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कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी के साथ हुआ विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले का समापन

विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा महास्नान के साथ संपन्न हो गया. ऐसे में लाखों श्रृद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी. वहीं जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी रही.

World famous Pushkar fair ends, विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले का समापन
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Published : Nov 12, 2019, 2:09 PM IST

पुष्कर(अजमेर). अंतराष्ट्रीय पुष्कर मेले का पूर्णिमा महास्नान के साथ मंगलवार को समापन हो गया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया.

विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले का हुआ समापन

जैसे-जैसे पूर्णिमा का समय करीब आया वैसे-वैसे लोगों का हुजूम पुष्कर की तरफ उमड़ने लगा. सोमवार तक करीब दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने सोमवार देर रात से ही डेरा लगाना शुरू कर दिया था. रात भर भजन कीर्तन और भक्ति का दौर चलता रहा.

बता दें कि जैसे ही हिन्दू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा का आगमन हुआ, वैसे ही लोगों ने सरोवर में स्नान करपुण्य प्राप्त करना शुरू कर दिया. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था.

पढ़ेंः श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर राजस्थान सरकार का तोहफा, सुल्तानपुर लोधी के लिए चलेंगी निशुल्क बसें

इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते हैं. सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का खासा महत्व माना जाता है. इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पांचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है. इन पांच दिनों में भी पूर्णिमा महास्नान का विशेष महत्व बताया गया है. श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी. जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी रही.

पुष्कर(अजमेर). अंतराष्ट्रीय पुष्कर मेले का पूर्णिमा महास्नान के साथ मंगलवार को समापन हो गया. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया.

विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले का हुआ समापन

जैसे-जैसे पूर्णिमा का समय करीब आया वैसे-वैसे लोगों का हुजूम पुष्कर की तरफ उमड़ने लगा. सोमवार तक करीब दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं ने सोमवार देर रात से ही डेरा लगाना शुरू कर दिया था. रात भर भजन कीर्तन और भक्ति का दौर चलता रहा.

बता दें कि जैसे ही हिन्दू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा का आगमन हुआ, वैसे ही लोगों ने सरोवर में स्नान करपुण्य प्राप्त करना शुरू कर दिया. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था.

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इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते हैं. सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का खासा महत्व माना जाता है. इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पांचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है. इन पांच दिनों में भी पूर्णिमा महास्नान का विशेष महत्व बताया गया है. श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी. जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी रही.

Intro:पुष्कर(अजमेर)अंतराष्ट्रीय पुष्कर मेले का पूर्णिमा महास्नान के साथ मंगलवार को समापन हो गया। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लाखों श्रृद्धालुओं ने पवित्र पुष्कर सरोवर मे आस्था की डूबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया। Body:जैसे जैसे पूर्णिमा का समय करीब आया लोगों का हुजूम पुष्कर की तरफ उमड़ने लगा। देर शाम तक करीब दो लाख से अधिक श्रृद्धालुओ ने आस्था की डुबकी लगाई। पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रृद्धालुओ ने देर रात से ही डेरा लगाना शुरू कर दिया था रात भर भजन कीर्तन ओर भक्ति के दौर चलते रहे। जैसे ही हिन्दू पंचाग के अनुसार पूर्णिमा का आगमन हुआ, लोगों ने सरोवर मे स्नान कर पुन्य प्राप्त करना शुरू कर दिया। ऐसा माना जाता है की सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था। इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते है। सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का ख़ासा महत्व माना जाता है। इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पाँचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है। इन पांच दिनों में भी पूर्णिमा महास्नान का विशेष महत्व बताया गया है।

बाइट--सतीश चंद्र तिवाड़ी,तीर्थ पुरोहित
बाइट--दिलीप शास्त्री, तीर्थ पुरोहित


श्रृद्धालुओ ने पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा अर्चना की और पुरोहितों को दान दक्षिणा दी। जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन के लिए भी श्रृद्धालुओ की लंबी लंबी कतारें लगी रही।.............

बाइट--नीता बंसल, पंजाब, श्रद्धालु
बाइट-- पन्नालाल, गुलाबपुरा,श्रद्धालुConclusion:
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