अलग बार के लिए अलग तरह की फीस लगती है व अलग लाइसेंस जारी होता है लेकिन आमतौर पर सामान्यत बाहर के लिए बीते दिनों आबकारी विभाग की तरफ से फीस में बढ़ोतरी की गई थी.
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नई फीस के हिसाब से बार के लाइसेंस फीस 9 लाख से अधिक जमा करनी पड़ती थी लेकिन अब सरकार ने इस में 50 फीसदी की कटौती कर दी है. ऐसे में बाहर के लाइसेंस के लिए इन दिनों तीन लाख के करीब फीस जमा करनी पड़ रही है. आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोरोना में लोग अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए शराब कम पी रहे हैं. इसलिए शराब की डिमांड लगातार कम हो रही है.
ऐसे में सरकार की तरफ से बार की लाइसेंस फीस कम करने का फैसला लिया गया है. इस बार आबकारी विभाग को 850 करोड़ रुपए राजस्व का लक्ष्य मिला है. जिसमें अभी तक केवल 37 प्रतिशत का कलेक्शन हुआ है. इस हिसाब से करीब 300 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व सरकार को मिल चुका है. ऐसे में बार का लाइसेंस लेने वाले लोगों के लिए राहत भरी खबर है.