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Special : धार्मिक स्थलों से जुड़े व्यवसाय बंद...दुकानदार और पुजारियों पर आर्थिक संकट, उम्मीद पर जिंदगी - domestic foreign tourists

राजस्थान में कोरोना (Corona virus in Rajasthan) की वजह से धार्मिक स्थल अभी भी मानो कोमा में हैं. धार्मिक स्थलों के (Religious places) बंद होने से भक्तों का आना जाना बंद है. पुजारी, दुकानदार, सफाई कर्मी सहित अन्य लोग, जिनकी आजीविका इसी पर निर्भर है सभी ही हालत खराब है. अजमेर दरगाह (Ajmer Dargah) और पुष्कर में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. देखिए ये रिपोर्ट

Traders and Pandits, religious places
दुकानदार और पुजारियों पर आर्थिक संकट
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Published : Jun 23, 2021, 2:41 PM IST

अजमेर. पुष्कर में विश्व का इकलौता ब्रह्मा मंदिर (Brahma Temple in Ajmer) और पवित्र सरोवर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. सदियों से पुष्कर का महत्व तीर्थ गुरु के रूप में रहा है. करोड़ों हिंदुओं के लिए पुष्कर तीर्थ नगरी है. यहां आध्यात्म की खुशबू है. वहीं पितरों की शांति के लिए पवित्र सरोवर है. अजमेर और पुष्कर में रोजगार धार्मिक पर्यटन Religious tourism) पर आधारित है. मार्च 2020 से कोरोना महामारी की वजह से दोनों प्रमुख स्थानों पर रहने वाले लोगों के रोजगार पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है.

दुकानदार और पुजारियों पर आर्थिक संकट

पुष्कर में श्रद्धालु और देसी विदेशी पर्यटकों (domestic foreign tourists) के आने से रोजगार के दरवाजे खुलते हैं. वहीं अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जायरीन आने से बाजारों में बरकत आती है. देश और प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ है ऐसे में अब तक कोरोना से जान बचाने का जतन कर रहे लोग अब रोजगार के लिए दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग कर रहे हैं.

यहां के तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं से मिले दान दक्षिणा पर ही निर्भर है. पुष्कर की लोक संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य से वशीभूत होकर सात समंदर पार से भी विदेशी पावणे आते हैं. देसी विदेशी पर्यटकों की आवक से पुष्कर की पहचान अंतरराष्ट्रीय पटल पर बन चुकी है.

Traders and Pandits, religious places
पुष्कर

यही वजह है कि पुष्कर में पर्यटन उद्योग नई ऊंचाइयां छू रहा था लेकिन कोरोना महामारी ने देसी विदेशी पर्यटक के आवागमन पर रोक लगा दी है. श्रद्धालु पुष्कर नहीं आ रहे हैं. कोरोना महामारी को लेकर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ब्रह्मा जी का मंदिर और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाट पर पूजा अर्चना आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. व्यवसाय के जुड़े लोगों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

Traders and Pandits, religious places
ख्वाजा साहब की दरगाह

खासकर तीर्थ पुरोहित जिन्हें दान दक्षिणा नहीं मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पुष्कर पर्यटन उद्योग और श्रद्धालुओं के आगमन के लिए ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाटों पर पूजा अर्चना का कार्य फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है.

दान पात्र खाली और पुजारियों की हालत खराब-

कोरोना की वजह से मंदिरों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. राजस्थान में धार्मिक स्थल बंद हैं श्रद्धालु नहीं पहुंचने की वजह से दान पात्र खाली हो चुके हैं और पुजारियों की हालत खराब है. पिछले साल की तरह इस वर्ष भी मंदिरों की आय नहीं हुई है, जिससे इनकी व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है. पुजारियों के साथ प्रसाद और पूजा सामग्री बचेने वालों के सामने भी आर्थिक संकट गहरा गया है.

Traders and Pandits, religious places
लॉकडाउन में बाजार बंद

धार्मिक स्थल भी कोविड की मार से अछूते नहीं रहे हैं. मंदिरों में भक्तों के नहीं पहुंचने का असर मंदिर की आय पर पड़ा है. पुजारी, सफाई कर्मी सहित अन्य लोग, जिनकी आजीविका धार्मिक स्थलों पर निर्भर है वे काफी प्रभावित हुए हैं.

जायरीन ख्वाजा की चौखट में दूर दूर से आते हैं-

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में करोड़ों लोगों का विश्वास है. देश और दुनिया से जायरीन ख्वाजा की चौखट चूमने के लिए अजमेर आते हैं. कोरोना महामारी की वजह से ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट आम जायरीन के लिए बंद है. यही वजह है कि अजमेर शहर में जायरीन के नहीं आने से कई तरह के व्यापार ठप हो चुके हैं.

Traders and Pandits, religious places
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह

दरगाह के खादिम और शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष सैयद गुलाम मुस्तफा बताते हैं- अजमेर और पुष्कर में व्यापार जायरीन और श्रद्धालुओं के आने से ही फलीभूत होता है. पिछले मार्च 2020 से ही कोरोना बीमारी की वजह से धार्मिक स्थलों को कई बार लंबे समय तक बंद रखा गया इस कारण व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ा है. कई लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि कोरोना महामारी का प्रकोप कम हो चुका है ऐसे में सरकार को राजस्थान के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को आमजन के लिए खोल देना चाहिए.

Traders and Pandits, religious places
धार्मिक स्थलों से जुड़े व्यवसाय बंद

दरगाह क्षेत्र के दुकानदार घनश्याम रामचंदानी कहते हैं- सरकार की गाइडलाइन से दुकानें तो खुल चुकी है लेकिन जायरीन के नहीं आने से रोजगार अभी भी ठप पड़ा हुआ है. होटल गेस्ट हाउस में कमरे 72 घंटे पहले की कोरोना जांच के बिना नहीं दिए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धार्मिक स्थल खोलने को लेकर दिया बड़ा बयान

उन्होंने बताया कि जायरीन के आने से ही स्थिति ठीक होगी. लोगों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है. कई व्यापारियों ने किराए पर दुकान है इसका किराया तो चुकाया जा रहा है लेकिन कमाई कुछ भी नहीं हो रही.

Traders and Pandits, religious places
पुष्कर में विश्व का इकलौता ब्रह्मा मंदिर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिए ढील के संकेत-

रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी के जरिये हुई सर्वदलीय बैठक में जल्द धार्मिक स्थल खोलने की अनुमति देने के संकेत दिए थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों, सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ काफी गहन मंथन किया था.

ये भी पढ़ें: अजमेर: ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में ना जियारत होगी और न ही पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में होगा अब दर्शन

सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया था. अब यह तय माना जा रहा है कि धर्म गुरुओं के संकेत मिलने के बाद राज्य सरकार धार्मिक स्थलों को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति प्रदान कर सकती है. हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करनी होगी.

अजमेर. पुष्कर में विश्व का इकलौता ब्रह्मा मंदिर (Brahma Temple in Ajmer) और पवित्र सरोवर आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. सदियों से पुष्कर का महत्व तीर्थ गुरु के रूप में रहा है. करोड़ों हिंदुओं के लिए पुष्कर तीर्थ नगरी है. यहां आध्यात्म की खुशबू है. वहीं पितरों की शांति के लिए पवित्र सरोवर है. अजमेर और पुष्कर में रोजगार धार्मिक पर्यटन Religious tourism) पर आधारित है. मार्च 2020 से कोरोना महामारी की वजह से दोनों प्रमुख स्थानों पर रहने वाले लोगों के रोजगार पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है.

दुकानदार और पुजारियों पर आर्थिक संकट

पुष्कर में श्रद्धालु और देसी विदेशी पर्यटकों (domestic foreign tourists) के आने से रोजगार के दरवाजे खुलते हैं. वहीं अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जायरीन आने से बाजारों में बरकत आती है. देश और प्रदेश में कोरोना महामारी का प्रकोप कम हुआ है ऐसे में अब तक कोरोना से जान बचाने का जतन कर रहे लोग अब रोजगार के लिए दोनों प्रमुख धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग कर रहे हैं.

यहां के तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं से मिले दान दक्षिणा पर ही निर्भर है. पुष्कर की लोक संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य से वशीभूत होकर सात समंदर पार से भी विदेशी पावणे आते हैं. देसी विदेशी पर्यटकों की आवक से पुष्कर की पहचान अंतरराष्ट्रीय पटल पर बन चुकी है.

Traders and Pandits, religious places
पुष्कर

यही वजह है कि पुष्कर में पर्यटन उद्योग नई ऊंचाइयां छू रहा था लेकिन कोरोना महामारी ने देसी विदेशी पर्यटक के आवागमन पर रोक लगा दी है. श्रद्धालु पुष्कर नहीं आ रहे हैं. कोरोना महामारी को लेकर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ब्रह्मा जी का मंदिर और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाट पर पूजा अर्चना आम श्रद्धालुओं के लिए बंद है. व्यवसाय के जुड़े लोगों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

Traders and Pandits, religious places
ख्वाजा साहब की दरगाह

खासकर तीर्थ पुरोहित जिन्हें दान दक्षिणा नहीं मिलने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पुष्कर पर्यटन उद्योग और श्रद्धालुओं के आगमन के लिए ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और पुष्कर के पवित्र सरोवर के घाटों पर पूजा अर्चना का कार्य फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है.

दान पात्र खाली और पुजारियों की हालत खराब-

कोरोना की वजह से मंदिरों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है. राजस्थान में धार्मिक स्थल बंद हैं श्रद्धालु नहीं पहुंचने की वजह से दान पात्र खाली हो चुके हैं और पुजारियों की हालत खराब है. पिछले साल की तरह इस वर्ष भी मंदिरों की आय नहीं हुई है, जिससे इनकी व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है. पुजारियों के साथ प्रसाद और पूजा सामग्री बचेने वालों के सामने भी आर्थिक संकट गहरा गया है.

Traders and Pandits, religious places
लॉकडाउन में बाजार बंद

धार्मिक स्थल भी कोविड की मार से अछूते नहीं रहे हैं. मंदिरों में भक्तों के नहीं पहुंचने का असर मंदिर की आय पर पड़ा है. पुजारी, सफाई कर्मी सहित अन्य लोग, जिनकी आजीविका धार्मिक स्थलों पर निर्भर है वे काफी प्रभावित हुए हैं.

जायरीन ख्वाजा की चौखट में दूर दूर से आते हैं-

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में करोड़ों लोगों का विश्वास है. देश और दुनिया से जायरीन ख्वाजा की चौखट चूमने के लिए अजमेर आते हैं. कोरोना महामारी की वजह से ख्वाजा गरीब नवाज की चौखट आम जायरीन के लिए बंद है. यही वजह है कि अजमेर शहर में जायरीन के नहीं आने से कई तरह के व्यापार ठप हो चुके हैं.

Traders and Pandits, religious places
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह

दरगाह के खादिम और शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष सैयद गुलाम मुस्तफा बताते हैं- अजमेर और पुष्कर में व्यापार जायरीन और श्रद्धालुओं के आने से ही फलीभूत होता है. पिछले मार्च 2020 से ही कोरोना बीमारी की वजह से धार्मिक स्थलों को कई बार लंबे समय तक बंद रखा गया इस कारण व्यापार पर गहरा प्रभाव पड़ा है. कई लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि कोरोना महामारी का प्रकोप कम हो चुका है ऐसे में सरकार को राजस्थान के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों को आमजन के लिए खोल देना चाहिए.

Traders and Pandits, religious places
धार्मिक स्थलों से जुड़े व्यवसाय बंद

दरगाह क्षेत्र के दुकानदार घनश्याम रामचंदानी कहते हैं- सरकार की गाइडलाइन से दुकानें तो खुल चुकी है लेकिन जायरीन के नहीं आने से रोजगार अभी भी ठप पड़ा हुआ है. होटल गेस्ट हाउस में कमरे 72 घंटे पहले की कोरोना जांच के बिना नहीं दिए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने धार्मिक स्थल खोलने को लेकर दिया बड़ा बयान

उन्होंने बताया कि जायरीन के आने से ही स्थिति ठीक होगी. लोगों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है. कई व्यापारियों ने किराए पर दुकान है इसका किराया तो चुकाया जा रहा है लेकिन कमाई कुछ भी नहीं हो रही.

Traders and Pandits, religious places
पुष्कर में विश्व का इकलौता ब्रह्मा मंदिर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिए ढील के संकेत-

रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीसी के जरिये हुई सर्वदलीय बैठक में जल्द धार्मिक स्थल खोलने की अनुमति देने के संकेत दिए थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों, सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ काफी गहन मंथन किया था.

ये भी पढ़ें: अजमेर: ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में ना जियारत होगी और न ही पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में होगा अब दर्शन

सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया था. अब यह तय माना जा रहा है कि धर्म गुरुओं के संकेत मिलने के बाद राज्य सरकार धार्मिक स्थलों को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति प्रदान कर सकती है. हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करनी होगी.

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