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सोमवती अमावस्या पर पुष्कर सरोवर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

महाभारत काल में जिस सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते पांडव परम धाम पधार गए उसी सोमवती अमावस्या का कलयुग में विशेष महत्व माना गया है. सोमवती अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं ने पुष्कर में सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की.

पुष्कर में सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना करते श्रद्धालु
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Published : Jun 3, 2019, 10:05 PM IST

अजमेर. सोमवार को सोमवती अमावस्या होने से पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. महाभारत काल में पांडव सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते परम धाम पधार गए थे. सोमवती अमावस्या का कलयुग में भी विशेष महत्व माना गया है.

सोमवती अमावस्या, श्रृद्धालुओं ने किए पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान


पुष्कर घाट पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की. दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किये, तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया.

तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. पुरोहितों ने बताया कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या के इस दुर्लभ संयोग पर जो भी श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरों का तर्पण करता है, उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इन्ही मान्यताओं के चलते सरोवर के सभी बावन घाटों पर दिनभर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा. वहीं मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रही.

अजमेर. सोमवार को सोमवती अमावस्या होने से पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. महाभारत काल में पांडव सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते परम धाम पधार गए थे. सोमवती अमावस्या का कलयुग में भी विशेष महत्व माना गया है.

सोमवती अमावस्या, श्रृद्धालुओं ने किए पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान


पुष्कर घाट पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की. दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किये, तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया.

तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. पुरोहितों ने बताया कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या के इस दुर्लभ संयोग पर जो भी श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरों का तर्पण करता है, उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है. इन्ही मान्यताओं के चलते सरोवर के सभी बावन घाटों पर दिनभर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा. वहीं मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रही.

Intro:महाभारत काल में जिस सोमवती अमावस्या का इन्तजार करते-करते पांडव परम धाम पधार गए। उसी सोमवती अमावस्या का कलयुग में विशेष महत्व माना गया है। इसके महत्व को ध्यान में रखते हुये सोमवार अलसुबह से ही श्रृद्धालुओं का पवित्र पुष्कर सरोवर के मुख्य घाटों पर तांता लगने लगा। Body:श्रृद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की। दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहे। किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किये तो किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणांे को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पूण्य किया। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार सोमवती अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। पुरोहितो ने बताया कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या के इस दुर्लभ संयोग पर जो भी श्रृद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरांे का तर्पण करता है उसको मानसिक और शारीरिक पीड़ाआंे से मुक्ति मिलती है। इन्ही मान्यताओं के चलते सरोवर के बावन घाटांे पर दिनभर श्रृद्धालुओं का मेला लगा रहा। वहीं मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रही।

बाइट-- दिलीप शास्त्री,तीर्थ पुरोहित

बाइट-- सतीशचंद्र तिवाड़ी, तीर्थ पुरोहितConclusion:
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