अजमेर. देश में स्थानीय बाजार को सशक्त बनाने के लिए 'वोकल फॉर लोकल' का नारा दिया गया है. अजमेर के विद्या भारती स्कूल ने मौखिक नारेबाजी से एक कदम आगे बढ़ाते हुए स्वदेशी सामान तैयार करने की दिशा में अभिनव पहल की है. स्कूल में स्वदेशी लड़ियों के निर्माण के लिए बाकायदा कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला है और यहां निर्मित स्वदेशी सजावटी लड़ियां हजारों की संख्या में बाजार में भी उतर चुकी हैं.
स्वदेशी, स्वरोजगार और स्वावलंबन...
इस दीपावली चीन के सामान के बहिष्कार को लेकर विद्या भारती ने मुहिम चलाई है. जिसके तहतो स्थानीय लोगों को स्वरोजगार प्रदान करते हुए प्रशिक्षण देकर विद्युत लड़ियां तैयार करवाई जा रही हैं. तैयार लड़ियों को मार्केट तक भी पहुंचा दिया गया है.
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चीन का सिर्फ मौखिक बहिष्कार नहीं...
स्कूल के प्रधानाचार्य भूपेंद्र उबाना का कहना है कि चीन के सामान के बहिष्कार की बातें अक्सर कही जाती हैं, लेकिन इससे निजात दिलाने के लिए विकल्प के तौर पर देशी माल का मार्केट में उतरना भी जरूरी है. लोग मजबूरी में चीनी सामान खरीदते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए विद्या भारती ने सहकार भारती के सहयोग से विद्युत लड़ियां बनाने का काम शुरू किया. इस काम में अब तक 200 लोग जुड़ चुके हैं और दो हजार लड़ियां बनकर मार्केट में पहुंच गई हैं. उबाना ने कहा कि लड़िया बनाने के लिए सहकार भारती की ओर से रॉ मटेरियल प्रदान किया जा रहा है. वहीं विद्यालयों में इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पिछले कुछ ही दिनों में काफी लोगों ने रुचि लेते हुए काम शुरू किया है. अन्य लोगों को भी इस काम में जोड़ा जा रहा है.
दो लाख झालरों का लक्ष्य...
सहकार भारती के प्रदेश मंत्री सम्मान सिंह ने कहा कि छोटे स्तर पर इस काम की शुरुआत की गई थी, लेकिन अब लोगों की रूचि को देखते हुए दीपावली तक 2 लाख लड़ियां मार्केट में पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
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बदल रहा है लोगों का जीवन...
इस रोजगार से जुड़कर लोगों का जीवन भी बदल रहा है. बीड़ी बनाकर अपनी आजीविका चलाने वाली सुनीता का कहना है कि उसने प्रशिक्षण लेने के बाद जब से स्वदेशी विद्युत लड़ियां बनाना शुरू किया है, तब से उसे पहले की तुलना में अधिक आमदनी हो रही है. फिलहाल उसने बीड़ी बनाना भी बंद कर दिया है. सुनीता अब दूसरे लोगों को भी इस रोजगार से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं.
विद्या भारती के कदम की हर कोई सराहना कर रहा है. लोग मानने लगे हैं कि केवल बातें करने से चीनी सामान का बहिष्कार नहीं हो सकता. बल्कि कुछ कर दिखाने से चीन को करारा जवाब दिया जा सकता है.