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प्रदेश में प्रमुख दोनों राजनीतिक पार्टियां ब्राह्मण समाज के लोगों को दें 35-35 टिकट: सुरेश मिश्रा

सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने प्रदेश की प्रमुख पार्टियों से मांग की है कि समाज के लोगों को 35-35 टिकट दिए जाएं.

Sarv Brahmin Mahasabha president Suresh Mishra demands 35 tickets from each main political parties in Rajasthan
प्रदेश में प्रमुख दोनों राजनीतिक पार्टियां 35-35 टिकट ब्राह्मण समाज के लोगों को दें-ः सुरेश मिश्रा
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Published : Jun 29, 2023, 10:29 PM IST

ब्राह्मण समाज के लिए मांगे प्रमुख पार्टियों से 35-35 टिकट

अजमेर. सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टीयों से अगले चुनाव में 35-35 टिकट दिए जाने की मांग की है. मिश्रा ने एक होटल में महासभा के पदाधिकारियों के साथ प्रेस वार्ता में कहा कि 3 सितंबर को जयपुर में ब्राह्मण महासंगम का आयोजन किया जाएगा. ब्राह्मण समाज के हित में पांच एजेंडा निर्धारित किए गए हैं.

मिश्रा ने बताया कि आरक्षण की लंबी लड़ाई स्वर्ण समाज की अन्य जातियों के साथ मिलकर लड़ी गई थी. सवर्ण समाज की मांग थी कि 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों ने मिलकर राजस्थान विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था. ब्राह्मण समाज सहित आरक्षण से वंचित जातियों को 14 प्रतिशत आरक्षण देने की सब ने हामी भरी थी, लेकिन आरक्षण 10 प्रतिशत ही दिया गया. इसमें भी कई तरह की विसंगतियां हैं.

पढ़ें: ब्राह्मण समाज को जिले में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से नाराजगी, प्रदेश सह प्रभारी से प्रकट करेंगे रोष

उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी विसंगति यह है कि यदि कोई बच्ची का विवाह हो गया उसके पिता और उसके पति की आय को जोड़ा जाता है. इसलिए ईडब्ल्यूएस का सर्टिफिकेट उसका नहीं बन पाता है. इसमें राय यह मानी जाती है कि शादी के बाद बच्ची पराई हो जाती है. ऐसे में पति की आय जुड़नी चाहिए ना कि पिता की आय को जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि सिंगल विंडो सिस्टम नहीं होने की वजह से ईडब्ल्यूएस के सर्टिफिकेट बनाने में लोगों को काफी दिक्कत आ रही है.

पढ़ें: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले फिर ब्राह्मण समाज भरेगा हुंकार, ब्राह्मण महासंगम का किया ऐलान

उन्होंने कहा कि 25 दिन से यात्रा कर रहा हूं और मैंने देखा है कि विधायक, सरपंच, पंच, प्रधान ब्राह्मण समाज के बचे ही नहीं हैं. ऐसी स्थिति में सरकार तय करे कि जिस प्रकार से एसटी-एससी, ओबीसी को पॉलिटिकल आरक्षण दिया जा रहा है. उसी तरह से ईडब्ल्यूएस में हम को भी आरक्षण दिया जाए. मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में हर समाज के महापुरुषों के नाम से विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई है. इसी तरह भगवान परशुराम विश्वविद्यालय की स्थापना जयपुर में होनी चाहिए. इसी तरह ब्राह्मण समाज के लिए भी हॉस्टल और गुरुकुल की व्यवस्था हो.

पढ़ें: ब्राह्मण महापंचायत के मंच से EWS आरक्षण, हिंदू रिलीजियस एक्ट बनाने और परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय अवकाश की उठी मांग

समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमः मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में 200 विधानसभाओं में से 90 विधानसभा ऐसी हैं इनमें 45 से 50 हजार ब्राह्मणों की संख्या है. ब्राहमण समाज यहां निर्णायक स्थिति में रहते हैं. ऐसे समाज को राजनीतिक रुप से प्रतिनिधित्व कम दिया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में ब्राह्मण समाज के 18 विधायक हैं. एक समय था जब 65 विधायक ब्राह्मण समाज से हुआ करते थे.

ऐसे में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां तय करें कि कम से कम 35 सीटों पर ब्राह्मण समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. ब्राह्मणों में सबको साथ लेकर चलने का गुण होता है. 110 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं की उपस्थिति 25 से 30 हजार हर विधानसभा सीट पर है, जो जीत और हार को तय करते हैं. प्रेस वार्ता में सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष बलराम शर्मा, संभाग अध्यक्ष रवि प्रकाश शर्मा और समाजसेवी अंकुर त्यागी मौजूद रहे.

ब्राह्मण समाज के लिए मांगे प्रमुख पार्टियों से 35-35 टिकट

अजमेर. सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टीयों से अगले चुनाव में 35-35 टिकट दिए जाने की मांग की है. मिश्रा ने एक होटल में महासभा के पदाधिकारियों के साथ प्रेस वार्ता में कहा कि 3 सितंबर को जयपुर में ब्राह्मण महासंगम का आयोजन किया जाएगा. ब्राह्मण समाज के हित में पांच एजेंडा निर्धारित किए गए हैं.

मिश्रा ने बताया कि आरक्षण की लंबी लड़ाई स्वर्ण समाज की अन्य जातियों के साथ मिलकर लड़ी गई थी. सवर्ण समाज की मांग थी कि 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों ने मिलकर राजस्थान विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था. ब्राह्मण समाज सहित आरक्षण से वंचित जातियों को 14 प्रतिशत आरक्षण देने की सब ने हामी भरी थी, लेकिन आरक्षण 10 प्रतिशत ही दिया गया. इसमें भी कई तरह की विसंगतियां हैं.

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उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी विसंगति यह है कि यदि कोई बच्ची का विवाह हो गया उसके पिता और उसके पति की आय को जोड़ा जाता है. इसलिए ईडब्ल्यूएस का सर्टिफिकेट उसका नहीं बन पाता है. इसमें राय यह मानी जाती है कि शादी के बाद बच्ची पराई हो जाती है. ऐसे में पति की आय जुड़नी चाहिए ना कि पिता की आय को जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि सिंगल विंडो सिस्टम नहीं होने की वजह से ईडब्ल्यूएस के सर्टिफिकेट बनाने में लोगों को काफी दिक्कत आ रही है.

पढ़ें: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले फिर ब्राह्मण समाज भरेगा हुंकार, ब्राह्मण महासंगम का किया ऐलान

उन्होंने कहा कि 25 दिन से यात्रा कर रहा हूं और मैंने देखा है कि विधायक, सरपंच, पंच, प्रधान ब्राह्मण समाज के बचे ही नहीं हैं. ऐसी स्थिति में सरकार तय करे कि जिस प्रकार से एसटी-एससी, ओबीसी को पॉलिटिकल आरक्षण दिया जा रहा है. उसी तरह से ईडब्ल्यूएस में हम को भी आरक्षण दिया जाए. मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में हर समाज के महापुरुषों के नाम से विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई है. इसी तरह भगवान परशुराम विश्वविद्यालय की स्थापना जयपुर में होनी चाहिए. इसी तरह ब्राह्मण समाज के लिए भी हॉस्टल और गुरुकुल की व्यवस्था हो.

पढ़ें: ब्राह्मण महापंचायत के मंच से EWS आरक्षण, हिंदू रिलीजियस एक्ट बनाने और परशुराम जन्मोत्सव पर राष्ट्रीय अवकाश की उठी मांग

समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व कमः मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में 200 विधानसभाओं में से 90 विधानसभा ऐसी हैं इनमें 45 से 50 हजार ब्राह्मणों की संख्या है. ब्राहमण समाज यहां निर्णायक स्थिति में रहते हैं. ऐसे समाज को राजनीतिक रुप से प्रतिनिधित्व कम दिया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में ब्राह्मण समाज के 18 विधायक हैं. एक समय था जब 65 विधायक ब्राह्मण समाज से हुआ करते थे.

ऐसे में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां तय करें कि कम से कम 35 सीटों पर ब्राह्मण समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. ब्राह्मणों में सबको साथ लेकर चलने का गुण होता है. 110 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं की उपस्थिति 25 से 30 हजार हर विधानसभा सीट पर है, जो जीत और हार को तय करते हैं. प्रेस वार्ता में सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष बलराम शर्मा, संभाग अध्यक्ष रवि प्रकाश शर्मा और समाजसेवी अंकुर त्यागी मौजूद रहे.

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