अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811 वें उर्स में छोटे कुल की रस्म तक पुलिस ने 145 जेबतराशों को गिराफ्तार किया है. इस बार भी लाखों की संख्या में जायरीन अजमेर पहुंचे हैं. जायरीन की जबरदस्त भीड़ में जेबतराशों को पकड़ पाना पुलिस के लिए भी चुनौती है.
ख्वाजा गरीब नवाज का सालाना उर्स विधिवत संपन्न हो गया है. 1 फरवरी को बड़े कुल की रस्म होगी. इस बीच लाखों की संख्या में जायरीन अजमेर दरगाह में हाजरी लगाने आए हैं. इस भीड़ में जेबतारश भी शामिल हैं. अजमेर में कई राज्यों की जेबतराश गैंग ने डेरा जमाया हुआ है. इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपियों में तेलंगाना, दिल्ली, एमपी, यूपी, बंगाल के जेबतराश शामिल हैं.
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145 जेबतराश चढ़े पुलिस के हत्थे : इस बार झंडे की रस्म 18 जनवरी को हुई थी. तब से 29 जनवरी को छोटे कुल की रस्म तक पुलिस ने 145 जेबतराशों को गिरफ्तार किया है. इस बार उर्स मेले में जायरीन की आवक पिछले 8 वर्षों में अधिक है. गत वर्ष कोरोना की वजह से जायरीन की आवक कम थी, इसके बावजूद लगभग 175 जेबतराश पुलिस के हाथ आए थे.
दरगाह थाना प्रभारी अमर सिंह भाटी ने बताया कि दरगाह में बड़े कुल की रस्म 1 फरवरी को है. अब तक 145 जेबतारशों को दबोचा गया है. इस आकड़ें में इजाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि इस बार गत वर्ष की तुलना में जेबतराश कम पकड़े गए. उन्होंने बताया कि जेब तराश अलग-अलग राज्यों से आते हैं. जायरीन की भीड़ में उन्हें पहचानना काफी मुश्किल होता है.
दरगाह में सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मियों की नजर भीड़ में संदिग्ध लोगों पर रहती है. संदिग्ध गतिविधियां पाए जाने पर उससे पूछताछ होती है तब जाकर जेबतारश का सच सामने आता है. उन्होंने बताया कि भीड़ में सभी जेबतराश अलग-अलग जगहों पर होते हैं. जायरीन की जेब से पैसे, मोबाइल या कीमती सामान निकालने के बाद कुछ ही देर में वह सामान ठिकाने पहुंच जाता है.
जेबतराशों का होता है चेन सिस्टम : जेबतराशों का तरीका काफी शातिराना होता है. जायरीन के सामान पर हाथ साफ करने वाले जेबतराश अपने साथी को चुराया सामान देता है, वह अन्य साथी को सामान पकड़ता है. इस तरह सामान कई हाथों से गुजरकर ठिकाने पहुंच जाता है. यदि पहले जेबतराश को पकड़ भी लिया जाए तो उसके पास से कुछ भी बरामद नहीं होता. जेबतराश अलग-अलग जगहों पर 3-4 ग्रुप में ठहरते हैं, ताकि एक ग्रुप पकड़ा भी जाए तो बाकी सुरक्षित निकल जाएं.
अलग-अलग नाम और कोड : एक जेबतराश से पूछताछ में पता चला कि अलग-अलग ग्रुप में रहकर भी वह एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं. भीड़ में किसको शिकार बनाना है यह इशारे से आपस मे समझ लिया जाता है. आपस में एक दूसके को अलग-अलग नाम और कोड दिए जाते हैं.