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अजमेरः पति की सिलिकोसिस से हुई थी मौत, मुआवजे के लिए बैंकों का चक्कर काट रही पत्नी

ब्यावर में सिलिकोसिस से अपने परिवार के पालनहार को खो चुकी पीड़ित महिला अब सहायता राशि प्राप्त करने के लिए बैंकों के चक्कर काटने पर मजबूर है. बार-बार बैंक के चक्कर काटने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिलने से परेशान पीड़िता ने आखिरकार उपखंड अधिकारी की शरण ली है.

wife of silkosis victim in Ajmer, सिलकोसिस पीड़ित की पत्नी परेशान अजमेर
सिलकोसिस पीड़ित मृतक की पत्नी परेशान
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Published : Feb 18, 2020, 8:24 PM IST

ब्यावर (अजमेर). कस्बे में सिलिकोसिस से अपने परिवार के पालनहार को खो चुकी पीड़िता अब सहायता राशि प्राप्त करने के लिए बैंक में खाता खुलवाने के लिए चक्कर लगा रही है. संवेदनहीन हो चुके बैंक प्रंबधक भी अपनी हठधर्मिता अपनाएं हुए है. उधर बार-बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिलने से परेशान पीड़िता ने उपखंड अधिकारी की शरण ली है.

ब्यावर में सिलिकोसिस से अपने परिवार के पालनहार को खो चुकी पीड़िता अब सहायता राशि प्राप्त करने के लिए बैंक में खाता खुलवाने के लिए चक्कर लगा रही है. संवेदनहीन हो चुके बैंक प्रंबधक भी अपनी हठधर्मिता अपनाएं हुए है. उधर बार-बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिलने से परेशान पीड़िता ने उपखंड अधिकारी की शरण ली है. सोमवार को उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंची पीड़िता गणेशपुरा निवासी श्रीमती वंदना ने बताया कि साल 2016 में उसके पति सुनील कुमार की सिलिकोसिस की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी. इस बाबत चिकित्सा विभाग से जारी प्रमाण-पत्र तथा जिला कलेक्टर अजमेर की अनुशंसा के आधार पर खान एवं भू-विज्ञान विभाग की और से तीन लाख रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृति की है.

सिलकोसिस पीड़ित मृतक की पत्नी परेशान

वंदना ने बताया कि इस बाबत खान विभाग की और से उसे एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें मेरे बैक खाते की जानकारी के साथ अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाने के निर्देश मिले थे. वंदना ने बताया कि उसने क्लेम के दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जिस खाते की जानकारी विभाग को दी थी. विभाग ने उसकी जानकारी सही नहीं होने की बात कहते हुए नकार दिया. इस बाबत जानकारी मिली है कि पूर्व में जो खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है वह प्रधानमंत्री जन-धन योजना का जीरो बैलेंस खाता है. इस कारण विभाग की मुआवजा राशि उस खाते में स्थानांतरित नहीं की जा रही है.

पढ़ें- डिजिटल मीडिया सम्मेलन 2020 : ईटीवी भारत को सम्मान

वंदना ने बताया कि इस बाबत जब वह दूसरा खाता खुलवाने के लिए बैंक गई तो वहां पर उसे पहले खाते को बंद करवाने के बाद ही नया खाता खोलने की बात कही. साथ ही अभी स्टाफ की कमी बताते हुए इस काम में करीब 15 से 20 दिन का समय लगने की बात कही.

वंदना का आरोप है कि पहले तो बैंक पुराना खाता बंद नहीं कर रही है और दूसरी और नया खाता भी नहीं खोल रही है जिसके कारण उसे मुआवजा राशि मिलने में देरी हो रही है. सोमवार को उपखंड अधिकारी से मिलकर अपनी पीड़ा बताने के बाद एसडीएम ने उसे उचित सहयोग का आश्वासन दिया है.

ब्यावर (अजमेर). कस्बे में सिलिकोसिस से अपने परिवार के पालनहार को खो चुकी पीड़िता अब सहायता राशि प्राप्त करने के लिए बैंक में खाता खुलवाने के लिए चक्कर लगा रही है. संवेदनहीन हो चुके बैंक प्रंबधक भी अपनी हठधर्मिता अपनाएं हुए है. उधर बार-बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिलने से परेशान पीड़िता ने उपखंड अधिकारी की शरण ली है.

ब्यावर में सिलिकोसिस से अपने परिवार के पालनहार को खो चुकी पीड़िता अब सहायता राशि प्राप्त करने के लिए बैंक में खाता खुलवाने के लिए चक्कर लगा रही है. संवेदनहीन हो चुके बैंक प्रंबधक भी अपनी हठधर्मिता अपनाएं हुए है. उधर बार-बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी अब तक कोई राहत नहीं मिलने से परेशान पीड़िता ने उपखंड अधिकारी की शरण ली है. सोमवार को उपखंड अधिकारी कार्यालय पहुंची पीड़िता गणेशपुरा निवासी श्रीमती वंदना ने बताया कि साल 2016 में उसके पति सुनील कुमार की सिलिकोसिस की बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी. इस बाबत चिकित्सा विभाग से जारी प्रमाण-पत्र तथा जिला कलेक्टर अजमेर की अनुशंसा के आधार पर खान एवं भू-विज्ञान विभाग की और से तीन लाख रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृति की है.

सिलकोसिस पीड़ित मृतक की पत्नी परेशान

वंदना ने बताया कि इस बाबत खान विभाग की और से उसे एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें मेरे बैक खाते की जानकारी के साथ अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाने के निर्देश मिले थे. वंदना ने बताया कि उसने क्लेम के दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जिस खाते की जानकारी विभाग को दी थी. विभाग ने उसकी जानकारी सही नहीं होने की बात कहते हुए नकार दिया. इस बाबत जानकारी मिली है कि पूर्व में जो खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का है वह प्रधानमंत्री जन-धन योजना का जीरो बैलेंस खाता है. इस कारण विभाग की मुआवजा राशि उस खाते में स्थानांतरित नहीं की जा रही है.

पढ़ें- डिजिटल मीडिया सम्मेलन 2020 : ईटीवी भारत को सम्मान

वंदना ने बताया कि इस बाबत जब वह दूसरा खाता खुलवाने के लिए बैंक गई तो वहां पर उसे पहले खाते को बंद करवाने के बाद ही नया खाता खोलने की बात कही. साथ ही अभी स्टाफ की कमी बताते हुए इस काम में करीब 15 से 20 दिन का समय लगने की बात कही.

वंदना का आरोप है कि पहले तो बैंक पुराना खाता बंद नहीं कर रही है और दूसरी और नया खाता भी नहीं खोल रही है जिसके कारण उसे मुआवजा राशि मिलने में देरी हो रही है. सोमवार को उपखंड अधिकारी से मिलकर अपनी पीड़ा बताने के बाद एसडीएम ने उसे उचित सहयोग का आश्वासन दिया है.

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