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नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष, कांग्रेस करेगी वापसी या भाजपा दोबारा लहराएगी परचम

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 21, 2023, 3:52 PM IST

Updated : Nov 24, 2023, 3:57 PM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. अजमेर संभाग की नसीराबाद सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है. कांग्रेस ने यहां से नए और युवा चेहरे को शिव प्रकाश गुर्जर को मैदान में उतारा है, तो वहीं बीजेपी ने विधायक रामस्वरूप लांबा को दोबारा टिकट दिया है. दूसरी तरफ जन शौर्य पार्टी से शिवराज सिंह पलाड़ा के चुनाव मैदान में डटे होने से मुकाबला रोमांचक हो गया है.

नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष
नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष

अजमेर. नसीराबाद सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. 2013 के बाद से कांग्रेस का यह मजबूत किला कमजोर हो गया है. 2018 में भाजपा से रामस्वरूप लांबा ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था. इस बार भी भाजपा ने रामस्वरूप लांबा पर दांव खेला है. लांबा को इस बार नसीराबाद में कड़ी टक्कर मिल रही है. दरअसल नसीराबाद में शिवराज सिंह पलाड़ा की एंट्री ने मुकाबले को रोचक बना दिया है.

इससे पहले नसीराबाद में कांग्रेस और भाजपा में ही सीधी टक्कर होती थी. इस बार चुनावी समर में शिवराज पलाड़ा के उतरने से लाम्बा के लिए ज्यादा मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. नसीराबाद से निर्दलीय उम्मीदवार शिवराज सिंह पलाड़ा भाजपा से निलंबित नेता भंवर सिंह पलाड़ा के पुत्र हैं जहां लांबा अपनी जाति के वोट और भाजपा के परंपरागत वोटों पर निर्भर है. वही पलाड़ा राजपूत और रावणा राजपूत के अलावा मौजूदा विधायक से लोगों में हुई नाराजगी को कैश कराने में लगे हैं. चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के नेताओ से भी पलाड़ा संपर्क में है. ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के समीकरण पलाड़ा बिगाड़ रहे है. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी शिव प्रकाश गुर्जर अपनी जाति और मुस्लिम मतदातों पर निर्भर है.

नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष
नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष

पढ़ें:राजस्थान में दंगाई जेल की जगह CM आवास में रेड कार्पेट पर चल रहे : PM मोदी

नसीराबाद कांग्रेस का गढ़ : साल 1957 से लेकर 2018 तक 9 बार कांग्रेस ने नसीराबाद में अपनी जीत का परचम लहराया है. नसीराबाद से 1957 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के ज्वाला प्रसाद विधायक रहे थे. सन 1980 से 2003 तक कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर यहां से विधायक रहे . पांडिचेरी के उपराज्यपाल रहते हुए गोविंद सिंह गुर्जर के निधन के बाद उनके ममेरे भाई महेंद्र सिंह गुर्जर को कांग्रेस ने टिकट दिया था. तत्कालीन समय में जाट नेता और भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार सांवरलाल जाट को भाजपा ने नसीराबाद से मैदान में उतारा था. जाट और गुर्जर के बीच हुई टक्कर में 71 वोटों से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.

पहली बार बीजेपी को मिली जीत: 2013 में मोदी लहर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ नसीराबाद पहली बार ढहा यहां पहली बार नसीराबाद सीट से कांग्रेस को हार मिली थी. कांग्रेस नसीराबदा में रिकॉर्ड वोट 28 हजार 900 मतों से शिकस्त खाई थी.2018 के चुनाव से पहले सांवरलाल जाट ने लोकसभा चुनाव लड़ा और सचिन पायलट को भारी मतों से हराया. जाट केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए लिहाजा नसीराबाद में उपचुनाव हुए यहां भाजपा ने सरिता गैना को टिकट दिया वहीं कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को मैदान में उतारा. उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को फिर से शिकस्त देकर इस परंपरागत सीट पर वापसी कर ली. सन 2018 के चुनाव में भाजपा ने सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा. वहीं कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को टिकट दिया था. नसीराबाद सीट पर भाजपा को दूसरी बार जीत मिली थी.नसीराबाद में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 29 हजार 290 है. इनमें 1 लाख 17 हजार 328 पुरुष और 1 लाख 11 हजार 962 महिला मतदाता है जो उम्मीदवारों के भाग्य तय करेंगे.

अजमेर. नसीराबाद सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. 2013 के बाद से कांग्रेस का यह मजबूत किला कमजोर हो गया है. 2018 में भाजपा से रामस्वरूप लांबा ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था. इस बार भी भाजपा ने रामस्वरूप लांबा पर दांव खेला है. लांबा को इस बार नसीराबाद में कड़ी टक्कर मिल रही है. दरअसल नसीराबाद में शिवराज सिंह पलाड़ा की एंट्री ने मुकाबले को रोचक बना दिया है.

इससे पहले नसीराबाद में कांग्रेस और भाजपा में ही सीधी टक्कर होती थी. इस बार चुनावी समर में शिवराज पलाड़ा के उतरने से लाम्बा के लिए ज्यादा मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. नसीराबाद से निर्दलीय उम्मीदवार शिवराज सिंह पलाड़ा भाजपा से निलंबित नेता भंवर सिंह पलाड़ा के पुत्र हैं जहां लांबा अपनी जाति के वोट और भाजपा के परंपरागत वोटों पर निर्भर है. वही पलाड़ा राजपूत और रावणा राजपूत के अलावा मौजूदा विधायक से लोगों में हुई नाराजगी को कैश कराने में लगे हैं. चर्चा यह भी है कि कांग्रेस के नेताओ से भी पलाड़ा संपर्क में है. ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के समीकरण पलाड़ा बिगाड़ रहे है. हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी शिव प्रकाश गुर्जर अपनी जाति और मुस्लिम मतदातों पर निर्भर है.

नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष
नसीराबाद में त्रिकोणीय संघर्ष

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नसीराबाद कांग्रेस का गढ़ : साल 1957 से लेकर 2018 तक 9 बार कांग्रेस ने नसीराबाद में अपनी जीत का परचम लहराया है. नसीराबाद से 1957 से लेकर 1962 तक कांग्रेस के ज्वाला प्रसाद विधायक रहे थे. सन 1980 से 2003 तक कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर यहां से विधायक रहे . पांडिचेरी के उपराज्यपाल रहते हुए गोविंद सिंह गुर्जर के निधन के बाद उनके ममेरे भाई महेंद्र सिंह गुर्जर को कांग्रेस ने टिकट दिया था. तत्कालीन समय में जाट नेता और भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार सांवरलाल जाट को भाजपा ने नसीराबाद से मैदान में उतारा था. जाट और गुर्जर के बीच हुई टक्कर में 71 वोटों से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.

पहली बार बीजेपी को मिली जीत: 2013 में मोदी लहर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ नसीराबाद पहली बार ढहा यहां पहली बार नसीराबाद सीट से कांग्रेस को हार मिली थी. कांग्रेस नसीराबदा में रिकॉर्ड वोट 28 हजार 900 मतों से शिकस्त खाई थी.2018 के चुनाव से पहले सांवरलाल जाट ने लोकसभा चुनाव लड़ा और सचिन पायलट को भारी मतों से हराया. जाट केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए लिहाजा नसीराबाद में उपचुनाव हुए यहां भाजपा ने सरिता गैना को टिकट दिया वहीं कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को मैदान में उतारा. उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को फिर से शिकस्त देकर इस परंपरागत सीट पर वापसी कर ली. सन 2018 के चुनाव में भाजपा ने सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा को मैदान में उतारा. वहीं कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को टिकट दिया था. नसीराबाद सीट पर भाजपा को दूसरी बार जीत मिली थी.नसीराबाद में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 29 हजार 290 है. इनमें 1 लाख 17 हजार 328 पुरुष और 1 लाख 11 हजार 962 महिला मतदाता है जो उम्मीदवारों के भाग्य तय करेंगे.

Last Updated : Nov 24, 2023, 3:57 PM IST
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