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शादी देव मंदिर: जहां हर कुंवारों की खुलती है किस्मत, दिवाली पर दर्शन मात्र से दूर हो जाती हैं बाधाएं

अजमेर में आनासागर स्थित रामप्रसाद घाट के ऊपर पहाड़ी पर प्राचीन खोबरा नाथ भैरव मंदिर में विराजमान खोबरा नाथ भैरव को शादी देव के नाम से भी जाता है. मान्यता है कि खोबरा नाथ भैरव के दर्शन और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. खासकर कुंवारों को खोबरा भैरवनाथ शादी का आशीर्वाद देते हैं. सदियों से दीपावली के दिन हर वर्ष यहां मेले का आयोजन होता रहा है.

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खोबरा नाथ भैरव को शादी देव के नाम से भी जाता है
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Published : Nov 7, 2020, 4:35 PM IST

अजमेर. अजमेर में आनासागर स्थित रामप्रसाद घाट के ऊपर पहाड़ी पर प्राचीन खोबरा नाथ भैरव मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर में विराजमान खोबरा नाथ भैरव को शादी देव के नाम से भी जाता है. मान्यता है कि खोबरा नाथ भैरव के दर्शन और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. खासकर कुंवारों को खोबरा भैरवनाथ शादी का आशीर्वाद देते हैं. सदियों से दीपावली के दिन हर वर्ष यहां मेले का आयोजन होता रहा है. लेकिन, कोरोना महामारी के कारण सदियों से चली आ रही मेले की परंपरा टूटने पर है.

प्राचीन खोबरा नाथ भैरव मंदिर का रोचक रहस्य

यह भी पढ़ें: Special: घर की 'लक्ष्मी' से ऐसी क्या बेरुखी, 7 साल में लावारिस मिले 739 नवजात

शिव के द्वारपाल माने जाते हैं खोबरा नाथ भैरव

मंदिर में रविवार के दिन श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. लोगों की आस्था है कि भगवान शिव के द्वारपाल माने जाने वाले खोबरा नाथ भैरव हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. बहरहाल कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं का मंदिर में आना जाना कम हो गया है. पहाड़ी पर स्थित खोबरा भैरवनाथ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि चौहान वंश के राजा अजय पाल के समय से शासन है. उसके बाद जब अजमेर में मराठाओं का शासन रहा तब खोबरा भैरवनाथ मंदिर में मराठों ने भी अपनी आस्था व्यक्त की. कायस्थ समाज के लोग खोबरा भैरव नाथ को अपना ईष्ट मानते हैं.

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लोगों को विश्वास है कि उनकी अर्जी को बाबा भैरवनाथ जरूर स्वीकार करते हैं.

कुंवारों की खुलती है किस्मत

समिति के अध्यक्ष अनिल नाग बताते हैं कि दीपावली के दिन कायस्थ समाज के लोग मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए आते हैं. खोबरा नाथ भैरव को शादी देव भी कहा जाता है. मान्यता है कि दीपावली के दिन विशेष पूजा अर्चना करने के साथ ही मंदिर में 7 दीए जलाने से खोबरा नाथ भैरव कुंवारे युवाओं को शादी का आशीर्वाद देते हैं. यही वजह है कि कुंवारे युवक-युवतियों को दीपावली के दिन का इंतजार रहता है. कई लोग शादी हो जाने के बाद मन्नत पूरी होने पर भी आते हैं. कई लोग हर रविवार मंदिर में दर्शनों के लिए जाते हैं और अपनी मनोकामना को चिट्ठी में लिख कर बाबा खोबरा नाथ भैरव की प्रतिमा के समीप छोड़ आते हैं. लोगों को विश्वास है कि उनकी अर्जी को बाबा भैरवनाथ जरूर स्वीकार करते हैं.

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मंदिर में 7 दीए जलाने से खोबरा नाथ भैरव कुंवारे युवाओं को शादी का आशीर्वाद देते है.

यह भी पढ़ें: Special : राजस्थान के इस पंचायत समिति में 25 साल से हो रहा भाजपा-कांग्रेस का गठबंधन...कहानी दिलचस्प है

लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के चलते दीपावली के दिन मेले का आयोजन नहीं होगा. हालांकि, श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर खुला रहेगा. कोरोना महामारी ने लोगों की जीवन शैली को बदल दिया है वहीं इसका असर पुरानी परंपराओं पर भी पड़ रहा है. लेकिन लोगों की आस्था और विश्वास अब भी बना हुआ है.

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खोबरा नाथ भैरव के दर्शन और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

अजमेर. अजमेर में आनासागर स्थित रामप्रसाद घाट के ऊपर पहाड़ी पर प्राचीन खोबरा नाथ भैरव मंदिर सदियों से आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर में विराजमान खोबरा नाथ भैरव को शादी देव के नाम से भी जाता है. मान्यता है कि खोबरा नाथ भैरव के दर्शन और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. खासकर कुंवारों को खोबरा भैरवनाथ शादी का आशीर्वाद देते हैं. सदियों से दीपावली के दिन हर वर्ष यहां मेले का आयोजन होता रहा है. लेकिन, कोरोना महामारी के कारण सदियों से चली आ रही मेले की परंपरा टूटने पर है.

प्राचीन खोबरा नाथ भैरव मंदिर का रोचक रहस्य

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शिव के द्वारपाल माने जाते हैं खोबरा नाथ भैरव

मंदिर में रविवार के दिन श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. लोगों की आस्था है कि भगवान शिव के द्वारपाल माने जाने वाले खोबरा नाथ भैरव हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. बहरहाल कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं का मंदिर में आना जाना कम हो गया है. पहाड़ी पर स्थित खोबरा भैरवनाथ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि चौहान वंश के राजा अजय पाल के समय से शासन है. उसके बाद जब अजमेर में मराठाओं का शासन रहा तब खोबरा भैरवनाथ मंदिर में मराठों ने भी अपनी आस्था व्यक्त की. कायस्थ समाज के लोग खोबरा भैरव नाथ को अपना ईष्ट मानते हैं.

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लोगों को विश्वास है कि उनकी अर्जी को बाबा भैरवनाथ जरूर स्वीकार करते हैं.

कुंवारों की खुलती है किस्मत

समिति के अध्यक्ष अनिल नाग बताते हैं कि दीपावली के दिन कायस्थ समाज के लोग मंदिर में दर्शन और पूजा के लिए आते हैं. खोबरा नाथ भैरव को शादी देव भी कहा जाता है. मान्यता है कि दीपावली के दिन विशेष पूजा अर्चना करने के साथ ही मंदिर में 7 दीए जलाने से खोबरा नाथ भैरव कुंवारे युवाओं को शादी का आशीर्वाद देते हैं. यही वजह है कि कुंवारे युवक-युवतियों को दीपावली के दिन का इंतजार रहता है. कई लोग शादी हो जाने के बाद मन्नत पूरी होने पर भी आते हैं. कई लोग हर रविवार मंदिर में दर्शनों के लिए जाते हैं और अपनी मनोकामना को चिट्ठी में लिख कर बाबा खोबरा नाथ भैरव की प्रतिमा के समीप छोड़ आते हैं. लोगों को विश्वास है कि उनकी अर्जी को बाबा भैरवनाथ जरूर स्वीकार करते हैं.

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मंदिर में 7 दीए जलाने से खोबरा नाथ भैरव कुंवारे युवाओं को शादी का आशीर्वाद देते है.

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लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के चलते दीपावली के दिन मेले का आयोजन नहीं होगा. हालांकि, श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर खुला रहेगा. कोरोना महामारी ने लोगों की जीवन शैली को बदल दिया है वहीं इसका असर पुरानी परंपराओं पर भी पड़ रहा है. लेकिन लोगों की आस्था और विश्वास अब भी बना हुआ है.

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खोबरा नाथ भैरव के दर्शन और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
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